मैमोग्राम से बहुत सी जानें बचाई जा सकती है क्योंकि यह उन तरीकों में सबसे बेहतर तरीका है जिनसे ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है। इस टेस्ट के द्वारा लक्षण मिलने से पहले ही बीमारी का पता लगा सकते है। आप के डॉक्टर को यदि इस के नतीजों में कुछ कैंसर से सम्बन्धित मिलता है तो वह समय से उपचार दे सकते हैं। यह टेस्ट वैसे तो बिल्कुल सादा है लेकिन परिस्थिति वश यह थोड़ा सा अनकंफर्टेबल लग सकता है।
मैमोग्राम के दौरान कोई टेक्नीशियन ब्रेस्ट को दो प्लेट्स के बीच रख देंगे। उसके बाद वह उसे कंप्रेस करेंगे। ताकि एक अच्छी इमेज आ सके। हर एक इमेज 2 अलग अलग अवस्थाओं में एक्स रे की जाएंगी- ऊपर से नीचे तक और साइड से। परन्तु इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 20 मिनट लग जाता है। इसके बाद टेस्ट से मिलीं तस्वीरें कैंसर के लिए चैक की जाती हैं।
स्क्रीनिंग की किसे आवश्यकता होती है-Who Needs to Get Screened
लगभग 40 से 44 साल से ऊपर वाली महिलाओं को साल में एक बार यह स्क्रीनिंग अवश्य करा लेनी चाहिए। 55 साल से ऊपर वाली महिलाओं को हर एक से दो साल में यह स्क्रीनिंग करानी चाहिए। परंतु इस बात से सभी उम्र वर्ग की महिलायें सहमत नहीं । अतः यूएस सर्विस टास्क फोर्स ने 50 साल से 74 साल की महिलाओं के लिए हर 2 साल में एक बार यह स्क्रीनिंग कराने का सुझाव दिया। उन्होंने 50 साल से कम उम्र वाली महिलाओं के लिए भी वार्षिक मैमोग्राम स्क्रीनिंग कराने का सुझाव दिया। यदि आप के डॉक्टर आप को बताते हैं की आप को ब्रेस्ट कैंसर होने की सम्भावना है तो आप को जल्दी जल्दी यह स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए।
अगर कुछ संदिग्ध है तो क्या होगा?
जितनी महिलाएं यह स्क्रीनिंग कराती है उनमें से 8 प्रतिशत महिलाओं में डॉक्टर्स को संदेहजनक प्रश्न सामने आते है। यदि यह आप के साथ होता है तो आप को और टेस्ट कराने की आवश्यकता है। जिन महिलाओं को अन्य टेस्ट कराने के लिए बोला जाता है उनमें से 10 प्रतिशत महिलाओं को ही ब्रेस्ट कैंसर पाया जाता है।
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डायग्नोस्टिक मैमोग्राम क्या है?
यदि आप की मैमोग्राम स्क्रीनिंग में कुछ गड़बड़ पाई जाती है तो उन का एक अन्य टेस्ट किया जाता है। जिसे डायग्नोस्टिक मैमोग्राम (Diagnostic Mammogram) कहा जाता है। या फिर डॉक्टर महिला को स्क्रीनिंग से पहले यह टेस्ट कराने को भी बोल देते हैं, यदि उन्हें लक्षण संदेहजनक लगते हैं तो।
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मैमोग्राम से संदिग्ध परिस्थिति का कैसे पता चलता है
- यदि आप की स्क्रीनिंग में कुछ संदेहजनक उभार या गांठ आ जाती है तो उसका पता कैसे लगाया जा सकता है? आइए जानते हैं।
- यदि एक गांठ या मास फ्लूइड से भरा होता है तो वह कैंसर नहीं होती है। परन्तु फिर भी डॉक्टर महिला को बायोप्सी के लिए बोल सकते हैं।
- एक गांठ जो अनियमित आकार की है, उसके लिए बायोप्सी कराने के लिए कहा जाता है।
- कैल्शियम के कुछ डिपॉजिट्स जोकि कैंसर हो भी सकते हैं और नहीं भी। अतः इसके लिए भी डॉक्टर्स महिला को अन्य टेस्ट कराने के लिए बोल सकते हैं।
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