"तुम्हारी आवाज कुछ भारी लग रही है आजकल... सब ठीक है ना?" जब पहली बार रीमा ने यह बात अपने पति अंशुल से कही, तो अंशुल हंसते हुए बोला – "अरे कुछ नहीं, बस मौसम बदल रहा है।" लेकिन वो जो ‘कुछ नहीं’ था, वही बाद में ‘सब कुछ’ बन गया। जिस अंशुल ने अपने जीवन में कभी शराब नहीं पी, सिगरेट का धुआं हवा में उड़ाया और न ही कभी पान मसाला चबाया, उसे जीवन के सबसे अहम पड़ाव पर गले का कैंसर होने की जानकारी मिली।
कुछ समय पहले की बात है, ऑफिस में बातचीत के दौरान अंशुल ने महसूस किया कि उसकी आवाज पहले जैसी नहीं रही। कुछ भारीपन सा महसूस हो रहा था, और लगातार बोलने में गला बैठने लगता था। मौसम में बदलाव को सोचकर उसकी आवाज को ठीक करने के लिए हल्दी वाला दूध, नमक के पानी से गरारे, अदरक और शहद को भी ट्राई किया। लेकिन उसकी आवाज में बदलाव होते ही चले गए। एक दिन पत्नी की सलाह पर अंशुल ने डॉक्टर से टेस्ट करवाया तो पता चला कि उसे गले का कैंसर है। अंशुल की तरह ही ज्यादातर उम्र के साथ आवाज में बदलाव होने को आम समझ कर टाल देते हैं। लेकिन ये गले के कैंसर का पहला लक्षण हो सकता है।
इसे भी पढ़ेंः HPV वैक्सीन से जुड़े इन 5 मिथकों पर बिलकुल न करें यकीन, जानें इनकी सच्चाई
गले का कैंसर क्या होता है?
डॉ. अक्षत मलिक, प्रिंसिपल कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, रोबोटिक सर्जरी, मैक्स अस्पताल, साकेत के अनुसार, गले का कैंसर (Throat Cancer), सिर और गर्दन के कैंसर के अंतर्गत आता है। गले का कैंसर मुख्य रूप से गले (Pharynx), स्वरयंत्र (Larynx) और टॉन्सिल्स (Tonsils) में पैदा होता है। जब गले की परतों में मौजूद कोशिकाएं असामान्य रूप से विभाजित होकर ट्यूमर का निर्माण करती हैं और यह ट्यूमर कैंसर बन जाता है। इसे ही आम भाषा में गले का कैंसर कहा जाता है। डॉ. अक्षत मलिक कहते हैं कि आवाज में बदलाव को अक्सर मामूली समझ कर टाल दिया जाता है- कभी ठंड के कारण, कभी ज्यादा बोलने या एसिडिटी की वजह से। लेकिन जब आवाज का भारीपन या खराश दो हफ्तों से ज्यादा बनीं रहे, तो ये गले या वॉयस बॉक्स (लैरिंक्स) के कैंसर का संकेत हो सकता है।
गले में मुख्यतः दो भागों में कैंसर हो सकता है:
1. लैरिंजियल कैंसर (Pharyngeal Cancer) - नाक से श्वास नली और भोजन नली तक जाने वाली नली में होने कैंसर को लैरिंजियल कैंसर कहा जाता है।
2. लैरिंजियल कैंसर (Laryngeal Cancer)- यह स्वरयंत्र (voice box) में होता है, वहां से आवाज निकाली जाती है।
गले के कैंसर के मुख्य कारण
डॉ. अक्षत मलिक का कहना है कि भारत में तंबाकू चबाने की आदत काफी आम है, जिसकी वजह से गले का कैंसर खासकर मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में तेजी से बढ़ रहा है। अफसोस की बात यह है कि गले के कैंसर के शुरूआती लक्षणों को लोग नजरअंदाज करते हैं और तब पहुंचते हैं जब बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। गले के कैंसर के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैः
धूम्रपान
तंबाकू और पान मसाला
शराब का अत्यधिक सेवन
खराब खानपान
गले में पुराना संक्रमण या किसी प्रकार की जलन
इसे भी पढ़ेंः क्या प्रेग्नेंसी में महिलाएं ब्रा पहन सकती हैं? एक्सपर्स से जानें कौन-सी ब्रा होती है ज्यादा सुरक्षित
गले के कैंसर के लक्षण-
गले के कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआती चरणों में मामूली होते हैं और सामान्य सर्दी-जुकाम से मिलते-जुलते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि आवाज में लगातार बदलाव इस बीमारी का सबसे अहम संकेत है। इसके अलावा भी कई लक्षण हैं, जिनसे गले के कैंसर को शुरुआती चरण में पहचाना जा सकता है।
- गले में खराश: जो 2-3 सप्ताह से ज्यादा लंबे समय तक बनी रहे।
- निगलने में कठिनाई: खाना या पानी निगलने में गले में दर्द होना।
- गले में गांठ: गर्दन में सूजन या गांठ का महसूस होना।
- लगातार खांसी: 2 सप्ताह से ज्यादा खांसी आना।
कान में दर्द: बिना किसी कारण एकतरफा दर्द रहना।
इसे भी पढ़ेंः कैंसर के इलाज में दी जाती है कीमोथेरेपी, जानें इसका त्वचा पर क्या असर हो सकता है
गले के कैंसर की जांच कैसे होती है?
गले के कैंसर की पुष्टि के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांचें कर सकते हैं:
1. शारीरिक जांच (Physical Exam)- इसमें डॉक्टर गले और गर्दन की जांच करते हैं। अगर गले में किसी प्रकार की गांठ महसूस होती है, तो आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
2. एंडोस्कोपी या लैरिंजॉस्कोपी (Laryngoscopy)- गले के अंदर देखने के लिए लचीली ट्यूब डाली जाती है। इससे गले में बनने वाली गांठ कैंसर है या नहीं, इसका पता चलता है।
3. बायोप्सी (Biopsy)- कैंसर की पुष्टि के लिए गले के ऊतक का नमूना लेकर लैब में जांच की जाती है।
इसे भी पढ़ेंः ब्रेन पावर बढ़ाने के लिए खाएं ये 10 फूड्स, कुछ ही दिनों में याद्दाश्त होगी तेज
गले के कैंसर से बचाव कैसे करें?
तंबाकू छोड़ना गले के कैंसर से बचाव का सबसे प्रभावी कदम है। जैसे ही आप तंबाकू छोड़ते हैं, गले के कैंसर और विभिन्न प्रकार के कैंसर का जोखिम घटने लगता है और समय के साथ और कम होता जाता है। तंबाकू छोड़ने का कभी देर नहीं होती, और अपने गले की देखभाल शुरू करने के लिए कोई भी समय जल्दी नहीं होता। तंबाकू के अलावा आप नीचे बताए गए उपायों को भी अपनाकर गले के कैंसर से बचाव कर सकते हैं।
- HPV वैक्सीन लगवाएं। इस वैक्सीन से सर्वाइकल कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर का खतरा कई गुणा कम हो जाता है।
- खाने में हरी सब्जियां, फल, विटामिन-C और एंटीऑक्सीडेंट्स युक्त आहार लें। स्वस्थ खानपान के जरिए कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।
- अगर आप हाई रिस्क ग्रुप (तंबाकू/शराब सेवन करने वाले) में हैं, तो हर साल ENT जांच कराएं। ईएनटी की जांच से गले के कैंसर का पता लगाने में मदद मिलती है।
इसे भी पढ़ेंः क्या होता है स्टेज 3 ब्रेस्ट कैंसर? डॉक्टर से जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय
निष्कर्ष
अंशुल की कहानी हमें बताती है कि हमें अपनी आवाज बदलने को हल्के में नहीं लेना चाहिए। किसी भी कारण से अगर आपको गले में खराश, जलन या आवाज बदलने का अनुभव होता है और ये समस्या 2 सप्ताह से ज्यादा समय तक बनीं रहती है, तो इस विषय पर डॉक्टर से बात जरूर करें। डॉ. अक्षित मलिक के अनुसार, गले के कैंसर को अगर शुरुआती स्टेज में पहचान लिया जाए, तो इसका इलाज काफी हद तक संभव है। लेकिन गले के कैंसर को पहचानने में देरी होती है, तो आप अपनी जान गंवा सकते हैं।
FAQ
गले में कैंसर की शुरुआत कैसे होती है?
गले की कोशिकाएं जब आनुवंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होकर अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं- जैसे तंबाकू, शराब या HPV संक्रमण के कारण तब कैंसर की शुरुआत होती है।गले के कैंसर में जीवित रहने की संभावना क्या है?
प्रारंभिक अवस्था में गले के कैंसर की इलाज से बचने की संभावना 80 से 90% होती है, लेकिन अंतिम चरण में यह घटकर 30% तक रह जाती है।मैं कैसे चेक करूं कि मुझे कैंसर है या नहीं?
लगातार आवाज में बदलाव, निगलने में दिक्कत या गले की गांठ हो तो ENT विशेषज्ञ से मिलें। एंडोस्कोपी, बायोप्सी और MRI से कैंसर की पुष्टि होती है।