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National Nutrition Week: क्या बच्चों को रोज फ्रूट जूस पिलाना सही है? एक्सपर्ट से जानें इसके फायदे-नुकसान

National Nutrition Week: बच्चों को रोज फ्रूट जूस पिलाना सही नहीं है। फलों के जूस में शुगर कंटेंट हाई होता है, जिससे बच्चे को हेल्थ इश्यूज हो सकते हैं।
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National Nutrition Week: क्या बच्चों को रोज फ्रूट जूस पिलाना सही है? एक्सपर्ट से जानें इसके फायदे-नुकसान


Can Kids Drink Fruit Juice Everyday In Hindi: बच्चों को साबुत फल खिलाना अक्सर पेरेंट्स के लिए चैलेंजिंग होता है। इसलिए, उन्हें फलों का जूस पिलाने की कोशिश करते हैं। आमतौर पर बच्चों को फलों का जूस काफी पसंद भी आता है। इसलिए, बच्चे बिना किसी नखरे के इसका सेवन कर लेते हैं। पेरेंट्स भी निश्चिंत रहते हैं कि बच्चों को उन्हांने पोषक तत्वों से भरपूर फलों का जूस पिला दिया है। इससे उन्हें फाइबर, विटामिन और मिनरल्स जैसे कई आवश्यक न्यूट्रिएंट्स मिल जाएंगे। लेकिन, कुछ लोगों का मानना है कि बच्चों को रोज फलों का जूस पिलाना हानिकारक हो सकता है? सवाल है, क्या वाकई ऐसा है? या फिर यह महज एक मिथक है? आइए, इस बारे में एक्सपर्ट की राय जानते हैं।

क्या बच्चों को रोज फ्रूट जूस पिलाना सही है?- Is It Safe For Kids To Have Fruit Juice Everyday In Hindi

Is It Safe For Kids To Have Fruit Juice Everyday In Hindi

बच्चों की डाइट में फल शामिल करना बहुत जरूरी है। उनकी रेगुलर ग्रोथ के लिए यह बहुत जरूरी है। फलों में विटामिन-ए, विटामिन-सी, विटामिन-ई, मैग्नीशियम, फोसफोरस और फॉलिक एसिड जैसी कई चीजें शामिल होती हैं। वैसे भी बच्चों की मेंटल-फिजिकल ग्रोथ के लिए ये सभी तत्व बहुत ही जरूरी होते हैं। लेकिन, जहां तक सवाल इस बात का है कि क्या रोज बच्चों को फलों का जूस पिलाया जा सकता है? इस संबंध में Divya Gandhi's Diet & Nutrition Clinic की डाइटिशियन और न्यूट्रिशनिस्ट दिव्या गांधी का कहना है, "बेशक पेरेंट्स फलों के विकल्प में अपने बच्चों को फलों का जूस पिलाते हैं। लेकिन, आपको बता दें कि यह सही नहीं है। बच्चों को रोज फलों का जूस पिलाना उनकी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। फलों के जूस में शुगर कंटेंट काफी ज्यादा होता है। इसे पीते ही बच्चों में ब्लड शुगर का स्तर स्पाइक कर सकता है। जाहिर है, छोटे बच्चों के लिए यह कंडीशन सही नहीं है।"

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बच्चों को फलों का जूस पिलाने के फायदे-नुकसान

Is It Safe For Kids To Have Fruit Juice Everyday In Hindi

बच्चों को फलों का पिलाने के फायदे

पोषक तत्वों से भरपूर

फलों के जूस में विटामिन सी, पोटेशियम और फोलेट जैसे जरूरी मिनरल्स और विटामिन्स होते हैं। यह बच्चों की इम्यूनिटी को बूस्ट कर, उन्हें बीमार होने से बचाते हैं। साथ ही, ये सभी तत्व बच्चों के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बॉडी हाइड्रेट रहती है

फलों के जूस का सेवन करने से बच्चां की बॉडी लंबे समय तक हाइड्रेट रहती है। वैसे भी बच्चे अक्सर खेल-कू के कारण पानी पीना भूल जाते हैं। वहीं, अगर उन्हें एक गिलास जूस पिला दिया जाए, तो बॉडी हाइड्रेट और लंबे समय तक एनर्जेटिक भी रहती है।

पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं

जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया है कि फलों के जूस में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसलिए, अगर बच्चा इसे पी लेता है, तो उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती है। 

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बच्चों को रोज फलों का जूस पिलाने के नुकसान

हाई शुगर कंटेंट

आपको बता दें कि हर फल में 100 फीसदी शुगर कंटेंट होता है। अगर बच्चा रोज फलों के जूस का सेवन करता है, तो इससे उसकी बॉडी में शुगर स्पाइक कर सकता है, उसका बॉडी वेट बढ़ सकता है, दांतों में कैविटी हो सकती है। यहां तक कि टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क भी बढ़ जाता है।

फाइबर की कमी

साबुत फलों में काफी मात्रा में फाइबर मिल जाता है। वहीं, फलों के जूस में फाइबर की कमी होती है। ध्यान रखें कि अगर बच्चे की डाइट में फाइबर की कमी होगी, तो उसे कब्ज की समस्या या पाचन संबंधी परेशानियां हो सकती हैं

कैलोरी इनटेक बढ़ना

बच्चे अक्सर जाने-अनजाने काफी ज्यादा जात्रा में फलों का जूस पी जाते हैं। इससे उनकी बॉडी में कैलोरी इनटेक बढ़ जाता है। अगर बॉडी में कैलोरी इनटेक बढ़ जाता है, तो उनके शरीर में अन्य पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।

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एक्सपर्ट की राय

बच्चों को फलों का जूस पीने के साबुन फल खाने के लिए दें। अगर पेरेंट्स अपने बच्चों को फलों का जूस ही दे रहे हैं, तो उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे 1-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए फलों के रस का सेवन लगभग 4-6 औंस (120-180 मिली) प्रतिदिन और बड़े बच्चों के लिए 8-12 औंस (240-360 मिली) तक ही होना चाहिए। वहीं, अगर आप बच्चे को रोजाना जूस दे रहे हैं, तो उसमें पानी मिक्स कर दें। इससे उसमें नेचुरल शुगर कंटेंट कम हो जाएगा, जो बच्चों के लिए कम हानिकारक रह जाता है।

All Image Credit: Freepik

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