एंटीबायटिक दवाओं से तुरंत राहत तो मिल जाती है लेकिन इसका साइड-इफेक्ट बहुत बुरा हो सकता है। इतना ही नहीं अधिक वर्तमान में एंटीबायटिक दवाओं के प्रयोग ने उपचार को विफल बना दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंटीबायटिक दवाओं का ट्रीटमेंट पर होने वाले असर पर चिंता जाहिर की है।
डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया कि एंटीबायटिक्स के अधिक इस्तेमाल की वजह से दवाओं के प्रति प्रतिरोध बढ़ रहा है और ट्रीटमेंट विफल हो रहे हैं। संगठन ने भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से लोगों की सेहत के सामने मौजूद इस खतरे पर तत्काल ध्यान देने को भी कहा।
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने तिमोर-लेस्ते की राजधानी दिली में आयोजित क्षेत्रीय बैठक में कहा, ‘दुनिया को एंटीबायटिक से पहले के कालखंड की ओर बढ़ने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है जिसमें संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण की दिशा में मिलीं सभी उपलब्धियां बेकार चली जाएंगी।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘सामान्य संक्रमण और मामूली चोटें भी एक बार फिर लाखों की संख्या में लोगों की जान ले सकती हैं जो दशकों से इलाज योग्य रहीं हैं। एंटीबायटिक्स का प्रतिरोध जटिल सर्जरी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के प्रबंधन को अधिक मुश्किल बना देगा।’