टाइप 1 डायबिटीज के उपचार के लिए वैज्ञानिकों को नई जानकारी हाथ लगी है। अमेरिका में हुई एक शोध से सामने आया है कि त्वचा संबंधी रोगों में इस्तेमाल होने वाली एक दवा टाइप 1 डायबिटीज के उपचार में भी कारगर है।
परीक्षण से पता चला है कि स्किन ट्रीटमेंट में प्रयोग की जाने वाली 'अलफेसेप्ट' नाम की दवा शरीर में इन्सुलिन पैदा करती है। जो कि टाइप-वन डायबिटीज से ग्रसित मरीजों के उपचार के लिए जरूरी है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि ये दवा डायबिटीज के अन्य इलाजों से बेहतर साबित हो सकती है, क्योंकि यह प्रतिरक्षा तंत्र की रक्षा करती है। हालांकि अभी इस दवा पर शोधकर्ताओं को और शोध करने की जरूरत है।
शोध के परिणाम 'द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रायनोलॉजी' जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। अलफेसेप्ट बाजार में 2011 तक एमिवाइव के नाम से बिकती है, जिसका इस्तेमाल कुछ समय पहले तक अमेरिका में त्वचा संबंधी रोगों में किया जाता था।
यूरोपीय बाजारों में इस दवा की बिक्री को मंजूरी नहीं मिलने के बाद निर्माताओं ने इसे मार्केट से वापस ले लिया था। अलफेसेप्ट से संबंधित शोध को अमेरिका के इंडियानापोलिस के इंडियाना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि दवा का प्रभाव उस व्यक्ति पर भी पड़ रहा था जिसका हाल ही में टाइप 1 डायबिटीज का इलाज हुआ था। परीक्षण में 33 मरीजों को लगातार 12 हफ्तों तक अलफेसेप्ट की सुई लगाई गई, 12 हफ्ते बाद फिर यही प्रक्रिया दोहराई गई।
वहीं 16 मरीजों को इसी तरह की नकली सुई लगाई गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि खाना खाने के दो घंटे बाद पैंक्रियाज से इन्सुलिन के उत्पादन में किसी तरह का अंतर नजर नहीं आया। दो समूहों में खाने के चार घंटे बाद उन्हें महत्वपूर्ण अंतर दिखा।
इस दौरान पाया गया कि जिस समूह ने दवा ली थी, वह इन्सुलिन की रक्षा करने में सक्षम है, जबकि नकली दवा लेने वालों के इन्सुलिन स्तर में गिरावट देखी गई।
Read More Health News In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version