अस्थमा यानी दमा से पीड़ित व्यक्ति और उसके करीबियों को मालूम होता है कि ये ऐसी बीमारी है जिसका पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है। ये एक दीर्घकालीन स्थिति है। हालांकि, कुछ तरीके अपनाकर अस्थमा और इसके प्रभावों को नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अस्थमा के दीर्घकालीन प्रभाव कौन से हैं, और साथ ही, कुछ ऐसे टिप्स जिससे आप इस बीमारी से उत्पन्न समस्याओं से राहत पा सकते हैं। शुरुआत करते हैं इसके लक्षण और प्रभावों से।
अस्थमा के लक्षण व प्रभाव
अस्थमा ज्यादातर धीरे-धीरे उभरता है, लेकिन कई मामलों में ये अचानक भी भड़कता है। इसके एकाएक भड़कने से पहले खांसी का दौरा होता है। आइये जानते हैं अस्थमा होने पर आपके शरीर में उसके क्या क्या प्रभाव पड़ते हैं।
● अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहली दिक्कत खांसी की होती है। ये खांसी दिन भर हो सकती है लेकिन रात में इसका दौरा तेज हो जाता है।
● अस्थमा मुख्य रूप से श्वास से जुड़ा रोग है। जिस व्यक्ति को अस्थमा हो जाए उसे हमेशा के लिए सांस संबंधी परेशानियां घर लेती है। रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है। वह घरघराहट या आवाज के साथ सांस लेता है। इस दौरान उसे शरीर के अंदर खिंचाव हो सकता है।
● अस्थमा के प्रभाव से सीने में जकड़न या फिर कसावट महसूस हो सकती है। साथ ही, रोगी बेचैनी और थकावट महसूस करता है।
● अस्थमा से गला बहुत प्रभावित होता है। वो हमेशा के लिए संवेदनशील हो जाता है। थोड़ी सी एलर्जी इस समस्या को और बढ़ा सकती है। इसके रोगी के गले में अक्सर खुजली व दर्द का होता है।
● अस्थमा के रोगी को उल्टी भी हो सकती है। कई बार सिर भारी लग सकता है।
अस्थमा के प्रभावों से निपटने के तरीके
● अस्थमा की डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को हमेशा अपने पास रखें। लक्षण शरीर से चले जाने पर भी अपनी निर्धारित दवाइयां लेते रहिए।
● अस्थमा का दौरा अक्सर धुएं की गिरफ्त में आने से हो जाता है। इसलिए धुएं से बचें। सिगरेट, पाइप और सिगार के धुंए से जितना हो सके दूर रहें।
● कुछ रोगियों को अस्थमा के लक्षण कुछ खास खाने-पीने की चीज़ों से होते हैं। एक बार ऐसी चीज़ों का पता लगने के बाद उनसे दूर रहें। ये आपके दमे के लिए प्रेरक का काम करते हैं।
● जुकाम होने के पहले लक्षण के समय ही आराम कीजिए और खूब तरल पदार्थ पीजिए।
● सर्द मौसम में स्कार्फ या किसी अन्य वस्त्र का प्रयोग करते हुए सांस लीजिए।
● अपने फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए कसरत करें, लेकिन इसे करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श कर लें।
● अपना तनाव कम करें क्योंकि तनाव बढ़ने से अस्थमा का दौरा पड़ सकता है।
प्राकृतिक उपचार भी है संभव
● योगासन और प्राणायाम का अभ्यास करने से अस्थमा को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
● पानी में भीगा कपड़ा पेट पर रखने से फेफड़ों की जकड़न कम होती है।
● रोगी को भाप-स्नान कराकर उसका पसीना बहाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उसे गरम पानी में कूल्हों तक या पाँव डालकर बैठाया जा सकता है और धूप स्नान भी कराया जा सकता है। इससे त्वचा उत्तेजित होती है और रोगी को बल मिलता है। साथ-ही फेफड़ों की जकड़न भी दूर हो जाती है।
● रोगी को कुछ दिनों तक ताजे फलों के रस का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा और कुछ नहीं। ताजा फलों के एक गिलास रस में उतना ही पानी मिलाकर दो-दो घंटे के बाद सुबह आठ बजे से शाम आठ बजे तक लेना चाहिए। कुछ दिनों बाद, जब आपको लगे कि आपकी सेहत में सुधार आ रहा है, तो आप अपने भोजन में ठोस पदार्थ को भी शामिल कर सकते हैं।
● चावल, शक्कर, तिल और दही जैसे बलगम बनाने वाले पदार्थ और तले हुए व गरिष्ठ खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
किसी भी रोग का इलाज या उस पर नियंत्रण तब संभव है जब आप उसे पूरी तरह से जान जाएं। अस्थमा के कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सिर्फ एलर्जी वाले तत्वों से दूर रह कर ही काफी आराम मिलता है जबकि कई मरीजों को नियमित रूप से दवा लेने की जरूरत पड़ती है। इसके इलाज के लिए सबसे जरूरी है डॉक्टर से अपनी स्थिति का सही-सही डायग्नोसिस करवाना। इसी के बाद ही डॉक्टर आपका ट्रीटमेंट प्लान तैयार का सकेगा।