बच्चों में मोटापे की समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इससे न सिर्फ उन्हें वर्तमान में, बल्कि भविष्य में भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए 'टेम्पल यूनिवर्सिटी शोधकर्ताओं ने बच्चों में बढ़ते मोटापे को नियंत्रित करने के लिए आसान सा तरीका सुझाया है। उनके मुताबिक, बच्चों में जल्दी सोने की आदत से उन्हें बढ़ते वजन के खतरे से बचाया जा सकता है।
आमतौर पर बच्चों में बढ़ते मोटापे के लिए फास्ट फूड, सॉफ्ट ड्रिंक और मीठी चीजों को जिम्मेदार माना जाता है। लेकिन इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि नींद की कमी बच्चों में मोटापे के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होती है। शोधकर्ताओं ने कई बच्चों के खान-पान, शारीरिक सक्रियता व सोने-जागने की आदतों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। उन्होंने आठ से 11 वर्ष के बच्चों को अध्ययन में शामिल किया। अध्ययन के पहले हफ्ते में बच्चों को उनकी दिनचर्या के मुताबिक सोने को कहा गया। दूसरे हफ्ते के दौरान कुछ बच्चों के सोने का समय घटा दिया गया जबकि कुछ का बढ़ा दिया गया।
तीसरे हफ्ते में इन बच्चों के सोने की दिनचर्या आपस में बदल दी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि जब बच्चों को सोने का ज्यादा समय मिला तो उन्होंने हर दिन 134 कम कैलोरी का सेवन किया। इससे उनके वजन में करीब आधा पौड की गिरावट दर्ज की गई। इसके मुकाबले कम सोने के दौरान उनके कैलोरी सेवन में बढ़ोतरी देखी गई।
शोधकर्ता के अनुसार, शरीर में मौजूद लेप्टिन हार्मोन भूख बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है। भरपूर नींद लेने से इस हार्मोन की सक्रियता कम हो होती है जिससे इनसान को जल्दी भूख का अहसास नहीं होता और वह कम कैलोरी का सेवन करता है। वयस्कों को जहां सात से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए, वहीं बच्चों के लिए नौ से दस घंटे की नींद जरूरी है।
प्रमुख शोधकर्ता डाक्टर चैटेल हार्ट के मुताबिक, स्कूल जाने वाले बच्चों में ज्यादा सोने की प्रवृति को बढ़ावा देकर अभिभावक उन्हें मोटापे की गिरफ्त में आने से रोक सकते है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस दिशा में अभी और पुख्ता परिणाम प्राप्त करने की जरूरत है।
Read More Health News In Hindi