महत्त्पूर्ण तथ्य : भारत में ४५ % नवजात शिशु अपने पैदा होने के सात दिन के अंदर ही मर जाते हैं ।
युनिसेफ द्वारा निकाली गयी एक रिपोर्ट के अनुसार , दक्षिणी एशिया में पूरी ३.१ मिलियन नवजात शिशुओ की मौत में से भारत अकेले की २.१ मिलियन नवजात शिशु की मौत के लिए ज़िम्मेदार है।
क्या यह सब काफी नहीं है इतना बताने के लिए की हमारे देश में किस तरह की चिकित्सक सेवाए हैं और हमारे विकासशील देश की राज्य चिकित्सक सेवाए कैसी हैं ?
नवजात शिशुओ की मौत हम उस मौत को कहते हैं जब एक बच्चा अपने पैदा होने के २८ दिन के अंदर`ही मर जाए ।और भारत में सही मूलभूत सेवाओं या सही चिकित्सक दल नहीं है जो की नवजात शिशुओ के जन्म से सम्बन्धित सारे मामलो को आसानी से सम्भाल ले जिसकी वजह से पूरे समाज में भारी लापरवाही हो रही है और हमारे ये नवजात शिशुओ को खोने की दर तेज़ी से बढती जा रही है ।
यहाँ तक की कोलकता, अहमदाबाद और राष्ट्र की राजधानी दिल्ली में भी नवजात शिशुओ की मौत की बात आई है ।
डॉक्टर और विशेषज्ञों का यह मानना है की नवजात शिशुओ की मौत अलग अलग शहर में अलग अलग है क्योंकि कुछ राज्यों ने नवजात शिशुओ की मौत को मिटाने के लिए आधुनिक और पर्याप्त स्वस्थ्य सेवाए उपलब्ध कराई हैं जिसमे की गर्भधारण की हुई महिलाए और नवजात शिशुओ दोनों को ही सेवाए उपलब्ध कराई जाती हैं।
ऐसे राज्यों में जैसे की केरला में नवजात शिशुओ की मौत की दर बहुत कम है। पर यही बात जब बिहार और उड़ीसा जैसे राज्यों पर आती है तो वहां पर होने वाली मौत की संख्या और चिकित्सा सेवाए बहुत बदतर हैं ।यहाँ तक की बिहार के सबसे बढ़िया अस्पतालो में भी सही और आधुनिक यंत्र नहीं है की वे प्रसव की नाजुक स्थिति को संभाल सके और सरकारी अस्पतालों की सेवाए और चिकित्सक मदद के वादों के बावजूद भी यह दशा बदतर ही है ।इससे बड़ी बात यह है की नर्स और डॉक्टर में भी इंसानी जीवन के लिए कोई स्द्भाव्नानाहीं है और उन्हें अपने काम के प्रति जरा भी लगाव नहीं है ।
प्रसव , जनन, और बच्चे की सेवाए बीएस पैसा कमाने के एक ज़रिया हो गया है ।अन्य समस्या जिसकी वजह से नवजात शिशुओ की मौत बढ़ रही है वह है की गाँवों में आज भी बच्चे घर पर ही पैदा किये जाते हैं ।सदियों पुराने रूडी वादी तरीके जैसे की नवजात शिशुओ की नाक में सरसों का तेल डालना और अम्ब्लिक्ल कोर्ड में गाय का गोबर डालना बच्चे की सेहत को बहुत ही अच्छी तरह प्रभावित करता है ।
संक्रमण बहुत प्रचुर मात्रा में हो जता है और अभूत तेजी से फैलता है और उनको रोकने का कोई तरीका नहीं है ।समय की मांग तो यही है की कंता को आधारीय मूलभूत चिकित्सक सिवाय प्रदान की जाए ।
पर यह एक बहुत ही कठिन सपना है क्योंकि चिकित्सयी सेवाओ को हमेशा से ही बहुत कम महत्व दिया गया है ।
हम आपको एक ऎसी सूची बताते हैं जो की बड़े से बड़े बहादुर दिल को डर और आशंका से भर देंगे ।
- सिर्फ पश्चिम बंगाल में ४४ नवजात शिशुओ की मौत पिछले दो महीनो में हुई है । इस दिल देहला देने वाली संख्या में से २६ शिशु जुलाई ८ से जुलाई १० के बीच में दो अस्पातालो में मर गए जो की मुर्शीदाबाद में स्थित है ।
- नयी दिल्ली में इनक्यूबेटर के अंदर मौत की बड़ी संखया आई है जिसमे मौते मीरट और अलाहबाद में भी हुई हैं ।नाग्प्र में एक शिशु पिछले साल हीटर के जलने की वजह से मर गया ।सरकार के राजिंदर अस्पताल में ६ नवजात शिशुओ की मौत २०० में आई है जो की गलत इनक्यूबेटर के कारण हुई है ।ये छोटे बच्चे झुलस झुलस कर मौत के मुह में समा गए ।
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