साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड क्या होता है? फर्स्ट एड का काम होता है प्राथमिक चिकित्सा देना पर अगर चोट या तकलीफ शारीरिक नहीं मानसिक हो तो हमें साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड की जरूरत पड़ती है। साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड का मतलब है किसी ऐसे इंसान को इमोशनल सपोर्ट देना जो चिंता या दुख का शिकार हो। क्या आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है जो चिंता, डर या गुस्से का शिकार है? अगर हां तो आप उसकी मदद साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड से कर सकते हैं। जब हमें गुस्सा आता है या जब हम दुखी होते हैं उस समय हमें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत पड़ती है जो हमें संभाल सके, जिसकी बातें सुनकर दिमाग शांत हो जाए। साइकोलॉजीकल हेल्थ में इसे साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड का नाम दिया गया है। आपको इसके लिए कोई डिग्री नहीं चाहिए होती, जरूरत पड़ने पर आप किसी भी मददगार व्यक्ति को साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड दे सकते हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड क्या है? (What is Psychological First Aid)
साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड का इस्तेमाल चिंता, डिप्रेशन, एंग्जाइटी या अधिक गुस्सा आने जैसी परेशानियों से गुजर रहे व्यक्तियों के लिए किया जाता है। ये एक तरह की काउंसलिंग है जिसमें मानसिक समस्या से जूझ रहे व्यक्ति से बात करके उसकी परेशानी दूर की जाती है। हालांकि ये साइकोलॉजिकल हेल्थ का हिस्सा है पर साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड किसी मेडिकल उपचार की जगह नहीं ले सकता बस इसे प्राथमिक उपचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है ठीक वैसे जैसे आप अस्पताल जाने से पहले फर्स्ट एड किट यूज करते हैं। इसे रिस्पांसिबिलिटी बिल्डिंग वेलनेस प्रोग्राम भी कहा जाता है।
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साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड देने का तरीका (Steps to give Psychological First Aid)
जिस व्यक्ति को साइकोलॉजिकल हेल्प की जरूरत है वो किसी भी दोस्त या रिश्तेदार या करीबी से मदद ले सकता है। ये कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं है इसलिए साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड को कोई भी व्यक्ति आसानी से दे सकता है। बस कुछ चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है।
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1. पीड़ित व्यक्ति की बात सुनना (Listening)
पीड़ित व्यक्ति का मन शांत करने के लिए पहला स्टेप है उसकी बात ध्यान से सुनना। इस दौरान आपको पीड़ित की आंखों में देखकर आई कॉन्टेक्ट बनाना है ताकि आप उसका विश्वास हासिल कर सकें और उसे इस बात का अहसास हो कि आप उसकी बात ध्यान से सुन रहे हैं।
2. प्रोत्साहन देना (Motivate)
मानसिक समस्या से किसी को बाहर निकालने के लिए प्रोत्साहन यानी मोटिवेट करना बहुत जरूरी है। आपको समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को दिलासा देना है कि वो जिस परेशानी से घिरा है वो दूर हो जाएगी। इससे व्यक्ति को हल्का महसूस होगा।
3. मेडिकल हेल्प के लिए प्रेरेत करना (Medical help)
साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड मानसिक इलाज की जगह नहीं ले सकता इसलिए आपको मानसिक समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को साइकोलॉजिस्ट या मनोवैज्ञानिक के पास जाने के लिए मनाना है ताकि आगे चलकर भविष्य में कोई अनहोनी न हो। अक्सर मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति सोसाइड जैसे कदम उठा लेते हैं इसलिए मेडिकल हेल्प जरूरी है।
4. अपने फैसले न थोपें (Avoid imposing decision)
अगर पीड़ित व्यक्ति आपसे बात करने में असहज महसूस कर रहा है तो उसके साथ जबरदस्ती न करें। किसी और विषय पर बात करें और धीरे-धीरे परेशानी के बारे में जानें। अगर फिर भी व्यक्ति कंफर्टेबल नहीं है तो उससे फिर कभी बात करें।
5. पीड़ित की बात को निजी रखना (Protect confidential information)
साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड में सबसे अहम बात है कि आप जिस व्यक्ति की मदद कर रहे हैं उसकी निजता का ख्याल करना। आपको अपना समझकर जिसने आपको मन की बात बताई है उसका सम्मान रखते हुए बात को गोपनीय रखें तभी आप व्यक्ति का विश्वास जीत पाएंगे।
ये कुछ आसान स्टेप्स हैं जिनकी मदद से आप एंग्जाइटी, एंगर या डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति की मदद कर सकते हैं पर साइकोलॉजिस्ट की मदद जरूर लें।
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