देश में हर तरफ सरोगेसी बिल के बारे में बात हो रही है। सरोगेसी का नाम सुनकर ज्यादातर लोगों के दिमाग में आमिर खान, शाहरूख खान व तुषार कपूर का नाम याद आता है। आमिर खान के बेटे आजाद, शाहरूख के बेटे अबराम या फिर हाल ही में लक्ष्य के सिंगल पिता बनने वाले तुषार कपूर ने सरोगेसी की ही मदद ली है। लेकिन अब ऐसा होना संभव नहीं हो पाएगा। सरोगेसी को लेकर भारत देश में एक नया कानून बन गया है जिसके अनुसार अब सिर्फ नि:संतान कपल ही इसकी मदद ले सकते है।
जानिए क्या होता है सरोगेसी
मां बनना एक महिला को संपूर्ण होने का अहसास दिलाता है। कुछ वजहो से अगर प्राकृतिक रूप से महिलाएं मां बनने में असमर्थ है तो वो सरोगेसी की मदद लेती है। सरोगेसी का मतलब होता है किराए की कोख। सरोगेसी मे तीन लोग शामिल होते है। मां- बाप और एक अन्य महिला को गर्भधारण करती है। इसे जेस्टेशनल सरोगेसी कहा जाता है। इसमें माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इसमें बच्चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है। शाहरूख खान और आमिर खान दोनो ने ही इस तरीके को अपनाया है। इसके अलावा ट्रेडिशनल सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं को एक अन्य महिला के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। इसमें जैनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है, जिसके जरिए तुषार कपूर पिता बने है। सरोगेसी की ज्यादातर जरूरत नि:संतान कपल को होती है जो या तो किसी बीमारी, आईवीएफ तकनीक के फेल हो जाने पर, बार-बार गर्भपात की स्थिति या शारीरिक असमक्षतों के चलते अपना बच्चा नहीं कर पा रहें हो। अब
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सरोगेसी का दुरोपयोग
आजकल सरोगेसी का प्रयोग एक फैशन की तरह होने लगा है। कई महिलाए लेबर पेन से बचने व कामकाज के ज्यादा व्यस्त होने के कारण अपनी संतान के लिए इसका सहारा लेनी लगी है। इसी के चलते सरोगेसी का दुरोपयोग भी होने लगा है। अन्य देशों की तुलना में भारत में ज्यादा आसान और सस्ती मानी जाती है। जहां हॉस्पिटल कपल से अच्छी कीमत वसूल कर गरीब व जरूरतमंद महिला से सस्ते में गर्भधारण करा लेते है। इन्ही कारणों के चलते देश में सरोगेसी बिल बनाने की जरूरत पड़ी। एक जानकारी के मुताबिक सरोगेसी के मामले में दुनिया में सर्वाधिक भारत में ही होते हैं। यदि पूरी दुनिया में साल में 500 सरोगेसी के मामले होते हैं तो उनमें से 300 सिर्फ भारत में होते हैं।
क्या है सरोगेसी बिल
सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2016 के तहत अब बिना शादीशुदा, लिव-इऩ कपल, विदेशी और समलैंगिक जोड़े सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर सकते। सरोगेट मदर का भी आपका रिश्तेदार होना बहुत जरूरी है साथ वह महिला पहले ही मां बन चुकी हो। सरोगेसी क्लीनिक का रजिस्टर्ड होना ज़रूरी होगा। अगर क्लीनिक सरोगेट मां की उपेक्षा करता है या फिर पैदा हुए बच्चे को छोड़ने में हिस्सा लेता है तो क्लीनिक चलाने वालों पर 10 वर्ष की सज़ा और 10 लाख तक का ज़ुर्माना लग सकता है। सरोगेसी के लिए जोड़े की शादी को कम से कम पांच साल हो जाने चाहिए। जोड़े का कोई अपना बच्चा हो या फिर उन्होंने कोई बच्चा गोद ले रखा हो, तो उन्हें सरोगेसी की इजाज़त नहीं होगी। इसके लिए राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड बनेगा जिसके प्रमुख स्वास्थ्य मंत्री होंगे। इस बोर्ड के सदस्यों में दो महिला लोकसभा सांसद औऱ एक राज्यसभा महिला सांसद होगी।
सरोगेसी का सही प्रयोग जहां एक कपल को जिंदगी भर की खुशियां देता है वहीं इसके गलत प्रयोग से कई जिंदगिया खराब हो जाती है।
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