कोरोनावायरस (Cornavirus Alert) को कहर जहां अभी थमा भी नहीं है, वहां दुनियाभर के शोधकर्ता और विशेषज्ञ अब इसकी दूसरी और तीसरी लहर की बात कर रहे हैं। बात अगर भारत ही करें, तो मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में 36,470 नए मामले सामने आए हैं, जो कि 18 जुलाई के बाद पहली बार सबसे कम नए मामलों की संख्या को दर्शाता है। पर वहीं कई राज्यों में आने वाले दिनों में कोरोना मामलों की संख्या बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है। वहीं हाल ही में आए शोध ने कोरोनावायरस होने के बाद शरीर में बने एंटीबॉडी को लेकर एक और बड़ा खुलासा किया है। इस शोध कि मानें, तो जरूरी नहीं कि जिन्हें एक बार कोरोना हुआ है, उन्हें ये दोबारा (research reveals About Corona infection) नहीं हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना होने के बाद शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी बड़ी तेजी से घट रही है, जो कि हर्ड इम्यूनिटी की परिकल्पना पर एक प्रश्न चिन्ह लगा सकती है।
शोध में कोरोना एंटीबॉडी को लेकर हुआ बड़ा खुलासा
लंदन के इम्पीरियल कॉलेज द्वारा किए गए इस शोध की मानें, तो कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके व्यक्तियों में एंटीबॉडी (coronavirus antibodies duration)तेजी से घट रहे हैं और जिसके कारण वो कोरोना की चपेट में दोबारा आ सकते हैं। जी हां, शोध में ये बात गहन अध्ययन के बाद कही जिसमें इंग्लैंड में 365,000 से अधिक लोगों का परीक्षण किया गया और पाया गया कि कोरोना होने के बाद इन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित हुई, जिसके कारण उनके शरीर में इम्यूनिटी बनी पर कुछ दिनों बाद ही एंटीबॉडी में तेजी से कमी आने लगी, जिससे कि उनकी इम्यूनिटी भी घट गई।
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विंटरोलॉजिस्ट वेन्डी बार्कलेजो, जो कि अध्ययन के मुख्य शोधकर्ताओं में से एक हैं, उनकी मानें, तो मौसमी कोरोनविर्यूज़ जो हर सर्दी में घूमते हैं और कॉमन कोल्ड और फ्लू का कारण बनते हैं इस तरह से देखा जाए तो हर 6 से 12 महीनों के बाद लोगों को दोबारा संक्रमण हो सकता है। वेन्डी बार्कलेजो का कहना है कि हमें संदेह है कि जिस तरह से शरीर इस नए कोरोनोवायरस के संक्रमण के प्रति प्रतिक्रिया करता है, ये दोबारा हो सकता है।
एंटीबॉडी और इम्यूनिटी
एंटीबॉडी, शरीर के इम्यून सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो कि वायरस को शरीर की कोशिकाओं के अंदर जाने से रोकते हैं। इंपीरियल कॉलेज लंदन की टीम ने पाया कि एंटीबॉडी के परीक्षण के साथ पॉजिटिव परीक्षण करने वाले लोगों की संख्या में जून और सितंबर के बीच 26 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस तरह से समय के साथ एंटीबॉडी के लिए पॉजिटिव परीक्षण करने वाले लोगों के अनुपात में कमी आना, कोरोना संक्रमण के दोबारा होने की ओर एक बड़ा संकेत है।
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मौजूदा समय में कोरोना वायरस से उबर चुके लोगों का प्लाज्मा लेकर कोरोना संक्रमितों का इलाज करने की कवायद काफी तेज हुई है। ऐसे में यह सवाल सामने आता है कि क्या किसी व्यक्ति के लिए कोरोना वायरस से इम्यूनिटी पाने के बाद उन्हें ये दोबारा नहीं होगा। हालांकि, इस बात का कोई वास्तविक प्रमाण नहीं है कि कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई में एंटीबॉडी कितने प्रभावी हो सकते हैं। कुछ रिसर्च कहती हैं कि संक्रमण से निपटने के बाद एंटीबॉडी 4 से 7 हफ्ते के लिए काफी सक्रिय रहती हैं। पर जिस तरह ये लोग हर्ड इम्यूनिटी को लेकर भरोसा दिला रहे थे और शरीर में मौजूद संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी के पर्याप्त कारगर होने की बात कर रहे थे, वहां ये शोध इन तमाम बातों पर एक प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।
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