अपने आहार में नमक की मात्रा कम करने से आपको खर्राटों से निजात मिल सकती है। ब्राजील के शोधकर्ता तो यही मानते हैं। इस थ्योरी की जांच करने के लिए ऑब्स्ट्रकटिव स्लीप अप्नोइया अथवा ओएसए के मरीजों पर चिकित्सकीय जांच चल रही है।
इस परिस्थिति में, जो ऐसा माना जाता है कि हर 20वें व्यक्ति को होती है, रात को सोते समय गला लगातार बंद होता रहता है, जिससे फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में हवा नहीं मिल पाती। इस रुकावट को एप्नोइस कहा जाता है। इसके कारण रात में व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है। मधुमेह और सांस संबंधी बीमारी से ग्रस्त लोगों को खर्राटे की परेशानी होने का खतरा दोगुना होता है।
पिछले महीने शुरू हुयी जांच में ब्राजील के हॉस्पिटल डे क्लिनिक्स डे पोर्टो अल्गेर, में 54 मरीजों को रोजाना मूत्रवर्धक दवाओं का सेवन करने को दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें कम नमक युक्त आहार खाने को दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें किसी प्रकार का कोई इलाज नहीं दिया जाएगा। इसके बाद मरीजों की सप्ताह दर सप्ताह जांच की जाएगी।
मूत्रवर्धक दवायें और लो-सॉल्ट आहार दोनों मरीज के शरीर में नमक की मात्रा को कम करेंगी। ऐसा माना जाता है कि अधिक नमक के कारण शरीर में अम्ल बनने लगता है। जब व्यक्ति सोने जाता है तो यह अम्ल उसके नाक में पहुंच जाता है, इससे शरीर के ऊपरी हिस्से में वायु प्रवाह कम हो जाता है और स्लीप अप्नोइया की शिकायत होती है।
इससे पहले टोरंटो विश्वविद्यालय में हार्ट फैल्योर पर हुए शोध में यह बात सामने आयी कि डायटरी नमक स्लीप एप्नोइया पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दिल के मरीज आम लोगों के मुकाबले दोगुना नमक खा रहे थे। इस नये शोध में लो-सॉल्ट डायट और मूत्रवर्धक दवाओं के सेवन की तुलना की जाएगी।
इस शोध पर टिप्पणी करते हुए स्लीप रिसर्च सेंटर, लॉबोरो यूनिवसिर्टी, के प्रोफेसर जिम हॉर्न का कहना है कि हमारा विचार है कि यह ट्रीटमेंट गले के आसपास सूजन कम करने में मदद करेगा जिससे खर्राटे और एप्नोइया को कम करने में मदद मिलेगी। हालांकि यह दवा का एक साइड इफेक्ट यह भी है कि इससे आपको रात में कई बार शौचालय जाना पड़ सकता है, जिससे नींद में अलग तरह से खलल पड़ेगा।
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