शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हुआ और हमने गोली खा ली। यह जाने समझे बिना कि आखिर उसका प्रभाव क्या होगा। या फिर उसका नाम क्या है। दवा का असर कितना होगा और इसके साइड इफेक्ट क्या हो सकते हैं। अकसर दर्द निवारक लेते समय हम कई गलतियां करते हैं। और ये गलतियां कई बार बेहद खतरनाक हो सकती हैं।
गलती नंबर 1 - एक ही काफी है
डॉक्टर हमें पूरी समझदारी से दवा देता है। और साथ ही वह खुराक भी सही सुझाता है। कई बार जब हमें एक गोली खाने से आराम नहीं होता, तो हम दो और कई बार तीन गोलियों का सेवन करने लगते हैं। दवा का ओवरडोज दर्द को तो कम नहीं करता, हां इसका उलटा असर जरूर पड़ सकता है।
संभव है कि गोली खाने के पांच मिनट बाद आपको आराम न हो। लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं कि आप दर्द से जल्द निजात पाने के चक्कर में दो तीन गोलियां खा लें। कुछ दर्द निवारक ऐसे भी होते हैं जिनमें पहली गोली के बाद दूसरी गोली खाने से, पहली का असर पूरी तरह समाप्त हो जाता है। वहीं, कुछ दवाओं का ओवरडोज आपको अस्पताल भी पहुंचा सकता है।
यदि दवा खाने के बाद भी आपको आराम न पहुंचे, तो दूसरी गोली खाने के बजाय अपने डॉक्टर से संपर्क करें। वह आपको सही रास्ता सुझाएगा।
इसके अलावा लोग एक अन्य गलती भी करते हैं। अगर उन्हें दर्द से राहत न मिले, तो वे एक के बाद एक अलग-अलग दर्द निवारकों का सेवन करने लगते हैं। ऐसा करके वे अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ही करते हैं। ज्यादा दर्द निवारक आपकी समस्या में इजाफा ही करेंगे। भूल से भी अपने डॉक्टर खुद बनने की कोशिश न करें।
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गलती नम्बर 2- दवा मालूम ही नहीं
अकसर लोग दर्द के लिए आसानी से मिलने वाली किसी भी दवा का सेवन कर लेते हैं। ज्यादातर बार उन्हें दवा का नाम मालूम नहीं होता। यह कोई स्वस्थ और जागरुक संकेत नहीं है।
और अगर दर्द से जल्दी और अधिक राहत पाने के लिए वे फिर किसी दवा का सेवन कर लेते हैं, तो उन्हें ओवरडोज की शिकायत हो सकती है। अधिकतर ओवर द काउंटर (ओटीसी) यानी डॉक्टर के पर्चे के बिना आसानी से मिलने वाली गोलियों में कई दवाओं का मिश्रण होता है, जो दर्द से पूरी तरह राहत दिलाने के लिए बनायी गयी होती हैं।
गलती नम्बर 3 - दवा के साथ एल्कोहल का सेवन
दर्द के लिए ली जाने वाली दवाओं के साथ एल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए। ये दोनों चीजें आमतौर पर एक दूसरे के असर को बढ़ाती हैं। इसलिए दर्द के लिए सुझायी जाने वाली ज्यादातर दवाओं पर 'नो-एल्कोहल' का स्टीकर चिपका होता है।
आमतौर पर लोग इस 'नो-एल्कोहल' को केवल शराब से जोड़कर देखते हैं। उनका मानना होता है कि जब तक वे शराब का सेवन नहीं कर रहे, तब तक घबराने की कोई बात नहीं। लेकिन, वास्तव में नो-एल्कोहल का अर्थ है बीयर, वाइन या किसी भी ऐसी चीज का सेवन न करना जिसमें एल्कोहल होता हो।
लोगों को इस चेतावनी को गंभीरता से लेने की जरूरत होती है। इस चेतावनी को नजरअंदाज करना बहुत भारी पड़ सकता है। एल्कोहल से आपको नशा होता है और दर्द दूर करने वाली कुछ दवायें भी इसी प्रकार का प्रभाव डालती हैं। तो, दुगना नशा आपको बहुत ज्यादा परेशानी में डाल सकता है। आसानी से मिलने वाले दर्द-निवारकों के साथ भी शराब का सेवन पूरी तरह अवांछनीय होता है।
गलती नम्बर 4 - दवायें मिलाकर खाना
दर्द के लिए कोई गोली खाने से पहले बेहतर होगा अगर आप अन्य विकल्पों पर विचार कर लें। आप उन घरेलू उपायों और अन्य हर्बल दवाओं के बारे में भी सोचें जिनका इस्तेमाल आप कर रहे हैं। दो प्रकार की दवाओं के मेल से कई बार संक्रमण की भी आशंका होती है। इससे आपको साइड-इफेक्ट भी हो सकते हैं।
तो, बेहतर रहेगा कि अपने डॉक्टर को उन सब दवाओं के बारे में बतायें जिनका सेवन आप कर रहे हैं। आप उन्हें सप्लीमेंट्स, दवाओं और हर्बल औषधियों के बारे में बताने से परहेज न करें।
यदि आप आसानी से मिलने वाली दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो आप केमिस्ट से भी यह जानकारी साझा कर सकते हैं।
गलती नम्बर 5- दवा के बाद ड्राइविंग
दर्द की दवायें आपको उनींदा बना सकती हैं। अलग-अलग व्यक्ति अलग-अलग दवाओं पर अलग तरीके से प्रतिक्रिया देता है। दर्द के लिए किसी दवा पर आपकी प्रतिक्रिया मेरी प्रतिक्रिया से भिन्न होगी। हो सकता है कि उस दवा को खाने के बाद मुझे नींद न आए, लेकिन यह भी संभव है कि उस दवा को खाने के बाद आपकी आंखें भारी हो जाएं। तो, दर्द की किसी दवा को पहले घर पर आजमायें। ड्राइविंग पर जाते समय दर्द की गोलियों के सेवन से परहेज करना ही बेहतर है।
गलती नम्बर 6- डॉक्टर की लिखी दवाओं को साझा करना
आप अकसर अपने किसी दोस्त, रिश्तेदार या सहकर्मी के साथ डॉक्टर का लिखा पर्चा साझा करते हैं। और ज्यादातर बार दवायें भी। यह कोई समझदारी भरा कदम नहीं है। हर व्यक्ति के दर्द का एक ही इलाज नहीं होता।
मान लीजिये कि किसी व्यक्ति को दर्द है, और वह उसकी दवा ले रहा है। और वह अपनी किसी सहकर्मी को भी दर्द के लिए वही दवा दे देता है, तो भले ही उसकी नीयत साफ हो, लेकिन इससे उस सहकर्मी का नुकसान ही होगा।
क्या पता आखिर उसके दर्द की वजह क्या है। हो सकता है उसे एलर्जी हो या फिर कोई अन्य संक्रमण। आखिर आप क्यों बेवजह किसी का दर्द बढ़ाने का कारण बनते हैं।
गलती नम्बर 7 - फॉर्मिस्ट से बात न करना
दवाओं पर लिखे हुए लेबल को पढ़ना आसान नहीं होता। अगर दवा को लेकर आपके मन में किसी प्रकार की दुविधा है, तो आप केमिस्ट या दवा विक्रेता से उस बारे में पूछ सकते हैं। आखिर दवा विक्रेता आखिर होता किसलिए है। हो सकता है कि आपको कुछ मिनट इंतजार करना पड़े, लेकिन आप एक बार केमिस्ट से पूछ सकते हैं कि आखिर अमुक दवा किसलिए है और इसकी कितनी डोज लेनी चाहिए।
तो अगली बार जब आप दवाओं का सेवन करें, तो उससे पहले इन जरूरी बातों की अनदेखी न करें। इन बातों का खयाल रख न केवल आपको अपना दर्द कम करने में आसानी होगी, बल्कि साथ ही आप कर्इ अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी बचे रहेंगे।
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