मुंह में होने वाले कैंसर को मुंह का कैंसर या ओरल कैंसर भी कहते है। इसमें मुंह तो प्रभावित होता ही है, साथ ही होंठ और जुबान पर भी इसका असर पड़ता है। वैसे यह गाल, मुंह के तालु, मसूड़ों और मुंह के ऊपरी हिस्से में होता है।मुंह के कैंसर का जल्द पता नही चलता। जो व्यक्ति धूम्रपान करते है, गुटखा खाते है, या ज़्यादा शराब पीते है, उन्हें मुंह के कैंसर का ज़्यादा डर होता है। इसलिए ओरल कैंसर के लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए। आइए जानें वो कौन से लक्षण है जिससे ओरल कैंसर के होने का पता चलता हैं।
ओरल कैंसर के लक्षण
मुंह के कैंसर की शुरुआत छाले के रूप में होती है, पर यह छाला ऐसा है, जो जल्दी ठीक नहीं होता। इस दौरान गाल व मसूढ़े में सूजन व दर्द रहता है। मुंह खोलने में कठिनाई होती है। गर्दन में गांठ जैसी बनने लगती है। हर समय खराश रहती है। जीभ हिलाने पर तकलीफ होती है। आवाज साफ नहीं निकलती। कुछ रोगियों के दांत अचानक कमजोर हो जाते हैं और हिलने लगते हैं। पहली स्टेज में फाइब्रोसिस का शिकार हो जाता है। यह स्थिति प्री-कैंसर की होती है। इस स्थिति में मरीज का उपचार और निदान संभव है। फाइब्रोसिस के लक्षण यह होते हैं कि मुँह के भीतर कुछ सफेद स्पॉट आ जाते हैं या मुँह में जलन होने लगती है। शुरुआती दौर में छाला या मुंह का छोटा-मोटा अल्सर समझ कर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। यही वजह है कि इस कैंसर से ग्रसित 70 से 80 प्रतिशत रोगियों का इलाज अंतिम स्थिति में पहुंचने पर होता है।
मुख कैंसर से बचने के उपाय
तंबाकू और पान-मसाले विभिन्न कैमिकल मिले होते हैं, उससे मुँह के भीतर की स्थिति विकट होती चली जाती है। ऐसे में जरूरी यह है कि सबसे पहले मरीज तंबाकू खाना बंद कर दें। यह जरूरी नहीं है कि तंबाकू खाने वाले हर आदमी को कैंसर हो जाए, लेकिन खाने वाले का प्रतिशत काफी ज्यादा है। इसके बावजूद सेवन जारी रहता है तो आप अपना नियमित चैकअप करवाएँ और डॉक्टर की सलाह लें। यह जीवन अमूल्य है और आपकी जिन्दगी परिवार के लिए एक सम्पत्ति है।
अगर आपके मुंह में छाले हैं या कोई घाव हो गया हों, तो उसे इग्नोर न करें, समय रहते डॉक्टर के पास जाएं और जांच करवाकर इलाज लें। अपने दांतों, ओठों और जीभ को साफ रखें।