साल 2019 के दिसंबर में चीन में जब कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये वायरस पूरी दुनिया के लिए इतना बड़ा खतरा बनेगा। 2 साल से कम समय में इस वायरस ने करोड़ों लोगों की जानें ली हैं और लाखों परिवारों को बरबाद कर दिया है। इस जंग में जब एक तरफ आम लोग बेबस और लाचार होकर मायूसी और हताशा में डूब रहे थे, तब दूसरी तरफ देश के लाखों डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ दिन-रात ड्यूटी करके पूरी मुस्तैदी के साथ वायरस से लड़ने के लिए लोगों में हौसला भर रहे थे। इस जंग में बहुत से डॉक्टर्स अपनी ड्यूटी निभाते हुए खुद भी कोरोना की चपेट में आए और 'शहीद' हो गए। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर सबसे ज्यादा घातक साबित हुई। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अनुसार कोरोना वायरस की दूसरी लहर में 730 से ज्यादा डॉक्टर्स ने अपनी जान गंवाई है। आज नैशनल डॉक्टर्स डे (National Doctor's Day) पर ओनलीमायहेल्थ ऐसे सभी डॉक्टर्स को श्रद्धांजलि दे रहा है, जिन्होंने अपना जीवन हारकर हजारों लोगों को जीवन दिया है।
वैसे तो कोरोना की इस जंग में जितने भी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ ने अपनी जान गंवाई है, हम उन सभी के प्रति कृतज्ञ हैं और उन्हें नमन करते हैं। लेकिन आज इस मौके पर हम आपको 5 ऐसे डॉक्टर्स की कहानी बता रहे हैं, जिनका जाना मेडिकल जगत के लोगों के लिए काफी दुखदायी साबित हुआ।
डॉ. केके अग्रवाल (Dr. KK Aggrawal)
डॉ. केके अग्रवाल भारत के सबसे प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट्स में से एक थे, जो 17 मई 2021 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। हंसमुख, मिलनसार, मदद के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले डॉ. अग्रवाल की मौत पर पूरा देश रोया था। इसका कारण यह है कि कोरोना की पहली लहर के समय से ही डॉ. अग्रवाल सोशल मीडिया के जरिए लगातार लोगों को इस वायरस से लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रहे थे। अपने बेहद व्यस्त जीवन के बाद भी डॉ. अग्रवाल लाइव वीडियोज के माध्यम से हर दिन सैकड़ों लोगों के सवालों के जवाब देने, इलाज बताने, सावधानियां बताने और हिम्मत भरने के लिए समय निकालते थे। कोरोना पर उनके बनाए सैकड़ों वीडियोज आज भी लोगों की मदद कर रहे हैं। कोरोना की पुष्टि होने के बाद जब डॉ. अग्रवाल हॉस्पिटल में भर्ती थे, तब भी उन्होंने ऑक्सीजन नली लगने के बाद भी एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने मेडिकल स्टाफ को संबोधित करते हुए कहा था, "शो मस्ट गो ऑन"। उनका ये आखिरी वीडियो मेडिकल जगत के लोगों को सालों-साल प्रेरित करता रहेगा।
डॉ. केके अग्रवाल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, हार्ट केयर फाउंडेशन, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन जैसे कई संस्थानों में बतौर चेयरमैन/प्रेसिडेंट काम कर चुके थे। उन्हें साल 2010 में पद्मक्षी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। डॉ. अग्रवाल ने ओनलीमायहेल्थ के पहले हेल्थ केयर हीरोज अवॉर्ड में जज की भूमिका भी निभाई थी और इस वेबसाइट के लिए कई ऑरिजिनल लेख भी लिखे थे।
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डॉ. अनस मुजाहिद (Dr. Anas Mujahid)
डॉ. अनस मुजाहिद दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल में ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर थे। कोरोना के कारण उनकी मृत्यु 9 मई को हुई थी। हैरानी की बात ये है कि वो अपनी मौत के एक दिन पहले ही वायरस के संपर्क में आए थे। दिल्ली कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक रहा है और जीटीबी हॉस्पिटल दिल्ली के सबसे व्यस्त हॉस्पिटल्स में से एक है। डॉ. अनस मात्र 26 साल के थे। इसलिए उनकी मृत्यु पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर परिवार को 1 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद देने का भी ऐलान किया था। इतनी छोटी सी उम्र में उनका दुनिया को छोड़कर जाना मेडिकल जगत के लिए एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व को असमय खो देने जैसा था।
डॉ. जेके मिश्रा (Dr. JK Mishra)
कोविड की दूसरी लहर के बीच प्रयागराज, उत्तरप्रदेश के बेहद प्रसिद्ध और 85 वर्षीय सीनियर डॉ. जेके मिश्रा ने भी अपनी जान गंवाई थी। डॉ. मिश्रा ने प्रयागराज के ही स्वरूप रानी नेहरू (SRN) हॉस्पिटल में लगभग 50 सालों तक अपनी सेवा दी थी। विडंबना यह रही कि कोरोना संक्रमित होने के बाद जब उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी, तब उसी हॉस्पिटल में उन्हें कोविड वेंटिलेटर बेड नहीं मिल सका, जिस हॉस्पिटल में उन्होंने आधी शताब्दी तक लोगों का जीवन बचाया था। डॉ. मिश्रा 13 अप्रैल को संक्रमित हुए थे, जिसके 3 दिन बाद उन्हें सांस लेने की तकलीफ के चलते हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में उस समय 100 से ज्यादा वेंटिलेटर बेड्स थे, लेकिन सभी मरीजों से भरे हुए थे। डॉ. मिश्रा के इस तरह इलाज के अभाव में चले जाने पर मेडिकल जगत के कई सीनियर डॉक्टर्स ने नाराजगी भी जताई थी, लेकिन उस समय स्थिति ऐसी नहीं थी कि किसी भर्ती मरीज को हटाकर डॉ. मिश्रा का इलाज किया जाता।
डॉ. शेखर अग्रवाल (Dr. Shekhar Agarwal)
दिल्ली के संत परमानंद हॉस्पिटल के प्रसिद्ध ऑर्थोपीडियक सर्जन डॉ. शेखर अग्रवाल भी इस कोरोना महामारी में 68 साल की उम्र में दुनिया छोड़कर चले गए। डॉ. अग्रवाल को जॉइंट रिप्लेसमेंट का स्पेशलिस्ट कहा जाता था। उन्होंने इंग्लैंड से पढ़ाई की थी, जिसके बाद उन्हें इंग्लैंड में ही नौकरी ऑफर हुई थी, लेकिन उन्होंने भारत वापस लौटकर देश सेवा का रास्ता चुना था। उनके सहयोगी डॉ. विनय अग्रवाल बताते हैं कि कई बार आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को भी डॉ. अग्रवाल निराश नहीं जाने देते थे और अपनी तरफ से उनकी हर संभव मदद करके इलाज करते थे।
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डॉ. फज़ल करीम (Dr. Fazal Karim)
लखनऊ के इरा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. फज़ल करीम ने 46 साल की उम्र में कोरोना के कारण अपनी जान गंवा दी थी। डॉ. करीम अपने मिलनसार व्यक्तित्व के कारण मरीजों और स्टूडेंट्स के बीच काफी प्रसिद्ध थे। इरा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. MMA फरीदी बताते हैं कि कोरोना काल में जब अचानक संक्रमण की दर बढ़ने लगी थी तो डॉ. करीम कई बार लगातार 24-24 घंटे तक ड्यूटी देते रहते थे। डॉ. करीम 9 अप्रैल को कोरोना की चपेट में आए थे और 16 अप्रैल को दुनिया को अलविदा कह गए थे। डॉ. करीम 8 महीने पहले ही 2 जुड़वा बच्चों के पिता बने थे, जिसके बाद वो बहुत खुश थे।
इन डॉक्टर्स के अलावा भी सैकड़ों डॉक्टर्स हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी और अपने परिवार के भविष्य की परवाह किए बिना भी लगातार ड्यूटी देकर इस महामारी के बीच लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस नैशनल डॉक्टर्स डे (National Doctor's Day) पर हम इन सभी कोविड वॉरियर्स को सलाम करते हैं।
Image Source- Facebok Page of Dr. kk aggrawal, Era Uiversity's Youtube channel and Agencies.
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