मां का दूध बच्चों के पोषण के लिए काफी लाभकारी होता है। यह बच्चे के शारीरिक विकास के साथ ही साथ मानसिक विकास को बढ़ाने में भी काफी अहम भूमिका निभाते हैं। PNAS में छपी एक नई स्टडी के मुताबिक मां के दूध में मायो इनोसिटोल नामक एक शुगर मॉलीक्यूल होता है, जो शिशुओं के मस्तिष्क को का विकास तेजी से करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इससे शिशुओं के मस्तिष्क में मौजूद ब्रेन सेल्स विकसित होती हैं।
महिलाओं से लिए गए थे सैंपल
इस शोध को आजमाने के लिए शोधकर्ताओं ने मैक्सिको, शंघाई आदि जैसी अलग-अलग जगहों की महिलाओं से ब्रीस्ट मिल्क के सैंपल लिए, जिसमें उन्होंने पाया कि सभी सैंपल्स में माइक्रोन्यूट्रीएंट्स पाए गए, जो शिशुओं के मानसिक विकास में काफी मददगार साबित होते हैं।
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ब्रेस्टफीडिंग कराने के फायदे
शिशुओं के लिए मां का दूध किसी वरदान से कम नहीं है। यह उनकी शरीर के विकास में काफी महत्तवपूर्ण माना जाता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने से शिशुओं की इम्यूनिटी मजबूत होती है साथ ही साथ अस्थमा और टाइप 1 डायबिटीज का खतरा भी काफी कम होता है। इससे शिशुओं की पाचन क्रिया भी तेज होती है। मां का दूध पीने से उनमें कान में होने वाले इंफेक्शन के साथ ही साथ पेट की समस्याओं का भी खतरा काफी हद तक कम होता है। अगर आपका बच्चे का वजन ज्यादा तो ऐसे में उसे ब्रेस्टफीडिंग कराने से वजन नियंत्रित रहता है।
मां को भी मिलते हैं फायदे
ब्रेस्टफीडिंग कराना केवल शिशु को ही नहीं, बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद होता है। इससे मां को पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने का खतरा कम होता है। यही नहीं इससे अर्थराइटिस, ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज होने का भी खतरा काफी हद तक कम होता है। अगर आपकी मेंस्ट्रुअल साइकल में अनियमितता या फिर किसी प्रकार की गड़बड़ी है तो ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग कराने से ये भी कम होती है।
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ब्रेस्टफीडिंग कराते समय क्या सावधानियां बरतें?
अगर आप ब्रेस्टफीडिंग यानि स्तनपान करा रही हैं तो ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसे में केवल पोषक तत्वों से भरपूर डाइट ही लें। इस दौरान ज्यादा शारीरिक गतिविधियां करने के बजाय आराम करें साथ ही साथ विचारों को सकारात्मक ही रखें। एक्सरसाइज करने के साथ ही साथ गलत तरीके से सोने, बैठने या लेटने से भी बचें।