
काफी स्त्रियां नहीं जानती हैं कि सर्विक्स कैंसर क्या है? यह समस्या क्यों होती है? और इससे कैसे बचाव कर सकते हैं? जानते हैं एक्सपर्ट से...
आज हम बात करेंगे सर्विक्स कैंसर की। स्त्री में पाए जाने वाले इस कैंसर की पहचान और उपचार दोनों समय पर हो सकते हैं। बस जरूरत है थोड़ी जागरूकता की। लेकिन उसके लिए पहले यह जानना जरूरी है कि इस कैंसर के लक्षण क्या है? अगर आपको पहले से ही पता होगा तो आप समय पर इस बीमारी की पहचान कर सकते हैं और उपचार शुरू करवा सकते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि सर्विक्स कैंसर क्या है? यह समस्या क्यों होती है? और इससे कैसे बचाव कर सकते हैं? इसके लिए हमने उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के हेड और सीनियर कंसल्टेंट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) एकता बजाज से बात की है। पढ़ते हैं आगे
इस बीमारी के पीछे है ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Cervix Cancer)
डॉक्टर सर्विक्स कैंसर के पीछे ह्यूमन पैपिलोमा वायरस को कारण मानते हैं। बता दें कि कोशिकाओं का विभाजन गलत तरीके से होता है, जिसके कारण शरीर में दो प्रकार की गांठे बनने लगती है। इन गांठों के नाम वेनाइन और मैलिग्नेंट है। वेनाइन गांठ कैंसर रहित होती है जबकि मैलिग्नेंट को कैंसर युक्त माना जाता है। अगर इस तरह की गांठ सर्विक्स में बनती हैं तो इन्हें सर्विक्स कैंसर कहा जाता है।
क्या है सर्विक्स कैंसर की वजह ( Cervix Cancer causes)
इसके पीछे का प्रमुख कारण डॉक्टर अनुवांशिकता मानते हैं। यह एक सेक्सुअली ट्रॉस्मिटेड डिजीज यानी एसटीडी है। असुरक्षित सेक्स या कम उम्र में मल्टीपल पार्टनर्स के साथ संबंध बनाने के कारण भी यह समस्या हो सकती हैं। कुछ महिलाओं को ये समस्या उनके गर्भाशय के मुख पर चोट लगने के कारण भी हो सकती है। वहीं जो महिलाएं सिगरेट का सेवन करते हैं उन्हें भी समस्या हो सकती है क्योंकि सिगरेट में निकोटिन पाया जाता है। पर्सनल हाइजीन की कमी और कुपोषण के चलते भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
सर्विक्स कैंसर के लक्षण ( Cervix Cancer Symptoms)
- पेट के निचले हिस्से में दर्द,
- वाइट डिस्चार्ज,
- बार-बार यूरिन आना,
- थकान का होना,
- हल्का बुखार,
- भूख न लगना,
- लूज मोशन होना,
- सीने में जलन होना,
- पीरियड्स का अनियमित होना,
- पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होना,
सर्विक्स कैंसर की चार अवस्थाएं ( Cervix Cancer stages)
डॉक्टर कोशिकाओं की सक्रियता को ध्यान में रखकर इन्हें चार अवस्था में बांटते हैं-
स्टेज 1 - इस स्टेज में गर्भाशय के मुख के पास कैंसरयुक्त कोशिकाएं होती हैं। इस स्टेज पर सर्जरी का ऑप्शन उपलब्ध है। इसलिए डॉक्टर सबसे पहले सर्जरी की सलाह देते हैं। इसके माध्यम से गर्भाशय को बाहर निकालकर रेडियोथैरेपी द्वारा इन कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है। ऐसे में बीमारी पूरी तरह दूर हो जाती है।
स्टेज 2 - इस अवस्था में वजाइना के आसपास कैंसर की कोशिकाएं पहुंच जाती हैं।
स्टेज 3 - इस अवस्था में पेल्विक एरिया की दीवारों तक कैंसर कोशिकाएं पहुंच जाती हैं।
स्टेज 4 - ब्लैडर और रेक्टम कैंसर कोशिकाओं के संपर्क में आने लगते हैं। बता दें कि स्टेज 3 और 4 की स्थिति बनने पर सर्जरी का विकल्प मौजूद नहीं होता है। इसमें डॉक्टर द्वारा कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी के माध्यम से उपचार दिया जाता है।
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जांच का तरीका ( Cervix Cancer treatment)
इस कैंसर का पता पेपस्मीयर जांच के माध्यम से लगाया जाता है। इस जांच में फ्ल्यूइड यानी वेजाइना से निकलने वाले फ्लूइड का सैंपल स्पैचुला के आकार वाले यंत्र के माध्यम से लिया जाता है। इसके बाद माइक्रोस्कॉपी द्वारा कांच में रखे गए सैंपल की जांच की जाती है। इससे पता चलता है कि वेजाइना से निकलने वाली कोशिकाएं कैंसर युक्त हैं या नहीं। इनके परिणामों को भी निम्न भागों में बांटा गया है।
नेगेटिव
जांच में अगर कैंसर युक्त कोशिकाओं को नहीं पाया जाता तो रिपोर्ट नेगेटिव मानी जाती है। हर विवाहित स्त्री को 3 साल के अंतराल में इस तरह की जांच जरूर करवानी चाहिए। अगर किसी स्त्री की रिपोर्ट हमेशा नेगेटिव आए और उसकी उम्र 60 साल हो गई है तो उसे जांच की जरूरत नहीं है।
सस्पेक्टिव
कई बार रिपोर्ट से यह क्लियर नहीं होता कि निकलने वाली कोशिकाएं कैंसर युक्त हैं या नहीं। कई बार ऐसा वेजाइना में इन्फेक्शन, सूजन के कारण होता है। ऐसे में डॉक्टर हर 3 या 4 महीने में जांच करवाने की सलाह देते हैं। जिससे कि अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो समय पर इलाज शुरू हो सके। ऐसी भी स्थिति होती है जब बायोप्सी की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है। ताकि शुरुआत में ही पता चल जाए की सर्विक्स कैंसर है या नहीं। कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती है जो केवल एक ओपिनियन के माध्यम से खुद को इस बीमारी की शिकार समझ बैठती हैं। पर ऐसा नहीं है। अगर आपको थोड़ा सा भी डाउट है तो दो तीन एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही इलाज शूरू करवाएं।
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सर्विस कैंसर से बचाव (Cervix Cancer Precautions)
अगर आप सर्विक्स कैंसर से बचना चाहते हैं तो आपको और आपके पार्टनर को सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा। चूंकि पर्सनल हाइजीन से इस बीमारी के फैलने की ज्यादा आशंका रहती है। ज लोग पर्सनल हाइजीन पर ध्यान नहीं देते वे इस समस्या के ज्यादा शिकार होते हैं। इसके पीछे का एक कारण यह भी है कि कम उम्र में असुरक्षित सेक्स। जो लड़कियां कम उम्र में संबंध बनाती है या मल्टीपल्स पार्टनर्स के साथ संबंध बनाती हैम वे भी इस समस्या से ग्रस्त हो जाती है ऐसे में हर मां की जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी बेटी को इस खतरे के बारे में बताएं। अपने आप को सिगरेट, अल्कोहल से दूर रखें। अपनी डाइट में पोष्टिक आहार डालें। साथ ही रंग बिरंगी सब्जियों और फलों को जगह दें। अगर आपके परिवार में कभी किसी को इस तरह का खतरा रहा है तो अपनी नियमित रूप से जांच कराएं। अगर आप सर्विक्स कैंसर से बचना चाहते हैं तो एचपीवी वैक्सीन जरूर लगवाएं। 13 से 26 साल की उम्र तक लड़के इसके दो डोज लगवा सकते हैं और अगर आप इस वैक्सीन के अच्छे रिजल्ट चाहते हैं तो 13 साल की उम्र में ही एक डोज ले लें। अगर ऊपर दिए बचावो को अपनाने के बाद भी किसी तरह के लक्षण नजर आते हैं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें और अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो तुरंत उपचार शुरू करवाएंगे। साथ ही समय-समय पर रूटीन चैकअप और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।
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