
सर्दियों के मौसम में हर उम्र के लोगों को खास देखभाल की आवश्यकता होती है। लेकिन नवजात शिशुओं को इस मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा चाहिए होती है।
जाड़ों के मौसम में शर्दी-जुख़ाम जैसी आम समस्या से बचे रहने के लिए हर उम्र के लोगों को सही प्रकार से देख-भाल की आवश्यकता होती है। लेकिन नवजात शिशुओं को इस मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा चाहिए होती है। सर्दियों में अधिकतर लोग घरों के अंदर रहना ही पसंद करते हैं और ऐसे में बीमारियों के फैलने की आशंका भी अधिक होती है। इस लेख में जानें सर्दियों में नवजात की देखभाल कैसे करें।
हर माता-पिता के लिए उनके छोटे बच्चे से प्यारा और कोई नहीं होता। ऐसे में वे अपने शिशु के स्वास्थ्य को लेकर खासा चिंतित भी रहते हैं। नवजात शिशु को लेकर यह चिंता तब और भी ज्यादा हो जाती है, जब सर्दियों का मौसम आता है। इस मौसम में शिशु अधिक बीमार पड़ते हैं, इसलिए उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में शिशु की देखभाल कैसे कि जाए इस बात की सही जानकारी होना बेहद जरूरी हो जाता है।
सर्दियों में नवजात की देखभाल
आमतौर पर माताएं अपने शिशुओं को सर्दी से बचाए रखने के लिए उसकी छाती को 2-3 भारी से ऊनी कपड़ों से ढंक देती हैं, लेकिन उसके पैरों व सिर को ठीक प्रकार से नहीं ढंकतीं, जिससे बच्चे को ठंड लगने का खतरा बना रहता है। शिशु रोग विशेषज्ञ इस विषय में कहते हैं कि अधिकांश लोगों में यह भ्रम होता है कि शिशु को ठंड छाती के जरिये जल्दी लगती है। जबकि सत्य तो यह है कि पैरों व सिर से सर्दी लगने का खतरा ज्यादा होता है। यही नहीं शिशु की छाती को ज्यादा ढंककर रखना उसके लिए नुकसानदेह हो सकता है।
दरअसल हमारा शरीर, ब्राऊन तथा वाइट इन दो प्रकार की सैल्स में बंटा है। शरीर में 75 प्रतिशत ब्राऊन पार्ट जन्मजात होता है, जो हमारी छाती व पीठ का हिस्सा होता है। यह पार्ट हमारे शरीर को कम से कम और ज्यादा से ज्यादा तापमान में भी सुरक्षित रखने का काम करता है। बात यदि शिशुओं की हो तो, शिशु के शरीर के नीचे का हिस्सा तापमान के प्रति थोड़ा अधिक संवेदनशील होता है। तापमान में अकस्मात परिवर्तन शिशु को बीमार करने का प्रमुख कारण होता है। पूरे विश्व में लगभग 30 प्रतिशत शिशुओं की मृत्यु के प्रमुख कारण लूज मोशन, निमोनिया व सांस की बीमारी है। चिंताजनक है कि हमारे देश में शिशुओं में मृत्यु का यह आंकड़ा 40 प्रतिशत तक है।
सर्दियों में शिशुओं की देखभाल के लिए पहले इसके सही तरीकों को समझना होगा। शिशु के पेट से नीचे का भाग अधिक संवेदनशील होता है, इसलिए हमेशा शिशु के पैरों को ढंक कर रखना चाहिए। छाती को उतना ही ढंकें, जितनी जरूरत हो। शिशु का सिर जरूर ढंककर रखें। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ बातें-
• ठंड में बच्चे को नहलाना ज़रूरी नहीं, उसकी साफ-सफाई के लिए किसी साफ कपड़े को गर्म पानी में भिगो कर उसे पोछ दें ।
• बच्चा जितना आराम करना चाहे, उसे आराम करने दें और बच्चे को नींद से ना जगायें।
• बच्चे को समय-समय पर मां का दूध दें क्योंकि मां का दूध शिशु की आहार पूर्ति करता है।
• सर्दियों में बच्चे को कम से कम घर से बाहर ले जाने का प्रयास करें। कमरे में हीटर को बहुत तेज न चलाएं, और अचानक तापमान परिवर्तन से बचें।
• सर्दियों में संक्रमण अधिक होता है। कोई भी व्यक्ति जिसे सर्दी-जुकाम या कोई संक्रामक बीमारी है, उसे बच्चे से या मां से दूर रखें।
• अगर बच्चे को डायरिया या हाइपोथर्मिया की समस्या लगती है, तो तुरंत चिकित्सक को दिखायें।
• शिशु की नैपी समय-समय पर बदलते रहें क्योंकि गीलेपन से संक्रमण फैल सकता है।
• बच्चे को रोज 15 से 20 मिनट तक सुबह की धूप में टहलायें।
• बच्चे को नहलाने से पहले उसकी मालिश भी जरूर करें।
खुशी की बात है कि हमारे देश में पोलियो, रक्तदान व एड्स जैसी अनेक बीमारियों को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन शिशुओं की इन गंभीर बीमारियों और बढ़ती मृत्यु दर को लेकर कोई जागरूकता अभियानों को भी शुरू करना बेहद जरूरी है।
Read More Article On Newborn Care In Hindi.
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।