डेड्रीमिंग (दिन में सपने देखने की आदत) ज्यादातर लोगों में होती है, विचारों या उलझनों में खोया हुआ व्यक्ति दिन में भी सपने देख सकता है। दिवास्वप्न या डेड्रीमिंग की जिन लोगों को आदत हो जाती है उन पर इसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। दिन में सपने देखने की आदत को मेडिकल की भाषा में मालाडेप्टिव डेड्रीमिंग (Maladaptive Daydreaming) कहते हैं, यह व्यवहार और लत से जुड़ी समस्या मानी जाती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह समस्या सामान्य होती है लेकिन यह आदत लत बन जाने पर मनोवैज्ञानिक समस्या बन जाती है। दिन में कई बार या अक्सर सपने देखना मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नही माना जाता है। हालांकि इस विषय पर तमाम अध्ययन और शोध चल रहे है लेकिन औपचारिक रूप से अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन (APA) द्वारा इसे एक डिसऑर्डर के रूप में माना जाता है।
मालाडेप्टिव डेड्रीमिंग किस स्थिति को कहते हैं (What is Maladaptive Daydreaming)
खुद को वास्तविक स्थिति और दुनिया से अलग कर खुद के विचारों या सपनों में खोये रहने की आदत को मालाडेप्टिव डेड्रीमिंग या दिवास्वप्न कहते हैं। इस स्थिति से ग्रसित लोग किसी भी परिस्थिति में अपनी मानसिक कल्पना में खोये रह सकते हैं। दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल के साइकेट्रिस्ट डॉ धर्मेंद्र सिंह ने हमें बताया कि इस तरह की समस्या से ग्रसित होने के बाद जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। इसकी वजह से व्यावहारिक, सामाजिक और शैक्षणिक जीवन में भी नकारात्मक असर होता है। इस स्थिति में व्यक्ति दिन भर सिर्फ अपनी कल्पनाओं में खोया रह सकता है जिसकी वजह से उसके जीवन पर इसका बुरा असर पड़ता है। एक शोध के मुताबिक जो लोग इस स्थिति से पीड़ित हैं, वे जागने के लगभग 60 प्रतिशत समय में अपनी काल्पनिक दुनिया में खोये रहते हैं, ऐसे लोग वास्तविक दुनिया को नजरअंदाज करते हुए अपनी कल्पना को ही वास्तविकता समझते हैं। लगभग सभी लोग जो इस समस्या से पीड़ित होते हैं वे आगे चलकर कई तरह के मनोवैज्ञानिक विकारों से ग्रसित हो सकते हैं। यह स्थिति लोगों के दैनिक जीवन के कामकाज में भी बाधक होती है, इस स्थिति को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
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मालाडेप्टिव डेड्रीमिंग या दिन में सपने देखने की समस्या के कारण (Maladaptive Daydreaming Causes)
विशेषज्ञों के मुताबिक सामान्य तौर पर इस समस्या का कारण अकेलापन, स्ट्रोक या मानसिक आघात और फैंटसी आदि हो सकता है। इन कारणों की वजह से लोग डेड्रीमिंग या दिन में सपने देखने की आदत के शिकार हो सकते हैं। जिंदगी में परेशानी, अकेलापन जैसी स्थिति में कुछ लोग वास्तविकता से दूर होकर दिवास्वप्न जैसी स्थिति से ग्रसित हो सकते हैं। वास्तविक जीवन और वास्तविक परिस्थितियों से भागकर ऐसे लोग अपनी ही काल्पनिक दुनिया में खोने का प्रयास करते हैं जो आगे चलकर एक गंभीर मानसिक समस्या का रूप ले लेता है, इसे जिंदगी जीने का पलायनवादी तरीका भी कहा जाता है।
मालाडेप्टिव डेड्रीमिंग या दिन में सपने देखने की समस्या के लक्षण (Maladaptive Daydreaming Symptoms)
मालाडेप्टिव डेड्रीमिंग या दिन में सपने देखने की समस्या के तमाम लक्षण हो सकते हैं, जिस भी व्यक्ति को ऐसी समस्या होती है उनमें कई तरह के मानसिक विकार होने की संभावना अधिक होती है। इस समस्या के कोई निश्चित लक्षण नहीं हो सकते हैं, जो भी लोग इस समस्या से पीड़ित हैं उन्हें ये लक्षण हो सकते हैं।
- अपनी कल्पना में खोये रहना
- दैनिक कामकाज में दिक्कत होना
- रात को सोने में परेशानी
- हर समय सपने देखने का समय ढूंढना
- बैठे - बैठे अचानक सपनों में खो जाना
- दिन में हर समय चेहरे के भाव बदलना
- अचानक आसपास के वातावरण को भूल कर खो जाना
- इस समस्या के कई अन्य लक्षण भी हो सकते हैं
मालाडेप्टिव डेड्रीमिंग या दिन में सपने देखने की समस्या उपचार (Maladaptive Daydreaming Treatment)
दिन में सपने देखना या मालाडेप्टिव डेड्रीमिंग की समस्या पर दुनियाभर में शोध और अध्ययन हो रहे हैं। इस समस्या का उपचार व्यवहार थेरेपी, टॉक थेरेपी आदि के माध्यम से किया जाता है। इस समस्या से ग्रसित लोगों को कॉउंसलिंग की जरूरत होती है। साइकेट्रिस्ट इस समस्या का निदान करने के लिए कुछ दवाओं का भी इस्तेमाल करते हैं।
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