योग रखे निरोग, यह कहावत ही नहीं बल्कि हकीकत भी है। योग के जरिये सामान्य और खतरनाक बीमारियों पर न केवल काबू पाया जा सकता है बल्कि इनके नियमित अभ्यास से उनका उपचार भी किया जा सकता है। अस्थमा सांस संबंधी बीमारी है, जिसके उपचार में पासासन बहुत ही प्रभावी और कारगर है। इस लेख में जानते हैं, पासासन करने की विधि और यह किस तरह से अस्थमा के उपचार में कारगर है।
क्यों होता है अस्थमा
अस्थमा यानी दमा, यह सांसों की बीमारी है जिसका शिकार कोई भी हो सकता है, चाहे वह बच्चा हो या बूढ़ा। इस बीमारी के लिए जिम्मेदार कई कारण हैं, मौसम में बदलाव, प्रदूषण का बढ़ना, आनुवांशिक, आदि। इस बीमारी में म्यूकस के कारण फेफड़े काम करना तक बंद कर देते हैं। एक बार यह बीमारी किसी को हो गई तो उसका संपूर्ण उपचार नहीं हो सकता है। हालांकि इससे बचाव के तरीकों को आजमाकर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
पासासन से अस्थमा का उपचार
वर्तमान में अस्थमा के उपचार के लिए बाजार में कई तरह की दवायें मौजूद हैं। अगर लंबे समय तक इन उपचारों के प्रयोग के बारे में देखा जाये तो इनसे अस्थमा को काबू में लाया तो जा सकता है, लेकिन इनके अधिक प्रयोग से दूसरी स्वास्य् समस्यायें भी होने लगती हैं। ऐसे में योगासन सुरक्षित और बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। पासासन ऐसा ही योग का आसन है जिससे अस्थमा का उपचार अधिक प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। ‘पास’ एक संस्कृत शब्दर है जिसका अर्थ है बंधन।
पासासन करने की विधि
इस आसन को करने के लिए ताड़ासन की मुद्रा में सीधे खड़े हो जायें। फिर घुटनों को स्क्वैट करने की स्थिति में झुकायें। इस दौरान तलवों को जमीन पर स्थिर रखें और घुटनों को मोड़कर बैठ जायें। फिर शरीर के ऊपरी हिस्से को दाईं तरफ मोड़ें, शरीर का ऊपरी हिस्सा दाहिने घुटनों तक लाने का प्रयास कीजिए। अपने हाथों और हथेलियों को भी मोड़ लीजिए। फिर पीठ की तरफ से हाथों को ले जाकर एक हाथ से दूसरे हाथ को कसकर पकड़ लीजिए। फिर अपने सिर को ऊपर की तरफ ले जाकर लंबी सांस लें। लंबी सांसें 4-5 बार लें। फिर आराम से सामान्य स्थिति में आयें। फिर शरीर के दूसरे तरफ से इस क्रिया को दोहरायें।
पासासन के दूसरे लाभ
पासासन ऐसा योगासन है जो अस्थमा के साथ दूसरी बीमारियों को भी दूर करता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर को फिट रखा जा सकता है। मासिकधर्म, साइटिका, हल्का पीठ दर्द, कंधे का दर्द या फिर गर्दन के दर्द को ठीक करने में पासासन काफी अच्छा माना जाता है। यह पोज़ थोड़ा टेढ़ा-मेढ़ा जरुर है लेकिन लगातार अभ्यास करने से यह आसान हो जाता है। इस आसन से पीठ, कमर और एडि़यों की मसापेशियों में खिंचाव होता है। इससे पेट की समस्यायें भी ठीक हो जाती हैं।