इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ की सफलता बढ़ाने वाला जेनेटिक टेस्ट वैज्ञानिकों की आजमाइश पर खरा उतरा है। लंदन में इस तकनीक से चुने भ्रूण से गर्भधारण करने वाली महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक नया टेस्ट अत्याधुनिक डीएनए सीक्वेसिंग तकनीक पर आधारित है। इससे एक-एक जीन से लेकर पूरे के पूरे क्रोमोजोम में मौजूद खामियों का पता लगया जा सकता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डगन वेल्स ने बताया कि नए टेस्ट के तहत आईवीएफ तकनीक से तैयार भ्रूण को महिला की कोख में प्रत्यारोपित करने से पहले उसके जीन और क्रोमोजोन की विस्तृत जांच की जाती है। इससे गर्भपात के लिहाज से संवेदनशील भ्रूण की पहचान करने में मदद मिलती है और सकारात्मक नतीजे मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है।
वेल्स के अनुसार आईवीएफ तकनीक से तैयार भ्रूण में से सिर्फ 30 फीसदी ही गर्भधारण की गारण्टी देते हैं। नया टेस्ट इन्हीं भ्रूण के चयन में मदद करेगा। उन्होंने बताया कि चिकित्सा जगत के पास भ्रूण की जांच के अन्य तरीके भी उपलब्ध हैं।
लेकिन काफी महंगा और जटिल होने के कारण इन्हें ज्यादा उम्र और बार-बार गर्भपात का सामना करने वाली महिलाओं पर ही आजमाया जाता है। वेल्स ने कहा, नये टेस्ट का खर्च मौजूदा तकनीक से दो-तिहाई कम होगा। इससे संतान सुख के लिए आईवीएफ का सहारा लेने वाले लगभग सभी जोड़ों को टेस्ट की पेशकश करने की राह खुलेगी।
Read More Health News In Hindi