महिलाओं खासतौर से नवविविहाहिताओं में हनीमून सिस्टाइस की समस्या होना एक आम बात है। अमूमन हर महिला को अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी इसका इलाज करवाना पड़ता है। हनीमून सिस्टाइस मूत्र मार्ग में पहुंचकर संक्रमण यानि यूटीआई होने को कहते है। हालांकि यौन संबंध के अलावा भी कई कारणों से ये शिकायत हो सकती है पर ज्यादातर यौन संबंध बनाते समय अनजाने कारण महिलाओं के मूत्रद्वार में जीवाणु चले जाते है। हर साल पूरी दुनिया में लगभग 83 लाख लोग सिर्फ इसी बीमारी के इलाज के लिए डॉंक्टरों के पास जाते हैं।
- शारीरिक संबंध बनाने के बाद निजी अंगों की सफाई पर ध्यान न देने से भी कई बार यह संक्रमण होता है। संभोग के बाद हमेशा पेशाब करें और योनि को साफ करें। इससे ट्रैक में अगर कोई बैक्टीरिया होगा भी, तो वह साफ जो जाएगा।
- यौन संबंध बनाने के बाद सार्वजनिक शौचालय का प्रयोग करें से बचें। ये गन्दे हो सकते हैं और उनमें कीटाणु हो सकते हैं। इसलिए वहां मूत्रनली संक्रमण होने का खतरा अधिक हो सकता है।
- बैक्टीरिया या फंगस हमारे पाचन तंत्र से निकल कर या फिर किसी अन्य माध्यम से पेशाब मार्ग की दीवारों पर चिपक जाते हैं और तेजी से बढ़ते चले जाते हैं तब यूटीआई की समस्या हो जाती है। करीब 75 प्रतिशत महिलाओं में यूटीआई आंतों में पाए जाने बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है।
- बार-बार पेशाब लगना, पेशाब करने के दौरान जलन, बुखार, बदबूदार पेशाब होना और पेशाब का रंग धुंधला या फिर हल्का लाल होना और पेट के निचले हिस्से में दबाव महसूस होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।
- इस बीमारी से बचने के लिये खूब ज्यादा पानी पिएं। हर एक घंटे में पेशाब लगनी जरुरी होती है इसलिये आपको लगभग 8-10 ग्लास पानी तो रोज पीना चाहिये। । कुछ स्थितियों में संक्रमण मूत्राशय से ऊपर गुर्दों में पहुंचकर इनमें संक्रमण कर सकता है।
- अरारोट पाउडर के इस्तेमाल से यूटीआई से राहत मिल सकती है। अरारोट एक डेम्यूल्सेंट है जिसका मतलब ये है कि ये यूरीनरी ट्रैक्ट को आराम पहुंचाता है। इसलिए इंफेक्शन के दौरान इससे दर्द में राहत मिलती है।इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं जो इंफेक्शन को ठीक करने में मददगार होते हैं।
- यूटीआई के लक्षणों से उबरने के लिए गर्म पानी के बैग या बोतल से पेट के निचले हिस्से की सिंकाई करें। इस गर्माहट से पेट के निचले हिस्से का रक्तसंचार बेहतर होगा और जलन और दर्द में कमी आएगी।
यूटीआई के साथ मुख्य समस्या यह होती है कि एक बार ठीक होने के बाद इस संक्रमण के दोबारा होने की आशंका काफी ज्यादा होती है।
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