एनोरेक्सिया में पोषण थेरेपी

आहार क्रिया विकार से पीड़ित व्यक्ति का ईलाज पोषण चिकित्‍सा से सम्‍भव है।
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एनोरेक्सिया में पोषण थेरेपी


चिकित्सा उपचार आवश्यक हो जाता है जब एक आहार क्रिया विकार से पीड़ित व्यक्ति एक महत्वपूर्ण वजन के स्तर तक पहुँचता है। जब रोगी अस्पताल में भर्ती है, पोषण चिकित्सा बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के अनुसार अधिकतम वजन के लिए उसे या उसको फिर से तंदरूस्त करने के लिए शुरू कर दिया है। वे लोग जो एनोरेक्सिक की पहचान की गई है लेकिन केवल आंशिक रूप से अस्पताल में भर्ती होकर एक अलग प्रोटोकॉल का पालन की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर स्थिति की गंभीरता को ध्यान देकर और रोगी के लिए सबसे उपयुक्त उपचार प्रक्रिया का सुझाव देता है। हालांकि लक्ष्य वजन को पुन प्राप्त करना है यह एक खाली जगह को भरने का एक साधारण मामला नहीं है। एनोरेक्सिक वजन बढ़ने से भयभीत होते हैं और पुनः सुधार प्राप्त करने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ कोशिश को करने का विरोध करते है।
 

मूल्यांकन या आंकलन


सबसे पहले रोगी के आहार संबंधी इतिहास और आदतों के बारे में जाने। यह शराब सेवन और सब कुछ वह / वो के अतीत में उपभोग की प्रवृत्ति भी शामिल है। एक केमिकल द्वारा पूरी तरह से क्लीनिकल चेक-अप किया जाता है। प्रयोगशाला का आकलन हीमोग्लोबिन और प्रोटीन का स्तर जैसी कुछ बातो को निर्धारित करेगा। रक्त कोशिका को समझना और आयरन और फोलिक एसिड के स्तर में कमी और अधिक पोषण चिकित्सा के प्रकार की जरूरत पर ध्यान देना होता है।
 

अस्पताल में
 

डॉक्टर का काम अब फिर से भोजन खिलाना शुरू नहीं है। रोगी के शरीर की क्या आवश्यकता है और क्या उसके मन सहन कर सकते हैं का पता लगाना है। पुनः पूर्ति करना एक धीमी प्रक्रिया है और धैर्य एनोरेक्सिया से बाहर आने की कुंजी है। यदि को एक सप्ताह में न्यूनतम 0.5 किलोग्राम पाने का लक्ष्य है यह सबसे नाजुक मामलों में एक यथार्थवादी लक्ष्य है। सभी पोषक तत्वों की लगातार निगरानी अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक बार री-फिडिंग शुरू होने पर इलेक्ट्रोलाइट में गड़बड़ी और पोटेशियम के स्तर में  परिवर्तन जैसी जटिलताएं स्वंय प्रकट हो जाती है। यह वह स्तर है जहां अत्यंत सावधानी बरतने के लिए कहा जाता है।
 

परामर्श
 

जब मरीज ​खतरे से बाहर हो और परामर्श करने के लिए, उसे या उसको चर्चा करने के लिए पर्याप्त रूप उर्जा प्राप्त करनी चाहिए। आहार प्रतिबंध और भुखमरी का प्रभाव स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए। यह जानकारी चयापचय दर और व्यायाम के बारे में सच्चाई के साथ दी जानी चाहिए। यह धारणा कि आपका शरीर कितना भोजन खाकर रातोंरात अपनी आवश्यकताएं पूरी कर सकता है, गलत है। रोगी को व्यायाम सीखने के लिए प्रेरित करें ताकि वह या वो अपने भविष्य में अपनी आवश्यकताओँ को बेहतर ढंग से जानने में सक्षम हो पाएं।

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