जब भी अनोरेक्सिया नर्वोसा से गरस्त व्यक्ति का वजन बहुत ही कम हो जाता है तो उसे चिकित्सयी उपचार देना अभूत ज़रूरी हो जाता है ।जब व्यक्ति को अस्पताल में बरती कर दिया जाता है तो वाहन पर न्यूट्रिशनल थेरेपीशुरू कर दी जाती है ताकि उसे फिर से सामान्य कर सके ताकि उसका वजन बॉडी मॉस इंडेक्स (बीएमई) के हिसाब से सही वजन पहुँच सके।
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वो लोग जो की अनोरेक्सिया से गरस्त हैं लेकिन जिनमे आधा अस्पताल का उपचार की ज़रूरत होती है उनको सही करने का तरीका अलग है ।डॉक्टर आपकी धसा की गंभीरता को देखेगा और उसी के हिसाब से आपके लिए कार्यक्रम लिख देगा जो की आपके लिए सबसे सही होगा ।हालाँकि मुख्य लक्ष्य है वजन बढ़ाना लकिन यह भी कोई अआसान काम नहीं है की आपने किसी खाली जगह को भर दिया ।अनोरेक्सिया से गरस्त लोगो में वजन बढ़ने का बहुत डॉ होता है और वे किसी भी पुनर्वास के तरीके को विरोध करने का बढ़िया से बढ़िया प्रयत्न करते हैं ।
मूलान्कन
सबसे पहला कदम यह होता है की मरीज़ के आहार के इतिहास और खाने की आदतों के बारे में देखा जाता है ।इसमें आते है उसके शराब पीने की आदते और बाकी वो सब कुछ जो की उसने पहले कभी लिया हो ।बहुत बारीकी से उसका चिकित्सयी परिक्षण किया जाता है और फिर इसके बाद उसके शरीर में रसायनों के स्तर को जांचा जाता है ।प्रयोगशाला की जांच मरीज़ में हीमोग्लोबिन और प्रोटीन के स्तर बता देंगी ।रक्त की कोशिकाओं की संक्य्हा और आयरन और फोलिक एसिड के स्तर में कमी इस बात को ज्यादा निर्धारित करेंगी की आपको कौन सी न्युत्रिशंल थेरेपी की ज़रूरत है ।
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अस्पताल में
अब डॉक्टर का काम यह नहीं है की मरीज़ को दुबारा से खाना खिलाए ।डॉक्टर को अब इस बात पर पहुंचना है की वो कौन सी स्थिती होगी जब जब डॉक्टर ऎसी दशा पर पहुंचेगा जहाँ पर यह पता लग सकेगा की मरीज़ के शरीर को क्या चाहिए और उसका दिमाग कितना श सकता है ।फिर से भरना एक धीरे धीरे होने वाला काम है और अनोरेक्सिया से बहार आने के लिए आपको धैर्य ज़रूर रखना होगा ।अगर हमारा लक्ष्य एक हफ्ते में न्यूनतम ०.५ किलू बढ़ाना है तो यह ज्यादातर घटनाओं में एक आसान सा लक्ष्य होता है ।सारे पोषक तत्वों की लगातार निगरानी करना बहुत ज़रूरी है ।एक बार अगर दुबारा खाना देना चालू कर दिया तो उसके अपने अलग जटिलताये होती हैं जैसे इलेक्त्रोलाय्त डिस्टर्बेंस और पोटेशियम के स्तर में बदलाव ।यह ऎसी स्थिती होती है जब सबसे ज्यादा देखभाल करने का समय होता है ।
सलाह
जब मरीज़ खतरे से बहार है और उसके पास बात करने के लिए पर्याप्त ताकत है तो उसे मंत्रणा के लिए ले जाना चाहिए ।आहार को सीमित करना और भूखे रहने के प्रभाव उसे बताना चाहिए ।यह सूचना मरीज़ को अपाप्चायी दर और कसरत के तरीकों के साथ बतानी चाहिए ।इस बात का बोध की आपके शरीर को कितना खाना चाहिए है यह एक रात में नहीं बताया जा सकता है ।मरीज़ को याद करने वाली कसरतो के साथ प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि भविष्य में अपनी ज़रूरतो के बारे में वह अपने निर्णय खुद ले सके ।
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पार्शियल होस्पिटलायीज़ेशन
बहारी मरीज़ और वे लोग जिनको की देखभाल कराने के लिए बहुत घंटे की ज़रूरत पड़ती है उन्हें फ़ूड मेनेजमेंट पर और मंत्रणा की ज़रूरत पड़ती है ।अब मरीज़ को लगातार खाने के लिए बोला जायेगा जिसमे की कार्बोहाय्द्रेट सबसे प्रथम श्रेणी पर होंगे ताकि मरीज़ अपना वजन ना खोये ।खाने के संपूरक भी लिखे जा सकते हैं लकिन डॉक्टर कोसाव्धान रहना पड सकता है ताकि इन संपूरक का मरीज़ गलत प्रयोग न करे ।कई मरीज़ इस बात को नकार देते है की उन्हें भूख लगी है ।
मनोचिकित्सक पोषण सलाहकार के साथ काम करते हैं ताकि मरीज़ के अनोरेक्सिया के पीछे का असली कारण मालूम हो सके ।
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