ऑटिज्म एक मानसिक रोग है जिसके लक्षण जन्म को बाद से ही दिखते हैं। जिन बच्चों में यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चों से असामान्य होता है। ऑटिज्म के पीछे के वास्तविक कारणों की खोज अभी तक नहीं हुई है। कुछ शोधों के अनुसार ऑटिज्म होने के कई कारण हो सकते है जैसे: मस्तिष्क की गतिविधियों में असामान्यता होना, मस्तिष्क के रसायनों में असामान्यता होना। जन्म से पहले बच्चे का विकास सामान्य रूप से न हो पाना। लेकिन इससे बचाने में एमएमआर वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ऑटिज्म एंड्र्यू वेकफील्ड की एक स्टडी ब्रिटिश मेडिकल जर्मन में 1998 में प्रकाशित हुई थी, उसके मुताबिक एमएमआर वैक्सीन ऑटिज्म से जुड़ी हुई है। उन्होंने ऐसे बच्चों पर स्टडी की जो सामान्य थे लेकिन फिर अचानक से वो विकास और सामाजिक होने से जुड़ी अक्षमताओं से ग्रस्त हो गए। वेकफील्ड ने निष्कर्ष निकाला कि इन बच्चों को जो वैक्सीन दिया गया था उसकी वजह से ही ऐसा हुआ है।
लेकिन बाद के रिसर्च में ये बात सामने आई कि पिछली रिसर्च सही नहीं थी। जिन बच्चों के बड़े भाई-बहन को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर (एएसडी) के से पीड़ित थे, उन्हें भी मीजल्स-मम्प्स-रूबैला वैक्सीनेशन से उनका ऑटिज्म का जोखिम नहीं बड़ा। बल्कि ये बात सामने आई की इससे जोखिम कम ही होता है। पहले जो जोखिम 0.76 पाया गया वो एमएमआर की दो डोस के बाद घट कर 0.56 हो गया।
क्या है ऑटिज्म
एक मानसिक विकार है, जो पैदा होने के बाद के 3 सालों तक बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करता है। इससे प्रभावित व्यक्ति कुछ खास व्यवहार-क्रियाओं को दोहराता रहता है और यह जीवनपर्यंत बना रहता है।
ऑटिज्म के लक्षण
इस मानसिक विकार से ग्रस्त ग्रस्त व्यक्ति परस्पर संबंध स्थापित नहीं कर पाते हैं। उनकी संप्रेषण क्षमता अत्यधिक प्रभावित होती है। इससे ग्रस्त लगभग 50 प्रतिशत बच्चों में भाषा का विकास नहीं हो पाता है। वे प्रकाश, ध्वनि, स्पर्श और दर्द जैसे संवेदनों के प्रति असामान्य प्रतिक्रिया दर्शाते हैं। वे एक ही क्रिया, व्यवहार को दोहराते हैं, जैसे- हाथ हिलाना, शरीर हिलाना और बिना मतलब की आवाजें करना आदि।
ऑटिज्म के साथ दूसरी शारीरिक समस्यायें भी हो सकती हैं, जैसे- मानसिक विकलांगता, मिर्गी, बोलने व सुनने में कठिनाई आदि।
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