कैंसर के साथ कैसे अपने जीवन के लक्ष्य निर्धारित करें

कैंसर से लड़ते हुए भी आप अपने जीवन के लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं। बस जरूरत है तो सुनियोजित तरीके से इन लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने की।
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कैंसर के साथ कैसे अपने जीवन के लक्ष्य निर्धारित करें

कैंसर के रोगियों की तेजी से बढ़ती संख्या भारत ही नहीं विश्व भर के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। दुख की बात तो यह है कि इस रोग से पीड़ित रोगियों में मृत्यु दर काफी अधिक है। इस लेख में जानिये कैंसर रोग से जुड़े कुछ अहम पहलू और इस रोग के साथ जीवन के लक्ष्यों की पूर्तीके तरीके।


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Living with Cancer Setting Goals


कैंसर रोग, इलाज और वास्तविकता

यह सुनने में बुरा जरूर लगता है, लेकिन सत्य यही है कि एक निम्न आय वर्ग के व्यक्ति के लिए, बिना किसी आर्थिक मदद के कैंसर का पूरा इलाज करा पाना लगभग असंभव है। निम्न आय वर्ग ही क्या मध्यम आय वर्गीय परिवार भी इस रोग के खर्च की मार से सड़क तक पर आ जाते हैं। लेकिन अगर इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बारीक नजर डाली जाए, तो इसकी रोकथाम के सूत्र भी तलाशने संभव हैं।


ब्रिटिश पत्रिका द लैंसेट की साल 2010 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो इस वर्ष भारत में कैंसर से साढ़े पांच लाख से भी ज्यादा मौतें हुईं। शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाके इसकी मार झेल रहे हैं। कैंसर अगर फैल जाए तो यह आज भी एक असाध्य रोग है, हालांकि इस रोग के विकराल रूप और गंभीर परिणामों को देखते हुए दुनिया भर के वैज्ञानिक इसका सटीक इलाज खोजने में लगे हैं।


द लैंसेट की रिपोर्ट उन उपायों की ओर भी इशारा करती है, जिन पर ध्यान देकर, बहुत-से लोगों को इस रोग से बचाया जा सकता है। मसलन, रिपोर्ट कहती है कि सबसे ज्यादा लोग मुंह व फेफड़े के कैंसर की वजह से मौत का शिकार होते हैं। और इन दोनों ही तरह के कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू का सेवन और धूम्रपान है। गौरतलब है कि शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में सर्वाइकल कैंसर से 3 गुना अधिक महिलाओं की मौत होती है। इसका स्पष्ट कारण है कि वहां स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के कारण, रोग का निदान और शुरुआती इलाज दोनों ही समय पर नहीं हो पाते। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि शिक्षित लोगों की तुलना में अशिक्षित लोगों के कैंसर से मरने की आशंका दोगुने से भी अधिक होती है।


इसका मतलब ये है कि शिक्षा भी इस गंभीर रोग से लड़ने का एक सशक्त माध्यम है। अगर नीति-निर्माता चाहें, तो बेहतर नीतियों को कैंसर से निपटने के लिए एक मजबूत हथियार बना सकते हैं। यह रोग जानलेवा है, लेकिन चिकित्सा सुविधाओं एवं आम जानकारी के अभाव, गलत जीवन-शैली और बुरी लत के चलते यह और भी विकराल रूप धारण कर लेता है। यही वजह है कि विकसित दुनिया में सिर्फ दवाओं एवं इलाज मात्र ही स्वास्थ्य देखरेख के कामयाब उपाय नहीं माना जाता, बल्कि रोकथाम के तरीकों और आम जागरुकता पर आधारित समग्र दृष्टि भी अपनाई जा रही है। अब भारत में भी ऐसे ही नजरिए की सख्‍त जरूरत है।

कैंसर और आपके जीवन के लक्ष्यों की पूर्ति

जब कभी जीवन में जटिल समस्या आ जाए और उससे निपटने के उपाय मुश्किल हों तो उनका सामना करना बंद कर देना ऐसा है जैसे आप पहले ही जीवन के आगे आपना समर्पण कर दें। इस बात में कोई दो राय नहीं की कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ते हुए शरीर की क्षमताएं और मनोबल कमजोर होता जाता है। लेकिन यह कह देना कि अब जीवन बेकार है, सरासर गलत होगा। कैंसर से लड़ते हुए भी आप अपने जीवन के लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं। बस जरूरत है तो सुनियोजित तरीके से इन लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने की। और यह बात पूरी तरह से सत्यता के आधार पर कही जा रही है। देश और विदेश में कई ऐसे लोग रहे हैं, जो न सिर्फ इस गंभीर रोग से लड़े, बल्कि इस रोग को हराकर उन्होंने आगे चलकर जीवन में सफलता के नये आयाम स्थापित किये। यदि आप इस बात को लेकर दुविधा मे हैं कि भला आप ये सब कैसे करेंगे तो निमन कुछ बातों का अनुसरण करें।

पहले ध्यान छोटे लक्ष्यों पर करें केंद्रित

छोटे लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर आप अधिक से अधिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। एक बार जब आप छोटे लक्ष्यों को प्राप्त कर लेते हैं तो फिर बड़े लक्ष्यों को दूर करना भी मुश्किल नहीं रहता।

अपने लक्ष्यों को पेपर पर करें नोट

एक बार जब आप अपने लक्ष्यों की कागज पर क्रमबद्ध सूचि बना लेते हैं तो, आपको साफ हो जाता है कि क्या, कब और कैसे करना है। यही नहीं अपने लक्ष्यों की ओर हो रहे प्रयासों और उनकी सफलता की भी एक सूची बना लें। यह आपके लिए एक रिमाइंडर की तरह से काम करेगा और आपको मोटिवेट भी करता रहेगा।

 

एक समय में करें सिर्फ एक ही लक्ष्य पर काम

एक समय में बहुत सारे काम करने संभव नहीं है। इसलिए एक समय में एक ही लक्ष्य पर काम करें। ऐसा कर आप कम थकान महसूस करेंगे और हार जाने की भावना भी नहीं आएगी।

खुद को करें पुरस्कृत

साधा हुआ कोई भी लक्ष्य पूरा कर लेने पर खुद को पुरस्कृत करें। ऐसा करने से प्रेरणा के अलावा लंबी अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने की हिम्मत और प्ररणा मिलती है। अपने लक्ष्यों और काम के तरीकों को लेकर लचीले रहना भी महत्वपूर्ण है। यदि आप अपनी में कमी होती महसूस कर रहें हैं तो उसके अनुसार अपनी योजनाओं को बदलें।

 

प्रेरक कथाएं पढ़ें

जिंदगी जीने का नाम है। आपको ऐसे लोगों की कहानियां पढ़नी चाहिए, जिन्‍होंने कैंसर को मात देकर नये जीवन की शुरुआत की है। क्रिकेटर युवराज सिंह इसके सही उदाहरण है। युवराज ने कैसर को मात देकर क्रिकेट में वापसी की।


याद रखिए कैंसर को हराया जा सकता है। बस जरूरत है दृढ़ इच्‍छाश्‍ाक्ति और जीने की ललक की। इनसानी जज्‍बा किसी भी रोग को हराने की कुव्‍वत रखता है। आपको अपने जज्‍बे को नहीं खोना है और उसे बरकरार रखना है।


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