
छोटी उम्र में हम अपने बच्चों को जितनी भी अच्छी बातें सिखाते हैं, वे उनका पूरी तरह पालन करने की कोशिश करते हैं, लेकिन उम्र के विकास के साथ जब वे बाहरी दुनिया के संपर्क में आते हैं तो बड़ों के मुंह से कोई भी बहाना या झूठ सुनकर वे घबरा जाते हैं। उनके लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि सही क्या है? इसलिए जरूरी है कि पेरेंट्स अपने बच्चों को समझाएं कि झूठ और व्यावहारिकता के बीच बहुत बारीक फर्क होता है।
अगर वह आपके साथ किसी के घर जाता है तो उसे पहले से समझा कर ले जाएं कि अगर हमें दूसरों के घर पर कोई चीज़ नापसंद भी हो तो भी हमें उसकी थोड़ी तारीफ करनी पड़ती है। अगर हम उस व्यक्ति के सामने उसके घर की बुराई करेंगे तो उसे दुख पहुंचेगा। इसे झूठ बोलना नहीं बल्कि, सामाजिक शिष्टाचार कहते हैं। इसी तरह उसे यह भी बताएं कि हर घर के कुछ फेमिली सीक्रेट्स होते हैं, जिनके बारे में बाहरी लोगों के सामने बातें नहीं करनी चाहिए। आपकी इन कोशिशों से वह सही सामाजिक व्यवहार सीख जाएगा।
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बच्चों में जरूरी है सकारात्मक बदलाव
जब बच्चे झूठ बोलते हैं या फिर किसी दिक्कत में फंस जाते हैं तो ऐसी समस्याओं के लिए उनके पेरेंट्स ही जि़म्मेदार होते हैं और उनका समाधान भी उन्हीं के हाथों में होता है। गलती करने पर जब आप अपने बच्चे को कोई निर्धारित सजा नहीं देंगी और उसे डांटते हुए उसकी सारी ज़रूरतें पूरी करती रहेंगी तो वह आपकी बातों को कभी भी गंभीरता से नहीं लेगा। आप एक-दो दिनों के लिए उसका खेलने जाना बंद कर दें। जब वह आपसे इसका कारण पूछे तो बिना क्रोधित हुए, लेकिन कड़े शब्दों में उसे बताएं कि रोज़ाना देर की आदत से अब उसे शाम को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यदि वह गिड़गिड़ाए तो भी उस दिन उसकी बात न मानें। भविष्य के लिए भी उसे समझा दें कि यदि वह शाम को देर से घर लौटेगा तो अगले दिन भी दोबारा वही सज़ा दोहराई जाएगी। यदि आप ऐसी कोई भी सज़ा देती हैं तो हर हाल में अपनी बात पर कायम रहें। यदि आप अपनी बातों पर पूरी तरह अमल करेंगी तो एक-दो महीने में ही वह वक्त की पाबंदी सीख जाएगा और आपको खुद ही उसके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव नज़र आने लगेगा।
बचाव टीनएज स्ट्रेस से
- टीनएजर्स पर पढ़ाई का दबाव बहुत ज्य़ादा होता है। इसलिए अपने बच्चे में टाइम मैनेजमेंट की आदत विकसित करें।
- उसे अपनी प्राथमिकताएं पहचानना सिखाएं।
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- उसकी गलतियों पर निगेटिव कमेंट्स या दूसरों से उसकी तुलना न करें, बल्कि उसे प्यार से समझाएं।
- इस उम्र में भावनाएं बहुत जल्दी आहत होती हैं। इसलिए टीनएजर्स को दूसरों के सामने डांटने से बचें।
- अपनी सोच पॉजिटिव रखें और उसके साथ हमेशा सकारात्मक बातें करें।
- उसके किसी भी गलत व्यवहार पर उसे शालीनता के साथ, लेकिन स्पष्ट रूप से मना करें।
- उसकी छोटी गलतियों को माफ करके उसके साथ सहज संबंध बनाना सीखें।
- तनावपूर्ण स्थितियों में खुद भी शांतिपूर्ण ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त करें।
- उसके साथ प्यार भरे माहौल में क्वॉलिटी टाइम बिताएं।
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