बच्चों के विकास और सेहत को लेकर कई धारणाएं प्रचलित हैं। ऐसे में ज्य़ादातर पेरेंट्स यही जानना चाहते हैं कि इन बातों में कितनी सच्चाई है? ज्यादातर माता-पिता के मन में बच्चों की सेहत से जुड़ी तमाम ऐसी बाते हैं जिनका सही जवाब नहीं मिल पाता है। उनके मन में कई तरह के भ्रम होते हैं। इन्हीं भ्रम को दूर करने के लिए हम आपको 10 ऐसे सवाल और और उनके जवाब बता रहे हैं जो बच्चों की सेहत और उनके विकास के लिए बहुत जरूरी है।
1. ज्य़ादा दूध पीने से बच्चों का कद तेज़ी से बढ़ता है?
निश्चित रूप से दूध कैल्शियम का बहुत अच्छा स्रोत है और इसका सेवन बच्चों के शारीरिक विकास में भी मददगार होता है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि ज्य़ादा दूध पीने से बच्चे की हाइट ज्य़ादा तेज़ी से बढ़ेगी। इस संबंध में सीधा-सरल नियम हमेशा याद रखें कि नवजात शिशु को छह माह तक केवल मां का दूध देना चाहिए। इस उम्र के बाद उसे गाय के दूध के अलावा दाल का पानी, सूजी की खीर, मैश किया हुआ केला और खिचड़ी-दलिया जैसी चीज़ें भी देनी चाहिए। एक साल की उम्र के बाद बच्चों के लिए सुबह-शाम दो कप दूध पर्याप्त होता है। इस उम्र के बाद आवश्यकता से अधिक मात्रा में दूध पीने वाले बच्चों के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने की आशंका रहती है।
2. दूध में डिब्बाबंद सप्लीमेंट मिलाकर पीने से बच्चों की अच्छी ग्रोथ होती है?
यह धारणा पूरी तरह गलत है। बाज़ार में अलग-अलग नामों से बिकने वाले कई तरह के ऐसे प्रोडक्ट मौज़ूद हैं, जिन्हें दूध में मिलाकर पीने की सलाह दी जाती है। यह सच है कि इनके सेवन से बच्चों को आंशिक रूप से प्रोटीन और कैल्शियम जैसे तत्व मिल जाते हैं पर अच्छी ग्रोथ से इसका कोई संबंध नहीं है। हां, कुछ बच्चों को दूध का स्वाद बिलकुल पसंद नहीं आता, तब ऐसे सप्लीमेंट फायदेमंद साबित होते हैं क्योंकि इन्हें मिलाने के बाद बच्चे आसानी से दूध पी लेते हैं।
3. गाजर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है?
यह सच है कि गाजर में मौजूद विटमिन ए आंखों की रोशनी के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह बच्चों को नाइट ब्लाइंडनेस से बचाता है लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि आप अपने बच्चे को केवल गाजर ही खिलाएं। लाल, पीले और नारंगी रंग के सभी फलों और सब्जि़यों में पर्याप्त मात्रा में विटमिन ए मौज़ूद होता है। इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जि़यां भी बच्चों की आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद होती हैं। इसलिए उनके खानपान में इन चीज़ों को प्रमुखता से शामिल करें। सबसे ज़रूरी बात, अगर किसी वजह से बच्चे की आंखों की दृष्टि कमज़ोर हो रही हो तो उसे डॉक्टर को दिखाएं। ऐसी स्थिति में केवल पौष्टिïक खानपान की मदद से इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
4. बच्चों की फिटनेस के लिए स्विमिंग फायदेमंद है?
स्विमिंग से बच्चों के पूरे शरीर की बहुत अच्छी एक्सरसाइज़ होती है। फिजिकल फिटनेस के लिए यह निश्चित रूप से फायदेमंद है। इसलिए आप अपने बच्चों को स्विमिंग ज़रूर सिखाएं लेकिन याद रखें कि इससे भी उनकी हाइट नहीं बढ़ती।
5. हैंगिंग बार में लटकने और स्किपिंग करने से हाइट बढ़ती है?
यह धारणा पूरी तरह भ्रामक है। ऐसे तरीकों से बच्चों का कद नहीं बढ़ाया जा सकता। उनका 95 प्रतिशत शारीरिक विकास आनुवंशिकता पर निर्भर करता है। इसमें उसकी डाइट और फिजिकल ऐक्टिविटीज़ का केवल 5 प्रतिशत ही योगदान होता है। हैंगिंग बार में लटकना या स्किपिंग (रस्सी कूदना) जैसी ऐक्टिविटीज़ बच्चों की फिटनेस के लिए अच्छी हो सकती हैं लेकिन इससे उनकी हाइट नहीं बढ़ाई जा सकती।
6. अच्छी ग्रोथ के लिए पर्याप्त नींद ज़रूरी है?
यह सच है कि 2 से 10 साल की उम्र तक बच्चों के लिए 8-9 घंटे की नींद बहुत ज़रूरी है। नींद से बच्चों के शरीर में एनर्जी लेवल मेंटेन रहता है, नींद में ही ग्रोथ हॉर्मोंस का सिक्रीशन होता है और इससे उनका शारीरिक विकास बेहतर ढंग से होता है। इसलिए अगर घर में इस आयु वर्ग के बच्चे हों तो दिनचर्या ऐसी होनी चाहिए कि इससे उनकी नींद में कोई खलल न पड़े।
7. विटमिन सी के सेवन से सर्दी-जुकाम नहीं होता?
यह बात सच है कि विटमिन सी बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अत: इसके सेवन से उनका इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है पर डॉक्टर की सलाह लिए बिना बच्चों को इसका सप्लीमेंट देना अनुचित है। बेहतर यही होगा कि आप उनकी डाइट में संतरा, अनन्नास, मौसमी और अंगूर जैसे खट्टे फलों को प्रमुखता से शामिल करें क्योंकि इनमें पर्याप्त मात्रा में विटमिन सी पाया जाता है।
8. जिमनास्टिक और बैले डांस की वजह से बच्चों की ग्रोथ रुक जाती है?
यह धारणा पूरी तरह गलत है। ऐसी किसी भी ऐक्टिविटी से बच्चों के शारीरिक विकास में कोई रुकावट नहीं आती, बल्कि इससे उनका शरीर चुस्त-दुरुस्त बना रहता है। वैसे भी, बच्चे हॉबी क्लासेज़ में थोड़ी देर के लिए ही डांस या जिमनास्टिक की प्रैक्टिस करते हैं। उनके शरीर पर इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं पड़ता। हां, जो बच्चे लंबे समय तक एडवांस लेवल पर बैले या जिमनास्टिक की ट्रेनिंग लेते हैं, उनकी मांसपेशियों और जोड़ों पर थोड़ा दबाव ज़रूर पड़ता है। ऐसी स्थिति में उनके कोच स्पेशल डाइट और एक्सरसाइज़ के ज़रिये बच्चों की सेहत का पूरा ध्यान रखते हैं।
9. बादाम-अखरोट खिलाने से बच्चों का मानसिक विकास ज्य़ादा तेज़ी से होता है?
यह धारणा गलत है कि अगर बच्चों को अधिक मात्रा में बादाम और अखरोट खिलाया जाए तो इससे उनका मानसिक विकास ज्य़ादा तेज़ी से होता है। हां, इन ड्राई फ्रूट्स में मौज़ूद ओमेगा-3 फैटी एसिड से ब्रेन के मेमोरी वाले हिस्से को पोषण ज़रूर मिलता है पर इसका मतलब यह भी नहीं है कि बादाम-अखरोट खाने वाले बच्चों का दिमाग दूसरों की तुलना में ज्य़ादा तेज़ होता है। अगर बच्चे को संतुलित डाइट दी जाए तो इससे उनके ब्रेन को भी पर्याप्त पोषण मिल जाता है।
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10.खुली जगहों में खेलने से बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है?
यह सच है कि पार्क जैसी खुली जगहों में खेलने वाले बच्चों का इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है। सूरज की रोशनी में मौज़ूद विटमिन डी उनकी हड्डियों के विकास के साथ उनके ब्रेन के लिए भी फायदेमंद होता है। इसके साथ वातावरण में मौज़ूद वायरस और बैक्टीरिया के संपर्क में आने के बाद बच्चों के शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज़ सक्रिय और मज़बूत होती हैं। पार्क में खेलने-कूदने वाले बच्चे शारीरिक रूप से अधिक मज़बूत और सक्रिय होते हैं। इसलिए उन्हें बाहरी वातावरण के संपर्क से बचाकर नहीं रखना चाहिए।
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