रात में नींद न आने का कारण कहीं पार्किंसन रोग तो नहीं, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

अगर आपको भी रात को नींद नहीं आती है तो यह पार्किंसन रोग का कारण हो सकता है। आगे जानते हैं इस बारे में विस्तार से   
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रात में नींद न आने का कारण कहीं पार्किंसन रोग तो नहीं, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर


पार्किंसंस रोग एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है। इसके आसानी से पहचाने जाने वाले लक्षणों में कंपकंपी, ब्रैडीकिनेसिया (अंगों मूवमेंट का धीमा होना) और कठोरता शामिल है। पार्किंसंस का एक और पहलू है जिस पर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इसमें हम नींद के पैर्टन में होने वाली गड़बड़ी की बात कर रहें। इस स्तिथि में रोगी की लाइफ पर गहरा असर पड़ता है। पार्किंसन में नींद की गड़बड़ी को मैनेज करना बेहद मुश्किल हो सकता है। इस लेख में जाइनोवा शैल्बी अस्पताल, मुंबई के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एस शशांक से जानते हैं कि ऐसे कौन से कारण हो सकते हैं,जो पार्किसन रोग में व्यक्ति को नींद को प्रभावित कर सकते हैं। 

पार्किंसन से आपकी नींद कैसे प्रभावित होती है? How Parkinson’s Affects Your Sleep In Hindi 

सर्कैडियन रिदम में बाधा

सर्कैडियन रिदम हमारे शरीर की आंतरिक बायोलॉजिकल क्लॉक होती हैं, जो हमारे सोने-जागने के पैर्टन को नियंत्रित करती हैं। पार्किंसंस के रोगियों में, ये रिदम बाधित हो सकती है, जिससे नींद में खलल पड़ सकता है। दरअसल, बीमारी के कारण ब्रेन की इंटरनल क्लॉक डैमेज हो जाती है, जिसकी वजह से मरीज को सोने में कठिनाई होती है या रात भर जागते रहना पड़ सकता है।

दवा का साइड इफेक्ट

पार्किंसंस रोग में कई तरह की दवाएं दी जाती हैं। हालांकि, ये दवाएं मोटर लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं, लेकिन इनके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जो नींद को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए कुछ तरह की दवाएं खराब सपनों का कारण बन सकती हैं, जबकि कुछ तरह की दवाएं रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का कारण बन सकती हैं। रेस्टलेग सिंड्रोम में रात के समय पैरों में दर्द महसूस होने लगता है। 

sleep problem due to parkinsons

रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर

पार्किंसंस से जुड़ी नींद के पैटर्न में से आरईएम स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर (आरबीडी) है। आरबीडी में, व्यक्ति आरईएम नींद (हल्की नींद) के दौरान शारीरिक रूप से अपने सपनों को पूरा करने लगते हैं। इससे उनके साथ रहने वाले लोगों को खतरा हो सकता है। इस स्थिति में मरीज और अन्य घरवालों को भी परेशानी हो सकती है। 

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (आरएलएस)

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम नींद से जुड़ी समस्या है, जो पार्किंसंस रोग के साथ हो सकता है। आरएलएस में व्यक्ति के पैरों पर दर्द और बार-बार हिलाने की आदत हो सकती है। इसमें पेरौं में झुनझुनी हो सकती है, जिससे नींद लेने में परेशानी हो सकती है। 

नॉक्टुरिया (Nocturia)

पार्किंसंस के कई मरीज़ों को नॉक्टुरिया हो सकता है, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें रात में बार-बार पेशाब आने की शिकायत होती है। बाथरूम का बार-बार उपयोग करने की यह आवश्यकता नींद के पैटर्न को बाधित करती है, जिससे लाइफ और नींद की क्वालिटी में बुरा असर पड़ता है। दवाओं के साइड इफेक्ट और पार्किंसंस की वजह से भी ब्लेडर में भी प्रॉब्लम हो सकती है। 

इसे भी पढ़ें : पार्किंसन बीमारी क्या है और क्यों होती है? आसान भाषा में डॉक्टर से समझें इसके कारण

पार्किंसंस रोग व्यक्ति के अंगों के संचालन को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही इस रोग में अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। इससे आपकी लाइफ का डिस्टर्ब हो सकती है। इससे बचने के लिए आप डॉक्टर से उचित सलाह लें। 

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