यदि आप अच्छी तरह से मत त्याग कर पाते हैं तो इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं है। ये एक ऐसी क्रिया है जिसे छोड़ा नहीं जा सकता, और अगर ये ठीक से हो तो पूरा दिन स्फूर्ती से भरा गुज़रता है। लेकिन मलत्याग करने की सभी लोगों की आदतें भिन्न होती हैं। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से सभी लोगों के फिंगरप्रिंट अलग-अलग होते हैं। ऐसे खान-पान की अलग आदतों, जीनशैली में विविधता व आनुवंशिकी के कारण होता है। सभी को शौच जाना ही होता है, लेकिन कुछ लोगो दूसरों की तुलना में अधिक बार माल त्याग करते हैं। चलिये जानें इसके पीछे क्या कारण होता है -
मलत्याग की भिन्न आदतें
आपकी मल त्याग करने की आदत को कई सारी चीज़ें प्रभावित करती हैं, जैसे कि आप क्या भोजन करते हैं, कितना भोजन करते हैं, भोजन में क्या चिज़ें इस्तेमाल की गई हैं आदि। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण कारक आनुवंशिक होता है। कुछ लोग आनुवंशिक रूप से ही इस तरह तैयार होते हैं कि सुबह उठते ही उन्हें शौच के लिये जाना होता है, जबकि कुछ को बिना एक कप चाय और मॉर्निंग वॉक के शौच होता ही नहीं।
अपकी डाइट और इसमें इस्तेमाल सामग्री, खासतौर पर उस में मौजूद फाइबर और पानी की मात्रा शौच की आदत को काफी प्रभावित करते हैं। आहार में फाइबर मल को नरम रखने में मदद करता है, जबकि पानी मल को आसानी से बाहर करने में मदद करता है। इनकी कमी के कारण सामान्य से कम मलत्याग या फिन कब्ज़ की शिकायद हो सकती है। इसलिये सही शौच के लिये दिन में पर्याप्त पानी पीने और फाइबर लेने की सलाह दी जाती है।
शायद आपको यकीन न हो लेकिन आप रोजाना कितनी शारीरिक गतिविधियां करते हैं, ये बात भी आपके शौच को प्रभावित करती है। दिन में अधिक समय तक निष्क्रीय रहना और एक्सरसाइज न करना पेट में गतिशीलता को कम करता है और आप कम शौच कर पाते हैं। स्वस्थ और कब्ज से मुक्त रहने के लिये नियमित रूप से व्यायाम करें। आश्चर्यजनकरूप से कई बार पिरियड्स के दौरान महिलाएं भी शौच में परिवर्तन का अनुभव करती हैं।
तो अन्य लोगों से अधिक बार शौच जाना सामान्य होता है और इससे आपके मेटाबॉलिज्म और पाचन के बारे में कुछ गलत नहीं होता है। बस आपको दिन में पर्याप्त पानी और फाइबर लेना चाहिये।
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