मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को समयपूर्व प्रसव का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा उनके बच्चे के गंभीर रूप से बीमार होने और मौत का भी खतरा होता है। ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी है।
विशेषज्ञों का कहता है कि महिलाओं में बढ़ते मोटापे के साथ उनके बच्चों पर खतरा भी बढ़ता जा रहा है। स्वीडन में वर्ष 1992 से 2010 के बीच हुए लगभग 15 लाख प्रसवों पर आधांरित एक अध्ययन में पाया गया कि मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का असामयिक प्रसव का खतरा रहता है।
इसके मुताबिक मां का वजन जितना अधिक होगा बच्चे के समय पूर्व जन्म का खतरा उतना ही अधिक होगा। इसके साथ ही उन बच्चों बीमार पड़ने, यहां तक कि मरने का खतरा भी अधिक होता है। अध्ययन से पता चला कि सामान्य वजन वाली महिलाओं की तुलना में अधिक वजन वाली महिलाओं में समय पूर्व प्रसव का खतरा 25 फीसदी अधिक था। जबकि मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में यह खतरा काफी अधिक यानी 60 फीसदी था। गंभीर रूप से मोटी (बॉडी मास इंडेक्स 35-39.9) या बेहद मोटी महिलाओं (बॉडी मास इंडेक्स 40) में यह खतरा क्रमश: दोगुना और तीगुना था।
दरअसल शोधकर्ताओं को बॉडी मास इंडेक्स बढ़ने और समयपूर्व प्रसव के बीच रिश्ते का भी पता चला। बॉडी मास इंडेक्स, वजन (किलोग्राम) को ऊंचाई (वर्ग मीटर) से विभाजित करने पर प्राइज़ होता है। 18.5 से 24.9 तक बीएमआई को सामान्य, 25 से 29.9 को अधिक वजन वाला और 30 या इससे अधिक को मोटापे का प्रमाण माना जाता है। जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एससेसिएशन में प्रकाशित अध्ययन के नतीजों में मोटापे की बढ़ती समस्या को लेकर आगाह किया गया है। ब्रिटेन में भी मोटापे की समस्या बढ़ रही है।
हरेक पांच में से तीन वयस्क अधिक वजन वाले या मोटे हैं, जो पूरे यूरोप में सबसे ऊंची दर है। वहां हर साल 40 हजार बच्चे समयपूर्व पैदा हो रहे हैं। स्टॉकहोम स्थित कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर स्वेन क्नाटिंगिउस ने कहा, हालांकि किसी अधिक वजन वाली या मोटी एक महिला के लिए समय पूर्व प्रसव का चरम खतरा अब भी काफी है।
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