अपनी उम्र के अनुसार अच्छा स्वास्थ्य और पोषक तत्व हर एक की आवश्यकता है। हालांकि, वृद्धावस्था में पोषक तत्वों की आवश्यकता और अधिक हो जाती है। वृद्धावस्था शरीर में आने वाले बदलावों के लिए जानी जाती है, जैसे हड्डियों एवं मांसपेशियों का कमजोर होना, पाचन क्षमता घटना आदि। कई मामलों में बढ़ती उम्र के साथ लोगों को भूख ना लगने और स्वाद से जुड़ी समस्या हो जाती है। शारीरिक गतिविधियों में कमी से भी शरीर की आवश्यक कैलोरी क्षमता कम हो जाती है। इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि बुजुर्गों को पर्याप्त पोषक तत्व मिलें, सिर्फ भोजन कर लेना ही काफी नहीं होता।
पोर्टिया मेडिकल के मेडिकल डायरेक्टर, डॉक्टर विशाल सहगल के मुताबिक, स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले भोजन की आदतों से बुजुर्गों को मोटापे और वजन बढ़ने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है साथ ही उन्हें विभिन्न जीवनशैली और उम्र से जुड़ी बीमारियों जैसे शुगर, उच्च रक्तचाप, कॉलेस्ट्रॉल बढ़ना और ऑस्टियोपोरोसिस आदि का सामना करना पड़ सकता है। कई मामलों में कुछ खाद्य पदार्थों जैसे प्याज, मसालों और डेयरी प्रोड्क्ट्स के प्रति संवेदनशीलता विकसित हो सकती है।
विभिन्न अध्ययन बताते हैं कि आधे से ज्यादा भारतीय नागरिक कुपोषण के शिकार होते हैं। दस में से नौ व्यक्तियों को आवश्यकता से कम मात्रा में पोषण तत्व प्राप्त हो पाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में बुजुर्गों की बढ़ती हुई जनसंख्या स्वास्थ्य सेक्टर के लिए चुनौतियां लेकर आएंगी। रिकॉर्ड को देखें तो 2001 में भारत में कुल जनसंख्या का 7.7 प्रतिशत बुजुर्ग थे जो अब बढ़कर करीब दस प्रतिशत हो चुके हैं। यह संख्या 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए है। यह देखते हुए कि उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक गतिविधियां कम होती हैं और कैलोरी की आवश्यकता घटती है। यह आवश्यक है कि कम कैलोरी वाले भोजन को बढ़ाएं। इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लिए जाएं।
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कैल्शियम और विटामिन्स
बुजुर्गों को अपनी हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन बढ़ाने की आवश्यकता होती है। कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, फलों के रस, हरी सब्जियां, दूध और मछली आदि इन दो पोषक तत्वों के लिए आदर्श स्रोत हैं।
शाकाहारियों को ऐसे सप्लीमेंट लेने चाहिए जिनमें विटामिन डी होता है। विटामिन बी 12 की वांछित मात्रा प्राप्त करना उनके लिए बहुत मुश्किल है। लीन मिट, फोर्टिफाइड अनाज, मछली और समुद्री भोजन का सेवन करके इस कमी को पूरा किया जा सकता है। हालांकि, पूरक आहार लेने से पहले आहार विशेषज्ञ या पंजीकृत चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है।
पोटेशियम और फाइबर
सोडियम क्लोराइड (सामान्य नमक) की कमी के साथ पोटेशियम का सेवन ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार हो सकता है। इसी तरह, रेशेदार खाद्य पदार्थ टाइप 2 डायबिटिज और हृदय रोगों की रोकथाम में मदद करते हैं। फल, सब्जियां और बीन्स पोटेशियम के ज्ञात स्रोत हैं और फलों और सब्जियों के साथ-साथ ग्रेन ब्रेड, अनाज, बीन्स और मटर आदि के सेवन से फाइबर की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
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स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन अपच, डायबिटिज, डिहाईड्रेशन, कॉन्स्टिपेशन सहित बुजुर्गों से जुड़ी अन्य कई बीमारियों से निपटने में सहायक होगा। इन्हें नमकीन, मसालेदार और तला हुआ भोजन भी कम खाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पानी पर्याप्त मात्रा में पिया जाए। आहार के अलावा बुजुर्गों को स्वस्थ रहने के लिए कुछ और उपाय भी करने चाहिए, इनमें नियमित व्यायाम, शराब, तंबाकू या धूम्रपान से परहेज, शुगर और ब्लड प्रेशर की नियमित जांच और निगरानी, निर्धारित दवाओं का सेवन, योग और ध्यान से तनाव प्रबंधन आदि शामिल हैं।
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