भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल, अनियमित खानपान, तनाव और फिजिकल एक्टिविटी की कमी के चलते ब्लड प्रेशर की समस्या हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है। ब्लड प्रेशर दो तरह का होता है, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक इन दोनों का संतुलित रहना दिल और पूरे शरीर के लिए बेहद जरूरी है। अक्सर लोग ब्लड प्रेशर की समस्या को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। आज के समय में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना जरूरी है। जैसे कि नमक का सेवन कम करना, नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, तनाव को कम करने के उपाय करना और ताजे फल, सब्जियों का सेवन बढ़ाना। इस लेख में डॉक्टर प्रियंका सहरावत से जानिए, ब्लड प्रेशर में कौन-सी रीडिंग, दिल की सेहत के लिए ज्यादा जरूरी है?
बीपी की रीडिंग
आज के समय में हाई ब्लड प्रेशर एक आम समस्या बन गई है और इससे दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। ब्लड प्रेशर की दो मुख्य रीडिंग होती हैं - सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर। सिस्टोलिक यानी ऊपरी बीपी 140 से अधिक होना दिल के लिए हानिकारक माना जाता है, जबकि डायस्टोलिक यानी निचला बीपी अगर 90 से अधिक होता है तो भी स्वास्थ्य के लिए यह हानिकारक हो सकता है।
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दिल के लिए कौन सी ब्लड प्रेशर रीडिंग ज्यादा जरूरी है?
सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर दोनों के ऊपर के स्तर, दिल की सेहत के लिए एक गंभीर खतरे का संकेत हो सकते हैं। इस लेख में हम यह समझेंगे कि कौन सा ब्लड प्रेशर ज्यादा जरूरी है और दिल के स्वास्थ्य पर इसका क्या असर है।
1. सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर
सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को हाई ब्लड प्रेशर के सबसे अहम संकेतक के रूप में माना जाता है। यह मापता है कि दिल के संकुचन के दौरान रक्त वाहिकाओं पर कितना दबाव डाला जा रहा है। उच्च सिस्टोलिक रक्तचाप (SBP > 140) एक प्रमुख जोखिम फैक्टर है, जो हार्ट डिजीज जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक और गुर्दे की समस्याओं का कारण बन सकता है।
यहां तक कि अगर केवल सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर अधिक है, तो यह जोखिम को बढ़ा देता है। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर का हाई होना हार्ट डिजीज के जोखिम को बढ़ाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं को कमजोर और सख्त कर सकता है, जिससे रक्त प्रवाह में बाधा होती है।
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2. डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर
जबकि सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर पर अधिक ध्यान दिया जाता है, डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर भी बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब यह 90 से ऊपर हो। यदि केवल डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर ज्यादा है (DBP > 90), तो भी दिल की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। यह खासतौर पर उन व्यक्तियों में देखने को मिलता है जो युवा होते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनका सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर सामान्य होता है, लेकिन डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर ज्यादा होता है।
बढ़ते ब्लड प्रेशर का कारण
हाई ब्लड प्रेशर का मुख्य कारण खराब खानपान, फिजिकल एक्टिविटी में कमी, तनाव और अधिक नमक का सेवन होता है। इस स्थिति में लाइफस्टाइल में बदलाव करके और हेल्दी डाइट अपनाकर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के तरीके
- नमक का सेवन ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। ऐसे में नमक का सेवन कम से कम करना चाहिए।
- नियमित एक्सरसाइज ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करती है।
- मानसिक तनाव भी ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है, इसलिए योग, ध्यान लेने जैसी तकनीकों का अभ्यास करना फायदेमंद हो सकता है।
- ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और ओमेगा-3 से भरपूर फूड्स का सेवन करना चाहिए।
निष्कर्ष
ब्लड प्रेशर का सही कंट्रोल आपकी दिल की सेहत को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। दोनों सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर पर ध्यान देना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि दोनों का ही दिल पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि आपके ब्लड प्रेशर के स्तर में कोई बदलाव आता है, तो डॉक्टर से सलाह लें और अपनी लाइफस्टाइल में सुधार लाने की कोशिश करें।
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