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नवजात शिशुओं में मलेरिया की वैक्सीन कम प्रभावी क्यों होती है? डॉक्टर से जानें

नवजात शिशुओं के लिए कई वैक्सीन प्रभावी नहीं होती हैं। हाल ही में हुई रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है। आगे जानते हैं कि 5 माह से कम आयु के बच्चों में किस वजह से मलेरिया की वैक्सीन प्रभावी नही होती है।
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नवजात शिशुओं में मलेरिया की वैक्सीन कम प्रभावी क्यों होती है? डॉक्टर से जानें


प्रेग्नेंसी के दौरान महिला जिस तरह के आहार का सेवन करती है, उसके पोष्टिक गुण बच्चे को भी मिलते हैं। सरल भाष में कहा जाए तो बच्चा मां के गर्भ में अपनी आवश्यकता को मां के आहार से ही पूरा करता है। विटामिन और मिनरल्स के साथ ही इस दौरान बच्चे को मां के एंटीबॉटिज में भी मिलते हैं। हालांकि वह जब गर्भ से बाहर आता है तो उसकी इम्यूनिटी कमजोर (Less Immunity) होती है। ऐसे में उसको कुछ वैक्सीन दी जाती है। लेकिन, बच्चे के लिए हर वैक्सीन प्रभावी नहीं होती है। इस बात का खुलासा हाल में हुए एक रिसर्च से पता चला है। एंटीबॉडी (Antibodies) प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए गए प्रोटीन होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। यह वायरस (Virus) और बैक्टीरिया (Bacteria) को पहचानकर, उन्हें नष्ट करने करते हैं। एंटीबॉडिज हर उन बैक्टीरिया और वायरस से आपको बचा सकते हैं, जिनका शरीर में पहले से रोग का कारण बनते हैं। इस लेख में यशोदा अस्पताल के पीडियाट्रिक्स सीनियर कंसल्टेंट डॉ दीपिका रुस्तगी से जानते हैं कैसे मलेरिया वैक्सीन नवजात शिशु के लिए कम प्रभावी होती है?

नवजात शिशु में मलेरिया की वैक्सीन कम प्रभावी क्यों होती है? - Why Malaria Vaccines Are Less Effective In Babies in Hindi

बार्सीलोना इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ ने नवजात शिशुओं पर एक स्टीज की थी। यह रिसर्च अफ्रीका के सात सेंटरों पर की गई थी, जो लेंसेट इंफेक्सियस डिजीज में छपी है। इसमें करीब 6 सप्ताह से 17 सप्ताह तक के करीब 600 शिशुओं के सैंपल लिए गए थे। यह सैंपल उन शिशुओं के लिए गए थे, जो पहले से मलेरिया की वैक्सीन (RTS,S vaccine) ले चुके थे। इन सैंपल के लेने से पहले भी शोधकर्ताओ ने शिशुओं में मलेरिया के खिलाफ एंटीबॉडी की मौजूदगी को मापा था। इससे यह पता लगाना था कि वैक्सीन लेने के बाद शिशुओं में क्या प्रतिक्रिया होती है। उनके विश्लेषण से पता चला कि शिशुओं में, गर्भावस्था के दौरान उनकी माताओं से मिले एंटीबॉडी की वजह से मलेरिया की वैक्सीन कम प्रभावी थी। वही, दूसरी ओर, जिन शिशुओं में कम स्तर या माता से प्राप्त कोई एंटीबॉडी नहीं थी, उन्होंने बड़े बच्चों की तरह ही टीके पर प्रतिक्रिया दी।

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इससे पता चलता है कि जब बच्चा जन्म लेता है, तो उसे मां से कुछ एंटीबॉडी मिलते हैं जो उसे प्रारंभिक संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह मां के एंटीबॉडी नवजात शिशु को संक्रमण से बचाती है, लेकिन ये एंटीबॉडी मलेरिया के टीके की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकती हैं। मां के एंटीबॉडी बच्चे के शरीर में मौजूद टीके में मौजूद तत्व के खिलाफ प्रतिक्रिया करती हैं, जिससे टीके का प्रभाव कम हो सकता है। इसके कारण शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली उस तरह से एंटीबॉडी विकसित नहीं कर पाती जो मलेरिया के खिलाफ आवश्यक होती है। डॉक्टर का कहना है कि स्टडी से पता चलता है कि यह वैक्सीन कुछ बच्चों में कम प्रभावी हो सकती है। लेकिन, बच्चों की सुरक्षा के लिए इसे लगना आवश्यक होता है।

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फिलहाल, इस विषय पर अन्य रिसर्च की आवश्यकता है, जिससे यह बात साफ हो सके कि क्या बच्चों को किस उम्र में मलेरिया की वैक्सीन देना प्रभावी हो सकता है। लेकिन, फिलहाल तक तक के लिए सरकार द्वारा निर्धारित समय पर ही बच्चों को सभी आवश्यक टीके और वैक्सीन लगवानी चाहिए। वैक्सीन लगाने में देरी न करें और आप इसकी जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

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