सोयाबीन ऑयल खाना पकाने और फूड प्रोसेसिंग में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला कुकिंग ऑयल है। आमतौर पर इसे जानवरों से प्राप्त होने वाली वसा (एनीमल फैट) या अन्य वनस्पति तेलों के मुकाबले ज्यादा सेहतमंद विकल्प माना जाता है।
सोया के बीज से निकाले जाने वाले इस तेल में भरपूर मात्रा में पॉलीसैचुरेटेड फैट्स होते हैं, खासकर ओमेगा-6 फैटी एसिड। इसके बावजूद पिछले कुछ सालों के शोध में यह बात सामने आई है कि सोयाबीन ऑयल के लंबे समय तक अत्यधिक सेवन से हमारी सेहत पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। आइए डॉ. वरुण बंसल, कंसल्टेंट कार्डिएक सर्जन, इंद्रप्रस्थ, अपोलो हॉस्पिटल्स से जानते हैं लंबे समय में सोयाबीन तेल क्यों हो सकता है सेहत के लिए नुकसानदायक।
ओमेगा-6 फैटी एसिड हो सकता है नुकसानदायक
सोयाबीन ऑयल में पाए जाने वाले पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स और ओमेगा-6 फैटी एसिड दिल की सेहत को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। सीमित मात्रा में इसका सेवन लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) यानी बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे दिल स्वस्थ रहता है। लेकिन, जब ओमेगा-6 फैटी एसिड का ज्यादा मात्रा में सेवन किया जाता है, खासकर प्रोसेस्ड वनस्पति तेलों के माध्यम से, तो यह शरीर में ओमेगा-6 और ओमेगा-3 के संतुलन को बिगाड़ सकता है। यह संतुलन दिल की सेहत बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी होता है।
ओमेगा 6 फैटी एसिड के अत्यधिक सेवन से सूजन होती है और एथेरोस्केलरोटिक प्लाक भी बना सकता है, जोकि हृदय रोगों और स्ट्रोक का प्रमुख कारण होते हैं।
कई अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि सोया प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा का संबंध उन लोगों में एलडीएल के स्तर में अत्यधिक कमी से है, जिनमें बेसलाइन एलडीएल बढ़ा हुआ होता है। लेकिन हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) या ट्राइग्लिसराइड से इसका संबंध नहीं है।
लिवर में जमा हो सकता है फैट
यदि सोयाबीन ऑयल का ज्यादा मात्रा में सेवन किया जाए तो लिवर में भी फैट जमा हो सकता है, जिसे नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) के नाम से जाना जाता है। इससे हृदय रोगों का भी खतरा बढ़ सकता है। जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) में प्रकाशित अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि सोया की वजह से मोटापा और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर हो सकता है जिससे वक्त के साथ फैटा जमा होने लगता है और इंसुलिन को लेकर प्रतिरोधकता बढ़ने लगती है।
हार्मोन्स पर डाल सकता है बुरा प्रभाव
सोयाबीन ऑयल के विवादास्पद प्रभावों में से एक है शरीर में हॉर्मोनल संतुलन में बदलाव कर देने की क्षमता। सोयाबीन ऑयल में फाइटोएस्ट्रोजेन होता है जोकि पौधों में पाया जाने वाला तत्व है। इसकी रसायनिक संरचना एस्ट्रोजेन हॉर्मोन की तरह ही होती है। हालांकि, इन तत्वों को सामान्य एस्ट्रोजेनिक प्रभावों के लिए जाना जाता है, लेकिन लंबे समय तक अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से हॉर्मोनल असंतुलन होता है, खासकर उन लोगों में जोकि एस्ट्रोजेन में बदलाव के प्रति संवेदनशील होते हैं।
फाइटोएस्ट्रोजेन के प्रभाव को लेकर हुए शोध में मिश्रित परिणाम देखने को मिले हैं, लेकिन कुछ पशुओं पर हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि इन तत्वों के अत्यधिक संपर्क में आने से प्रजनन स्वास्थ्य, विकास और मस्तिष्क की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
लंबे समय में बौद्धिक क्षमता पर भी पड़ सकता है असर
वास्तव में होनोलुलु-एशिया एजिंग स्टडी (एचएएएस) में सवाल खड़े किए गए हैं कि सोया के सेवन से बौद्धिक क्षमता प्रभावित हो सकती है। इस अध्ययन में प्रौढ़ावस्था में टोफू का सेवन करने वाले पुरुषों में बौद्धिक क्षमता की हानि और दिमाग के कमजोर होने के संकेत आपस में जुड़े हुए पाए गए हैं। पुरुषों को वैकल्पिक रूप में इस्तेमाल करते हुए किए गए एक विश्लेषण में बौद्धिक क्षमता में गिरावट और टोफू के बीच संबंध पाया गया जोकि उनके जीवन साथी पर भी लागू होता है। सैद्धांतिक रूप से सोया आइसोफ्लेवॉन्स को एस्ट्रोजेन रिसेप्टर के विरोधी के रूप में काम करते हुए दिखाया गया।
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भले ही सोयाबीन ऑयल को अक्सर सैचुरेटेड फैट के विकल्प के रूप में प्रचारित किया जाता है लेकिन लंबे समय तक इसका सेवन करने से अनजाने में ही हमारी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इन जोखिमों को कम करने के लिए सोयाबीन या अन्य तेलों का कम मात्रा में सेवन करना जरूरी है। साथ ही ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड के सही संतुलन वाले कुकिंग ऑयल को विकल्प के रूप में चुनना चाहिए। निष्कर्षत:, कम मात्रा और विविधता एक सेहतमंद आहार का प्रमुख आधार है। इसके साथ ही रोजाना एक्सरसाइज करना भी महत्वपूर्ण होता है।
यह लेख डॉ. वरुण बंसल, कंसल्टेंट कार्डिएक सर्जन, इंद्रप्रस्थ, अपोलो हॉस्पिटल्स से प्राप्त जानकारियों के आधार पर लिखा गया है।
Reference Study/Research Links
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK11870/
https://www.frontiersin.org/journals/nutrition/articles/10.3389/fnut.2022.970364/full