'वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायो‍प्सी' तकनीक की मदद से संभव है ब्रेस्‍ट कैंसर का इलाज, जानें एक्‍सपर्ट की राय

वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायो‍प्सी (Vacuum-assisted breast biopsy) यानी वीएबीबी जैसी नई तकनीकें सटीक पहचान करती है साथ ही साथ बिनाइन गांठ (यदि कोई हो) को हटाने में मदद मिलती है।
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'वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायो‍प्सी' तकनीक की मदद से संभव है ब्रेस्‍ट कैंसर का इलाज, जानें एक्‍सपर्ट की राय

मेडिकल साइंस लगातार ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज का स्मार्ट तरीका तलाश रहा है। ऐसी खबर है कि यह महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। वर्ष 2018 में 2 मिलियन कैंसर के नये मामले दर्ज किये गये। उसी साल भारत में 1,62, 468 नये मामले दर्ज किये गये और 87,0 90 मौतें दर्ज की गयीं। पूरी दुनिया में महिलाओं में होने वाली मौतों की प्रमुख वजहों में से एक ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम की जा सकती है, यदि समय पर इसका पता लगा लिया जाये और अत्याधुनिक उपचार के साथ उसका इलाज किया जा सकता है।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि शोधकर्ता जांच करने की आधुनिक प्रक्रिया के माध्यम से बड़ी तेजी से भविष्य में कदम रख रहे हैं। पहले जहां डॉक्ट्री जांच की तकनीकों, इमेजिंग टेस्ट, सर्जिकल बायोप्सीब, निपल डिस्चार्ज साइटोलॉजी तथा अन्य जांचों पर पूरी तरह निर्भर करता था, वहीं मेडिकल साइंस में अत्यसधिक तरक्की होने से वैकल्पिक प्रक्रियाओं का इस्तेूमाल करते हुए इसका पता लगाने के लिये कम से कम चीरा लगाने की जरूरत होती है। 

 

वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायो‍प्सी (Vacuum-assisted breast biopsy) यानी वीएबीबी जैसी नई तकनीकें सटीक पहचान करती है साथ ही साथ बिनाइन गांठ (यदि कोई हो) को हटाने में मदद मिलती है। आइये इस बात को जानते हैं कि वीएबीबी जैसी तकनीक किस तरह काम करती है और इसमें मरीज के लिये क्या होता है।  

वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायो‍प्सी एक तकनीक होती है जोकि उपयुक्तत नमूना देकर सटीक जांच करती है, इसे एक बार ही डालकर निकाला जाता है। इसके साथ ही यह 100 प्रतिशत सही पता लगाती है, साथ ही यह 3 सेमी तक के बिनाइन गांठ को रिमूव करने में भी मदद करती है। यह बायोप्सी सोनोग्राफिक, मेमोग्राफिक, और मैग्नेटिक इमेजिंग गाइडेंस द्वारा किया जा सकता है। यह एक बहुत ही सुरक्षित और कम से कम चीरा लगाने वाली प्रक्रिया होती है, जिसे लोकल एनेस्थेसिया के प्रभाव में किया जाता है। यह सर्जिकल बायोप्सी का विकल्प होता है और यह त्वचा/ब्रेस्ट पर छोटा या कोई भी निशान नहीं छोड़ता है। 

इसके विश्वसनीय भरोसे के साथ, यह प्रक्रिया सर्जिकल बायोप्सी को रिप्लेस करने में सक्षम है और साथ ही बिनाइन गांठों को हटाने में भी। यहां एक बात और ध्या‍न देने योग्य है कि आठ (13 प्रतिशत) में से एक महिला को जीवन में एक ना एक बार ब्रेस्ट कैंसर होता है तथा 60 प्रतिशत को बिनाइन ब्रेस्ट डिजीज होती है। 

सबसे आम बिनाइन ब्रेस्ट डिजीज हैं- फाइब्रोएडिनोमा और फाइब्रोसिस्टिक डिजीज। ये बीमारियां जानलेवा नहीं होती हैं लेकिन कई मरीजों में अक्सर बेचैनी का कारण बन जाती है। पिछले कई सालों में इस बात को लेकर काफी बहस हुई है कि किस तरह से छूकर या अल्ट्राटसाउंड (यूएस) के जरिये संदेहास्पाद बिनाइन मास का इलाज किया जाये।

ऐसे में वीएबीबी ज्यादातर मरीजों की समस्या सुलझाता है। इसलिये, यह याद रखना महत्वापूर्ण है कि यह जानने के लिये सारे गांठों की जांच चिकित्सकों द्वारा जांच करवानी चाहिये कि सारी गांठें कैंसर ग्रसित नहीं होती हैं। इसे कम चीरा लगाकर, वीएबीबी जैसे वै‍कल्पिक प्रक्रिया का उपयोग करते हुए बचा जा सकता है। 

अब, वीएबीबी के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह 100 प्रतिशत सटीक जांच करता है। यही वजह है कि यह जांच करने के कई सारी पारंपरिक रूपों को पीछे छोड़ देता है। डिजिटल मेमोग्राफ और अल्ट्रासाउंड के साथ आप छोटी सी छोटी गांठ का पता उनके वहां नज़र आने से पहले ही लगा लेते हैं। लेकिन पारंपरिक प्रकार की बायोप्सी में छोटी गांठों को बारीकी से नहीं देखा जा सकता है। इसे वीएबीबी आसान बनाता है। मरीज पर जख्म छोड़े बिना आगे की जांच के लिये टिशू को अधिक मात्रा में निकालना आसान होता है। वीएबीबी जैसे उपचार ना केवल ज्यादा सटीक होते हैं, बल्कि ओपन तरीके से चीरा लगाने से होने वाले बेवजह के जख्म का भरोसेमंद विकल्प भी है।

यह सुरक्षित और आसान है। वीएबीबी जैसी संवेदनशील तकनीकें डॉक्टर्स को उपचार के शुरुआती चरण में ही इस बात का पता लगाने में मदद कर रहे हैं कि कौन-सा सैंपल कैंसर से ग्रसित है और कौन-सा नहीं। 

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जब ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के स्मार्ट तरीकों के साथ हम भविष्य की तरफ देखते हैं तो उपचार में ही इसका बचाव भी छुपा हुआ है। वीएबीबी जैसी प्रक्रियाएं ना केवल ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के तरीके को बदल रहा है, बल्कि मरीजों को उम्मीद की नई किरण भी दिखा रहा है, जोकि इसका पता लगाने का पक्का विश्वास दे सकता है। वीएबीबी जैसी तकनीकी उन्नति मरीजों को लंबे समय तक स्वास्थ रूप में जीने में मदद कर रही है और ज्यादा सुरक्षित जीवन जीने में भी। ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में उत्साहवर्द्धक विकास कार्यों के साथ, अब समय आ गया है कि हम अपने लोगों के लिये ऐसे ही उपचार लेकर आयें। 

Inputs: डॉ. रमेश सरीन, सीनियर कंसलटेंट- सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स

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