कोरोना वायरस से बचाव में कैसे कारगर हो सकता है विटामिन डी, जानें वायरस से इसका कनेक्शन और इसके स्रोत

हमे स्‍वस्‍थ और सुखी जीवन जीने के लिए सभी विटामिन्स और मिनरल्‍स की जरूरत होती है। आइए यहां हम ि‍विटामिन डी के बारे में हम बात कर रहे है। 
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कोरोना वायरस से बचाव में कैसे कारगर हो सकता है विटामिन डी, जानें वायरस से इसका कनेक्शन और इसके स्रोत


हमारे पूर्वजों ने हमे सूर्य नमस्कार, सूर्य अर्घ्य, सूर्य स्नान, घर के काम जैसे मसालों को पीसने का अभ्यास किया था। जैसे ओखल में चावल की भूसी निकालना, पत्थर के मूसल के साथ अनाज को पीसना, ईंधन के लिए गोबर को रोल करना और छोटे नवजात बच्‍चों की धूप में मालिश और धूप सेकना आदि। इन प्रथाओं से हमें विश्वास होता है कि हमारे पूर्वजों को जीवनशैली का बहुत ज्ञान था और यह उनके स्‍वास्‍थ्‍य मुद्दों को प्रभावित करता था। ग्रामीण गांवों से शहरों में प्रवास या पारंपरिक प्रथाओं से आधुनिक जीवन शैली की प्रथाओं में बदलाव ने हमें विटामिन डी के ओरल सप्‍लीमेंट्स पर निर्भर कर दिया है। ऐसी कुछ चीजें हैं, जो प्रकति के स्वभाव में हैं और हमें मुफ्त दी गयी हैं और उनमें से एक विटामिन डी है।

इम्‍युनिटी बूस्‍ट करता है विटामिन डी 

Vitamin D and Covid-19

वैसे तो आप सबने इम्‍युनिटी को बढ़ाने में विटामिन सी के बारे में सुना होगा। लेकिन विटामिन डी को भी मजबूत प्रतिरक्षा के साथ जोड़ा गया है। विटामिन डी इंसुलिन प्रतिरोध में कमी, डिप्रेशन और एंग्‍जायटी रेट को कम करने और कुछ कैंसर के खतरे को भी कम करने के रूप में यह कैल्शियम अवशोषण में मदद करता है। इसके अलावा, यह दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस, सूखी आँखें और अन्य कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में मदद करने में शामिल है। वहीं विटामिन डी Covid-19 महामारी में भी मददगार हो सकता है, शोधकर्ताओं ने इसके बीच एक लिंक पाया है। 

कोरोनावायरस में मददगार है विटामिन डी 

शोधकर्ताओं ने पाया है उन लोगों में मृत्‍यु दर अधिक थी, जिनमें विटामिन डी की कमी है, जो कि रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट इंफेक्शन श्वसन पथ के संक्रमण में सुरक्षात्‍मक कार्य करता है। तो यह कहा जा सकता है कि सीरम विटामिन डी का स्तर प्रतिरक्षा के निर्माण में एक मजबूत सहयोग करता है। 

विटामिन डी को हमारे शरीर में बिना यूवी किरणों के संश्लेषित नहीं किया जा सकता है। जब ये किरणें हमारे त्‍वचा के अंदर समा जाती हैं, तो यह प्री विटामिन डी 3 (एक निष्क्रिय रूप) में परिवर्तित करता है, जो आगे जिगर और गुर्दे में एक्टिव विटामिन डी के रूप में परिवर्तित होता है।

Vitamin D

विटामिन डी की अधिकता हो सकती है नुकसानदायक 

अतिरिक्त विटामिन डी या विटामिन डी की अधिकता शरीर के लिए विषाक्त है। इसलिए 60nmol/ l -100nmol के बीच एक पर्याप्त ब्‍लड रेंज मानी जाती है।  

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यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि मेलेनिन (जो हमारी त्वचा को रंग देता है) यूवी किरणों के अवशोषण को कम करता है। हमारी त्वचा की विटामिन डी की मात्रा के विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें दिन, मौसम,लैटिट्यूट और आपकी स्किन पिग्‍मेंटेशन शामिल है। विटामिन डी के उत्पादन इस बात पर निर्भर करता है कि हम कहाँ रहते हैं और हमारी जीवन शैली क्‍या है, यह इसके आधार पर घट सकता है या भिन्न हो सकता है। गर्मियों के समय उत्तरी भारत में सबसे अच्छा समय 9:30 से पहले धूप लेने का होता है। यह सलाह दी जाती है कि सूरज का सामना करते समय अवशोषण तेज हो और सूरज आपकी पीठ की तरफ हो न क चेहरे की ओर। इसके अलावा आप सुरक्षात्‍मक कपड़े जैसे सूती के कपड़े और सन ग्‍लासेस पहनें। Uv किरणों का अवशोषण सर्दियों के महीनों के दौरान पूरी तरह से अनुपस्थित या कम हो सकता है। सनस्क्रीन, जबकि महत्वपूर्ण, लेकिन विटामिन डी के उत्‍पादन को भी कम कर सकती है। 

Link Between Vitamin D and Coronavirus

खाने में वसा का सेवन विटामिन डी 3 के किसी भी ओरल सप्‍लीमेंट के अवशोषण में मदद करता है। विटामिन डी एक वसा में घुलनशील विटामिन है। कुछ खाद्य पदार्थ हैं, जो विटामिन डी के समृद्ध स्रोत हैं जैसे- समुद्री सब्‍जी या शैवाल, स्पिरुलिना, कॉड लिवर ऑयल, कोई भी ऑयली फिश, अंडे की जर्दी और खाद्य पदार्थ जो कि विटामिन डी के साथ फोर्टिफाइड होते हैं, जैसे दूध, चीज़, ऑरेंज जूस। क्या आप जानते हैं कि मछलियों को समुद्री शैलाव या एल्‍गी से ही अपना विटामिन डी मिलता है।

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विटामिन डी की कितनी मात्रा है जरूरी 

विटामिन डी की मात्रा आपकी उम्र पर निर्भर करती है। औसतन बुजुर्गों को 800 IU की आवश्यकता होती है, जबकि शिशुओं को 400 IU और 1 वर्ष - 50 वर्ष के लोगों को - 600 IU प्रति दिन चाहिए होता है। 

प्रति दिन 1000 IU के साथ विटामिन डी 3 ओरल सप्‍लीमेंट्स सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, इसके लिए आपको अपने डॉक्‍टर से परामर्श लेना चाहिए और उनकी सलाह पर ही विटामिन डी की खुराक लेनी चाहिए। ध्‍यान दें, विटामिन डी की अधिकता मौखिक रूप से विषाक्त हो सकती है, इससे अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्‍याएं भी हो सकते हैं।

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