इन 2 शहरों में पाए गए स्वाइन फ्लू के सैकड़ों मामले, एक्सपर्ट से जानें बचाव के टिप्स

स्वाइन फ्लू एक रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट इंफेक्शन है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इस फ्लू का कारण एच1एन1 वायरस है। स्वाइन फ्लू में समय पर इलाज न मिल पाने के कारण कई बार मरीज की मौत हो जाती है।
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इन 2 शहरों में पाए गए स्वाइन फ्लू के सैकड़ों मामले, एक्सपर्ट से जानें बचाव के टिप्स


स्वाइन फ्लू एक बार फिर दस्तक दे चुका है। देश के दो बड़े शहरों में पिछले दिनों स्वाइन फ्लू के सैकड़ों नए मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र में पुणे के पिंपरी चिंचवड में पिछले दो महीने में स्वाइन फ्लू के 100 से ज्यादा मरीज पाए गए हैं। इसी इलाके में सितंबर में स्वाइन फ्लू से 6 लोगों की मौत हो चुकी है। पुणे के केवल पिंपरी चिंचवड इलाके को देखें तो अब तक स्वाइन फ्लू से 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं अहमदाबाद में स्वाइन फ्लू के कारण अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 22 नए मामले सामने आए हैं।

क्या है स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू एक रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट इंफेक्शन है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इस फ्लू का कारण एच1एन1 वायरस है। स्वाइन फ्लू में समय पर इलाज न मिल पाने के कारण कई बार मरीज की मौत हो जाती है। पिछले साल देशभर से स्वाइन फ्लू के 18 हजार से ज्यादा मामले सामने आए थे, जिनमें से 871 लोगों की मौत हो गई थी। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि स्वाइन फ्लू कितना खतरनाक है और कैसे संभव है इससे बचाव।

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बहुत सामान्य होते हैं लक्षण

उत्तरप्रदेश के सिद्धार्थनगर के चिकित्साधिकारी डॉक्टर राम आशीष बताते हैं कि स्वाइन फ्लू के लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग इन्हें समझ नहीं पाते हैं और इलाज में देरी की वजह से खतरा बढ़ जाता है। स्वाइन फ्लू होने पर मरीज में ये लक्षण देखे जा सकते हैं- नाक बहना, बुखार आना, सिर और बदन में दर्द होना, गले में तकलीफ होना, खांसी आना, छींक आना आदि। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि शरीर या सिर में दर्द होने पर 18 साल से कम उम्र के मरीजों को कभी भी एस्प्रिन की टेबलेट नहीं देनी चाहिए क्योंकि ये उनके लिए जानलेवा हो सकता है।

घबराने की जरूरत नहीं है

स्वाइन फ्लू के बारे में लोग समझते हैं कि ये जानलेवा रोग है मगर डॉक्टर राम आशीष के मुताबिक स्वाइन फ्लू का अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो ये बिल्कुल भी घातक नहीं है और इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। लेकिन इलाज में देरी होने पर या लापरवाही बरतने पर कई बार ये जानलेवा हो जाता है। इसलिए जब भी आपको स्वाइन फ्लू के लक्षण नजर आएं आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आमतौर पर स्वाइन फ्लू के वायरस के चपेट में आने के एक से दो दिन के भीतर मरीज का इलाज शुरू हो जाए, तो खतरा नहीं होता है।

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संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है सावधानी

स्वाइन फ्लू एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है। इसलिए इससे बचाव के लिए कई तरह की सावधानियां जरूरी हैं।

  • स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचाव के लिए भीड़ वाले इलाके में अपने मुंह पर मास्क या रूमाल बांधकर ही निकलें।
  • स्वाइन फ्लू के वायरस खांसने, छींकने और संक्रमित व्यक्ति के लार या मल के संपर्क में आने से फैलते हैं इसलिए संक्रमित व्यक्ति के पास जाते समय सावधान रहें।
  • दर्द, बुखार, जुकाम, नाक बहने जैसे सामान्य लक्षणों के दिखने पर भी तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • स्वाइन फ्लू के मरीज को छूने से पहले और बाद में अच्छी तरह साबुन से हाथ धोएं।
  • अगर किसी को स्वाइन फ्लू है, तो उसे भी अपना चेहरा और मुहं कवर करके रखना चाहिए ताकि वायरस दूसरों तक न फैले।

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