हिंदी फिल्मों में अक्सर एक्टर और एक्ट्रेस यह कहते हुए दिख जाते हैं कि उन्हें पहली नजर में प्यार हो गया। उनकी इन बातों को आज की युवा पीढ़ी भी सही मान लेती हैं। लेकिन पहली नजर में प्यार हो जाना एक भ्रम के अलावा और कुछ भी नही है। अब तक हुए तमाम रिसर्च से पता चलता है कि पहली बार में प्यार कभी नही हो सकता है। रिसर्च कहते हैं कि प्यार की भावना जागने के लिए कम से कम 3 से 4 मुलाकातों का होना जरूरी है। ऐसा माना जाता है कि जब तक दो लोग आपस में कई बार ना मिलें तब तक उनमें एक दूसरे के प्रति आकर्षण नही जागता है। यहां क्यूपिड के प्रेम भेदी तीर भी काम नही आते। हो सकता है उनके बीच आकर्षण तभी बढ़ता हो जब उनके बीच मिलने जुलने के मौके बढ़ते हैं।
क्या कहता है शोध
यह मौहब्बत का तीर, जिगर के पार हो जाता है पता भी नहीं चलता, न जाने कब प्यार हो जाता है इस बारे में एक बात तो तय है कि दुनिया चाहे कुछ भी बोलती रहे, प्यार करने वाले इस बेकार के विवाद में नहीं फंसते कि प्यार और पहली नजर में कोई रिश्ता होता है या नहीं? लेकिन न्यूयॉर्क स्थित हेमिल्टन कॉलेज के साइक्लॉजिस्ट रवि थिरूचसेलवम ने अपने एक रिसर्च में एक यंग महिला और पुरूषों की टीम को कुछ फोटो दिखाई गई। इसके बाद लोगों के दिमाग से एक तार अटैच किया और मॉनीटर पर उनके आकर्षण के विभिन्न स्तर को पिक्चर में देखा। फिर उन्होंने प्रतिभागियों को वही स्नैप्स दूसरी बार दिखाई और उनको रेटिंग दिया। जिन लोगों से टीम के लोगों ने दोबारा मिलना चाहा उस तस्वीर को दोबारा दिखाया तो आकर्षण की तीव्रता में बढ़ोत्तरी दिखी। तस्वीर को तीन बार दिखाने के बाद जब चौथी बार दिखाया गया तो लोगों के दिमाग में एक्साइटमेंट और खुशी दोनों में तीव्रता पाई गई।
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बिना भरोसे के प्यार नहीं
प्यार पर हुए रिसर्च बताते हैं कि इसमें भरोसे का होना बहुत जरूरी है। बिना भरोसे प्यार नही हो सकता है। इसीलिए पहली नजर में प्यार होने का कोई चांस नही है। जब आप अपने पार्टनर के साथ कई बार मिलते हैं उनके साथ थोड़ा समय बिताते हैं एक दूसरे के प्रति भरोसा बढ़ता है। जो दोनों के बीच होने वाले प्यार के लिए बहुत जरूरी है।
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