8 घंटे की नींद लेने के बावजूद सोने टाइम फिक्स नहीं, तो 26% तक बढ़ जाएगा हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा: स्टडी

स्टडी की मानें तो सोने-जागने के पैटर्न को बनाए रखना बेहद जरूरी है, इससे दिल के साथ-साथ दिमाग पर भी बुरा असर पड़ सकता है। 
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8 घंटे की नींद लेने के बावजूद सोने टाइम फिक्स नहीं, तो 26% तक बढ़ जाएगा हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा: स्टडी


आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों की स्लीप साइकिल फिक्स नहीं है। कुछ लुग जल्दी सो जाते हैं तो कुछ रात में देर तक जागते रहते हैं। वहीं, कुछ लोग नाइट शिफ्ट के चलते पूरी रात जागकर काम करते हैं। स्लीप साइकिल में गड़बड़ी होने के चलते आप कई स्वास्थ्य समस्याओं के घेरे में आ सकते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक दिनभर में कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक होता है। 6 घंटे से कम नींद लेना हानिकारक हो सकता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि अगर आप 8 घंटे की भरपूर नींद ले रहे हैं और अगर आपके सोने, जागने का फिक्स टाइम नहीं है तो आप दिल से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। हाल ही में हुई एक स्टडी में ऐसा दावा किया गया है।

हार्ट अटैक और स्ट्रोक का बढ़ता है खतरा

हाल ही में जर्नल एपिडेमियोलॉजी एंड कम्यूनिटी हेल्थ (Journal of Epidemiology & Community Health) में छपी एक स्टडी के मुताबिक अगर आपके सोने और जागने का फिक्स समय नहीं है तो ऐसे में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 26 फीसदी तक बढ़ सकता है। स्टडी की मानें तो सोने-जागने के पैटर्न को बनाए रखना बेहद जरूरी है, इससे दिल के साथ-साथ दिमाग पर भी बुरा असर पड़ सकता है। यह निर्भर नहीं करता कि आप कितनी देर सोते हैं, लेकिन सोने की अनियमितता हार्ट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है। 

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क्या कहती है स्टडी?

शोधकर्ताओं के मुताबिक रिसर्च में यह निकलकर सामने आया है कि सोने की दिनचर्या और कार्डियोवैस्कुलर गतिविधियों के बीच में आपस में सीधा संबंध है। आप चाहे 8 घंटे ही क्यों न सो रहे हों, लेकिन रोजान अलग-अलग समय पर सोना आपको कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का शिकार बना सकता है। स्टडी में 40 से लेकर 79 साल की उम्र तक के कुल 72,269 लोगों को शामिल किया गया। जिनके सोने के पैटर्न पर कई सालों तक नजर रखी गई। नतीजा यह निकला कि अलग-अलग समय पर सोने वाले लोगों में हार्ट से जुड़ी समस्याओं का खतरा ज्यादा बढ़ा था। 

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