वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां (problems due to air pollution) कौन कौन सी है? सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है, इसके साथ ही भारत के कुछ शहरों में प्रदूषण भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। सुबह-सुबह के प्रदूषित हवा से लोग खुद को बचाने की कोशिश करने में लगे हुए हैं। अस्थमा, फेफड़ों और एलर्जी से ग्रसित लोगों को प्रदूषण से अधिक परेशान होना पड़ता है। इसके साथ ही वायु प्रदूषण (air pollution) कई दूसरी गंभीर बीमारियों का भी कारण बन सकता है। फेफड़ों के साथ ही प्रदूषित हवा लिवर और ब्लड से संबंधित बीमारियां (Liver Blood Related Problems Due to Air Pollution) भी पैदा कर सकती है।
वायु प्रदूषण से कौन-कौन से रोग होते हैं? (diseases due to air pollution)
प्रदूषित हवा में सांस लेना यानी तरह-तरह की गंभीर बीमारियों को न्यौता देना। इन दिनों दिल्ली समेत भारत के कई शहर वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। इस हवा से अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। वायु प्रदूषण फेफड़ों की बीमारियों (lungs diseases) समेत लिवर और ब्लड (liver and blood related diseases) से संबंधित रोगों का भी कारण बन सकता है। जानें वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां-
टॉप स्टोरीज़
1. लिवर का कैंसर (liver diseases or liver cancer)
वायु प्रदूषण के कारण हमारा लिवर भी प्रभावित हो सकता है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहना लिवर के कैंसर का कारण (liver cancer due to air pollution) बन सकता है। दरअसल, जब हम सांस लेते हैं तो दूषित हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसका लिवर स्वास्थ्य (liver health) पर बुरा असर पड़ता है। इस स्थिति में लिवर विषैले तत्वों को बाहर निकालने की क्षमता खोने लगता है। इससे लिवर फाइब्रोसिस (liver fibrosis) हो सकता है। प्रदूषण फैटी लिवर (fatty liver) और लिवर कैंसर का भी कारण बन सकता है। इस स्थिति में लिवर धीरे-धीरे खराब हो सकता है। जानें लिवर कैंसर के लक्षण (liver cancer symptoms)-
- वजन कम होना (weight loss)
- पीलिया (Jaundice)
- भूख में कमी ( loss of appetite)
- उल्टी होना (vomiting)
- त्वचा पर खुजली होना (itchy skin)
- बुखार (Fever)
- पेट में सूजन (abdominal swelling)
- स्किन और आंखों में पीलापन (Yellowing of skin and eyes)
- पैरों में सूजन ( swollen feet)
- कमजोरी और शरीर में दर्द ( weakness and body aches)
2. हेपेटिक स्टीटोसिस या फैटी लिवर (fatty liver)
लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेना लिवर कैंसर के साथ ही हेपेटिक स्टीटोसिस का कारण भी बन सकता है। हेपेटिक स्टीटोसिस को फैटी लिवर की समस्या भी कहा जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लिवर की कोशिकाओं में वसा (fat) का संचय होता है। लिवर में फैट की कुछ मात्रा होना सामान्य है, लेकिन जब लिवर में अधिक मात्रा में फैट जमा हो जाता है तो यह स्थिति फैटी लिवर (fatty liver) की होती है।
- पेट के दाएं भाग के ऊपरी हिस्से में दर्द
- वजन में लगातार कमी आना
- कमजोरी महसूस होना
- आंखों और त्वचा में पीलापन आना
- खाना पचाने में परेशानी होना
- गैस, एसिडिटी की समस्या
- पेट में सूजन
3. ल्यूकेमिया (leukemia)
वायु प्रदूषण के कारण ल्यूकेमिया की समस्या भी हो सकती है। ल्यूकेमिया एक तरह का ब्लड कैंसर (blood cancer) होता है, इसमें व्हाइट ब्लड सेल्स (white blood cells) प्रभावित होती हैं। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेना इस बीमारी को न्यौता दे सकता है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं।
- त्वचा का पीला पड़ना (yellowing of the skin)
- बुखार ( Fever)
- थकान और कमजोरी महसूस होना (feeling tired and weak)
- बिना इंजरी के भी चोट लगना
- सिरदर्द (Headache)
- रात में पसीना आना ( night sweats)
- मसूड़ों में सूजन (swelling in gums)
- घाव न भरना
- सांसों में लेने में परेशानी (trouble in breathing)
- ब्लोटिंग (bloating)

4. एनीमिया (Anemia due to air pollution)
वायु प्रदूषण ब्लड से संबंधित बीमारियों का भी कारण बन सकता है। इसमें एनीमिया सबसे आम है। एनीमिया यानी शरीर में हीमोग्लोबिन या खून की कमी होना है। एनीमिया एक खून से संबंधित एक बीमारी है, जिसमें शरीर में खून की कमी हो जाती है। यह समस्या महिलाओं में सबसे अधिक देखने को मिलते हैं। बार-बार थकावट एनीमिया का एक संकेत है।
- सांस लेने में दिक्कत
- थकान महसूस होना
- हाथ-पैर ठंडे होना
- त्वचा में पीलापन आना
- कमजोरी महसूस होना
- चक्कर आना
- सिरदर्द
- दिल की धड़कनों अनियमित होना
- जोड़ों और पेट में दर्द
प्रदूषित हवा से बचाव कैसे करें? (safety tips for air pollution)
अगर आप भी प्रदूषित हवा में रह रहे हैं, तो आपको इसके लिए अपना बचाव करना चाहिए। प्रदूषित हवा आपको कई तरह से बीमार बना सकती है, इसलिए इससे बचाव जरूरी है। प्रदूषित हवा से बचाव के टिप्स-
- पार्क में मॉर्निंग वॉक या टहलने न जाएं। लंबी दूरी की वॉक न करें।
- प्रदूषण से बचाव के लिए सामान्य वॉक से भी बचें। जितना हो सके घर के अंदर ही रहें। जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें।
- घर से बाहर निकलने से पहले चेहरे पर मास्क जरूर लगाएं।
- प्रदूषित हवा से बचने के लिए घर के आस-पास पेड़-पौधे लगाएं। इससे हवा प्यूरीफाई होती है और आप ताजी हवा में सांस ले सकते हैं।
- प्रदूषित हवा से बचाव के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। घर से निकलने पर पानी जरूर पिएं। इससे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई सही रहती है और प्रदूषित हवा आपके शरीर को इतना नुकसान नहीं पहुंचाता है।
- अपनी डाइट में विटामिन सी और ओमेगा-3 को जरूर शामिल करें।
- अगर आप अस्थमा या फेफड़ों से संबंधी किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो अपने साथ दवाइयां जरूर रखें।
- प्रदूषण से आंखों को बचाने के लिए चश्मा लगाकर रखें और समय-समय पर आंखों पर पानी के छींटे मारते रहें।
वायु प्रदूषण कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है। इससे फेफड़ों, लिवर को नुकसान पहुंचता है। साथ ही प्रदूषण ब्लड से संबंधित बीमारियों का भी कारण बनता है। प्रदूषित हवा के कारण लिवर कैंसर, फैटी लिवर, एनीमिया के साथ ही क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोग (chronic obstructive pulmonary disease), श्वसन तंत्र में संक्रमण (respiratory tract infection), फेफड़े का कैंसर (lung cancer), हृदय रोग (heart diseases), स्ट्रोक, डायबिटीज (diabetes), नियोनेटल डिसऑर्डर और मोतियाबिंद जैसी बीमारियां भी तेजी से बढ़ी हैं। ऐसे में आपको इससे अपना बचाव जरूर करना चाहिए। प्रदूषण से बचाव का सबसे आसान और बेहतरीन तरीका है चेहरे पर मास्क लगाकर रखना।