बुजुर्गों में आंखों की रोशनी कम होना होता है डिमेंशिया का संकेत, रिसर्च में हुआ खुलासा

आंखों से जुड़ी समस्या न केवल डिमेंशिया के खतरे को बढ़ाती है, बल्कि यह अल्जाइमर का भी एक संकेत हो सकती है।
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बुजुर्गों में आंखों की रोशनी कम होना होता है डिमेंशिया का संकेत, रिसर्च में हुआ खुलासा

जामा ओप्थालमोलॉजी द्वारा की गई एक रिसर्च में पाया गया कि ज्यादा उम्र के लोगों में आंखों से जुड़ी समस्या डिमेंशिया का संकेत हो सकती है। ऐसे लोगों में डिमेंशिया होने का अधिक खतरा रहता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिकिगन के शोधकर्ताओं ने 71 साल से उपर के 2967 सीनियर सिटिजन्स को लेकर यह रिसर्च की है, जिसमें उन्होंने पाया कि आंखों से जुड़ी समस्या से ग्रसित लोगों में उन लोगों की तुलना में डिमेंशिया का अधिक खतरा रहता है, जिन्हें देखने में कोई समस्या नहीं थी। 

इन वजहों से बढ़ जाता है खतरा

डिमेंशिया को लेकर हुई इस रिसर्च के मुताबिक डायबिटीज को भी इस समस्या का एक कारण माना जाता है। दरअसल, डायबिटीज होने पर आंखों से जुड़ी समस्या होने लगती है, जो कई बार दिमाग को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे धीरे-धीरे डिमेंशिया होने का खतरा भी बढ़ने लगता है। डिमेंशिया से बचाव करने के लिए यह जरूरी है कि नियमित तौर पर आंखों को चेक कराएं साथ ही कम दिखाई देने पर भी डॉक्टर की राय लें। 

आंखों की समस्या अल्जाइमर का भी खतरा बढ़ाती है 

रिपोर्ट के मुताबिक आंखों से जुड़ी समस्या न केवल डिमेंशिया के खतरे को बढ़ाती है, बल्कि यह अल्जाइमर का भी एक संकेत हो सकती है। दरअसल, इसे लेकर एक रिसर्च की गई, जिसमें आंखों का टेस्ट कराने पर अल्जाइमर का पता लगने का दावा किया गया है। स्टडी में कहा गया है कि आंखों और दिमाग से जुड़ी समस्या अल्जाइमर का संकेत हो सकती है। ऐसी स्थिति में दिमाग में प्लाक बन सकता है, जो अल्जाइमर के खतरे को भी बढ़ा सकता है। 

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क्या कहते हैं डॉक्टर? 

हेड ऑफ पॉलिसी और अल्जाइमर रिस्क यूनाइडेट किंगडम के डॉ. सुसन मिटैल के मुताबिक डिमेंशिया को लेकर हुई इस रिसर्च में डिमेंशिया और आंखों के बीच के लिंक को पहचाना गया है। वहीं इसके अन्य जोखिम कारकों के बारे में भी पता लगाया जा सका है। इस समस्या से बचने के लिए अपनी आंखों से लेकर ब्रेन तक को एक्टिव रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप सोशल इंटरेक्शन कर सकते हैं। 

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डिमेंशिया के अन्य कारण 

डिमेंशिया होने के पीछे केवल आंखों से जुड़ी समस्या ही नहीं, बल्कि स्मोकिंग, हाई ब्लड प्रेशर, सुनने की क्षमता पर असर पड़ना, पार्किंसन, अल्जाइमर, ब्लड वेसल्स में ब्लॉकेज, ब्रेन से जुड़ी अन्य समस्याएं होने के साथ-साथ एंग्जाइटी आदि भी इसका कारण हो सकता है। इस तरह के लक्षण दिखने पर चिकित्सक की राय लेना जरूरी होता है। 

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