मधुमेह रोगियों को शहद खाना चाहिए या नहीं खाना चाहिए इसे लेकर काफी भ्रम की स्थिति रहती है। लेकिन शहद में प्राकृतिक मिठास होने के कारण मधुमेह रोगी इसे खा सकते हैं। मधुमेह रोगियों को हाइपोग्लाइसिमिया की स्थिति में शहद खाने की सलाह दी जाती है। हाइपोग्लाइसिमिया तब होता है जब आपका ब्लड शुगर काफी कम हो जाता है। लो ब्लड शुगर में अगर व्यक्ति को सही उपचार नहीं मिले तो वो 8 घंटे की अंदर मर भी सकता है। रोगियों के लिए जितना खतरनाक हाई ब्लड शुगर होता है उतनी ही खतरनाक लो ब्लड शुगर भी है। शहद में वे सारे गुण होते हैं जो रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ाते हैं और उसके दुष्प्रभावों से रोगियों का बचाते हैं।
क्या है हाइपोग्लाइसिमिया
हाइपोग्लाइसीमिया वह अवस्था है जब रोगी में ब्लड शुगर का स्तर काफी कम हो जाता है। अगर रोगी का ब्लड शुगर 70 एमजी/डीएल हो जाए तो वह लो ब्लड शुगर का शिकार माना जाएगा। ब्लड शुगर अगर एक स्तर से नीचे चला जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है जब रोगी का शरीर ज्यादा ग्लूकोज इस्तेमाल करने लगता है और उस अनुसार रक्त में ग्लूकोज के बनने की प्रकिया काफी धीमी हो जाती है। इसके अलावा रक्त में ज्यादा इंसुलिन निकलने से भी यह समस्या हो जाती है।
मधुमेह में शहद के लाभ
- अगर मधुमेह रोगी रोज सुबह खाली पेट तुलसी के ताजे पत्तों के रस में शहद मिलाकर पीएं तो उनमें लो ब्लडशुगर की समस्या कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है।
- शहद में कार्बोहाइर्ड्रेट, कैलोरी और कई तरह के माइक्रो न्यूट्रिएंट काफी मात्रा में पाये जाते है, जो मधुमेह के लिए लाभकारी होता है। जिन लोगों को मधुमेह की शिकायत होती है उन्हें चीनी की जगहं पर शहद खाने की सलाह दी जाती है।
- मधुमेह के रोगियों को रोजाना ताजे आंवले के रस या सूखे आंवले के चूर्ण में हल्दी के साथ शहद मिलाकर खाने से काफी फायदा होता है।
- आंवले के रस में हल्दी व शहद मिलाकर खाने से मधुमेह रोगियों को काफी फायदा मिलता है।
- मधुमेह रोगियों को रात को सोने से पहले 10 ग्राम शहद और 10 ग्राम त्रिफला के चूर्ण को एकसाथ मिलाकर गर्म पानी के साथ पीना चाहिए।
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