Nipah Virus Outbreak in Kerala: केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस से 2 लोगों की मौत के बाद राज्य सरकार अलर्ट मोड में है। बुधवार 13 सितंबर तक केरल में निपाह वायरस के कुल 4 मामले सामने आ चुके हैं। ये चारों ही मामले कोझिकोड जिले से सामने आए हैं। मगर मामलों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने कोझिकोड के साथ-साथ आसपास के 3 अन्य जिलों- कन्नूर, मलप्पुरम और वायनाड में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। इसके साथ ही कोझिकोड जिले के 7 ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है, यानी इन जगहों पर एक तरह से लॉकडाउन लगा दिया गया है। इन ग्राम पंचायतों में सभी स्कूल, कॉलेज, बैंक और सरकारी संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया गया है। यहां बाजारों में सिर्फ दूध, दवा, राशन और अन्य जरूरी चीजों की दुकानें खोलने की इजाजत दी गई है। अब आप सोच रहे होंगे कि सिर्फ 4 मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार को इतने सख्त कदम क्यों उठाने पड़े? क्या वाकई निपाह वायरस इतना खतरनाक है? ये जानने के लिए हम सबसे पहले भारत में, खासकर केरल में निपाह वायरस के इतिहास पर एक नजर डालते हैं और फिर- निपाह वायरस कैसे फैलता है, कितना खतरनाक है, इसके लक्षण क्या हैं और इसे फैलने से कैसे रोकें- इन बिंदुओं को भी देखेंगे। इस वायरस के बारे में कुछ बातें समझने के लिए ओनलीमायहेल्थ ने Dr J Anish Anand (Consultant Internal Medicine, Apollo Hospitals, Jubilee Hills) से भी बात की है।
भारत में निपाह वायरस का इतिहास (Nipah Virus History in India)
दरअसल केरल में निपाह वायरस का मामला कोई नया नहीं है। भारत में निपाह वायरस का पहला मामला 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में सामने आया था। इस साल कुल 66 लोगों में ये संक्रमण मिला था, जिनमें से 45 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 2007 में पश्चिम बंगाल में ही दोबारा ये वायरस नादिया जिले में मिला, जब 5 लोग संक्रमित हुए थे और सभी की मौत हो गई थी। तीसरी बार ये वायरस केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम में साल 2018 में सामने आया था। यह केरल में निपाह वायरस (Nipah Virus in Kerala) का पहला मामला था, जब 18 लोग संक्रमित हुए थे और इनमें से 17 लोगों की मौत हो गई थी। इसी साल (2018 में) केरल में मिले निपाह वायरस के पहले मरीज का इलाज कर रही नर्स लिनि पुथुसेरी (Lini Puthussery) की मौत काफी चर्चा में आई थी। लिनि सिर्फ 28 साल की थीं और उनके 2 बच्चे (2 साल और 5 साल) थे, जब निपाह वायरस ने उनकी जान ले ली थी। लिनि ने मरने से पहले अपने पति के नाम एक नोट लिखा था, जो काफी चर्चा में आया था।
इसके बाद साल 2019 में दूसरी बार ये वायरस केरल के कोच्चि में सिर्फ एक व्यक्ति में मिला था और उस व्यक्ति को समय से इलाज मिल जाने के कारण रिकवर कर लिया गया था। फिर साल 2021 में जब तीसरी बार केरल (कोझिकोड)में निपाह वायरस सामने आया तो एक ही व्यक्ति में इसका संक्रमण मिला था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका था। इसके बाद इस साल (2023 में) इस वायरस के 4 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 2 लोगों की मौत हो चुकी है। यही कारण है कि इस वायरस को लेकर केरल की सरकार काफी गंभीर है और इसके प्रसार को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
निपाह वायरस कैसे फैलता है? (How Does Nipah Virus Spread in Humans)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार निपाह वायरस जानवरों (चमगादड़ और सु्अर) से इंसानों में और इंसानों से इंसानों में फैल सकता है। मुख्य रूप से चमगादड़ से फैलने वाला ये संक्रमण उनके मल-मूत्र, खून या लार के जरिए इंसान तक पहुंचकर उन्हें संक्रमित कर सकता है। दरअसल चमगादड़ों की एक खास प्रजाति (Fruit Bats) फलों को खाती है। ये चमगादड़ जब फल खाते हैं, तो इनकी लार के जरिए ये वायरस उसमें पहुंच जाता है। वायरस से भरे इस फल (खासकर आम) को जब कोई इंसान खा लेता है, तो ये संक्रमण उसमें पहुंच जाता है। एक बार ये वायरस किसी इंसान में पहुंच जाए, तो उस इंसान की छींक, लार और मल के जरिए दूसरे इंसान में भी ये पहुंच सकता है। इस तरह जानवरों से शुरू हुआ ये वायरस धीरे-धीरे इंसानों में प्रसारित होने लगता है।
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निपाह वायरस कितना खतरनाक है? (How Dangerous is Nipah Virus)
WHO की मानें तो निपाह वायरस के कारण होने वाली मृत्यु दर 40% से 75% तक है, यानी यह वायरस काफी हद तक जानलेवा साबित होता है। निपाह वायरस को इंसान या जानवरों, दोनों में ही रोकने के लिए अभी तक कोई भी वक्सीन या इलाज नहीं खोजा जा सका है। यही कारण है कि इस वायरस की रोकथाम के लिए इसके प्रसार को रोकना ही सबसे जरूरी उपाय है। निपाह वायरस से संक्रमित होने पर मरीज में दिख रहे लक्षणों का ही इलाज किया जाता है।
निपाह वायरस से संक्रमित होने के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Nipah Virus in Hindi)
सामान्य लक्षण
- बुखार (Fever)
- सिर दर्द (Headache)
- मांसपेशियों में दर्द (Muscle Pain)
- उल्टी (Vomiting)
- गले में खराश (Sore Throat)
- चक्कर आना (Dizziness)
गंभीर लक्षण
- सांस लेने में परेशानी (Breathing Difficulties)
- मिर्गी (Seizures)
- इंसेफ्लाइटिस (Encephalitis)
- सोचने-समझने की क्षमता में कमी (Disorientation)
निपाह वायरस की जांच कैसे होती है? (Diagnosis of Nipah Virus in Hindi)
निपाह वायरस की जांच संक्रमित मरीज के शरीर से निकले तरल पदार्थों (मुख्य रूप से लार) के द्वारा की जाती है। इसके लिए मरीज के लार का सैंपल लेकर RT-PCR (Real Time Polymerase Chain Reaction) के जरिए इसे चेक किया जा सकता है। इसके अलावा एलिसा टेस्ट (ELISA Test) के जरिए भी इस संक्रमण की पुष्टि की जाती है। ये शरीर में संक्रमण की जांच का एक तरीका है, जिसमें संक्रमित व्यक्ति के खून का सैंपल लिया जाता है और इसमें एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि निपाह वायरस के लक्षण बहुत जल्दी सामने नहीं आते और जो आते हैं, वो बहुत सामान्य होते हैं इसलिए कई मरीजों में संक्रमण की पुष्टि काफी देर में हो पाती है और तब तक अगर सावधानी न बरती जाए, तो वायरस दूसरे लोगों में फैल जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सैंपल की क्वालिटी, मात्रा, सैंपल लेने का समय और इसे लैब तक ले जाने का समय भी सैंपल के रिजल्ट्स को प्रभावित कर सकते हैं।
निपाह वायरस का इलाज (Treatment of Nipah Virus in Hindi)
जैसा कि ऊपर भी बताया जा चुका है कि निपाह वायरस के लिए अभी तक कोई इलाज या वैक्सीन नहीं है। लक्षणों के अनुसार ही इसके मरीज का इलाज किया जाता है। जिन मरीजों में सांस की परेशानी या न्यूरोलॉजिकल समस्याएं (सोचने-समझने में कमी, बेहोशी आदि) नजर आने लगें, उन्हें Intensive Supportive Care की जरूरत पड़ती है।
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निपाह वायरस से कैसे बच सकते हैं? (Prevention Tips for Nipah Virus in Hindi)
निपाह वायरस से बचाव के लिए आप निम्न बातों को ध्यान रखें।
- संक्रमण क्षेत्र में यात्रा करने से बचें।
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ गए हैं, तो खुद को क्वारंटाइन करें और जांच के लिए नजदीकी अस्पताल पहुंचें।
- अगर निपाह वायरस के लक्षण नजर आएं, तो बिना देरी किए डॉक्टरी सलाह लें।
- फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही खाएं। अगर संक्रमण क्षेत्र में रहते हैं, तो फलों को गर्म पानी में धोकर ही खाएं।
- पशु-पक्षी के मल से दूर रहें। इनके शरीर के संपर्क में आने पर त्वचा को अच्छी तरह साबुन और पानी से धोएं।
- सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाकर ही जाएं।
निपाह वायरस एक खतरनाक और जानलेवा संक्रमण है इसलिए इससे बचाव के लिए ऊपर बताई गई सावधानियां जरूर बरतें। अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो लोगों को जागरूक करने के लिए इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ जरूर शेयर करें। सेहत से जुड़े ऐसे लेख पढ़ने के लिए Onlymyhealth के साथ जुड़े रहें।
Images & Infographics: Khushi Goel
Source: WHO, Wikipedia
Inputs: Dr J Anish Anand (Consultant Internal Medicine, Apollo Hospitals, Jubilee Hills)