Kutki for fatty liver: फैटी लिवर एक ऐसी बीमारी है जिसमें लिवर में फैट जमा हो जाता है। इस बीमारी में लिवर सेल्स सही से काम नहीं कर पाते और इस अंग का कामकाज प्रभावित रहता है। इस समस्या का सबसे बड़ा कारण डाइट से जुड़ा हुआ हो सकता है। ऐसे में कुछ डाइट से जुड़ी चीजें लिवर डिटॉक्स करने में मदद कर सकती हैं। यह लिवर में जमा फैट को पिघलाने के साथ इसे डिटॉक्स करने में मददगार साबित हो सकते हैं। जैसे कि कुटकी (kutki) जो कि एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ीबूटी है। ये आपके लिवर के लिए कैसे काम कर सकती है और क्या हैं इनके फायदे जानते हैं Dr. Rini Vohra Shrivastava, Scientific Advisor, Maharishi Ayurveda से।
फैटी लिवर के लिए कुटकी-Kutki for fatty liver
Dr. Rini Vohra Shrivastava बताती हैं कि कुटकी या कटुका एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो लिवर के लिए काफी फायदेमंद है। यह पित्त स्राव (increasing bile secretion), लिवर चयापचय को बढ़ाकर और विषाक्त पदार्थों को हटाकर फैटी लिवर की समस्या को मैनेज करने में मदद करती है। कुटकी के पिक्रोसाइड (kutki picroside) जैसे बायोएक्टिव कंपाउंड लिवर एंजाइम और पाचन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकते हैं, जो पूरे लिवर की सेहत के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
पित्त कम करने वाला एजेंट है कुटकी-Kutki is Pitta Pacifier
कुटकी कुलिंग एजेंट होने के साथ क्लीनर की तरह भी काम करता है। इसके अलावा कुटकी के बायोएक्टिव गुण इसे एक शक्तिशाली हर्बल एंटीबायोटिक बनाते हैं जो कि, पित्त को शांत करने वाले घटक की तरह काम करते हैं। इसके अलावा ये एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर हैं जो कि लिवर सेल्स में सूजन को कम करने करने में मददगार हैं।
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फैट कम करने में मददगार है कुटकी-Kutki for reducing liver fat
कुटकी की एक खास बात यह भी है कि यह पाचन अग्नि यानी डाइजेस्टिव एंजाइम्स को बढ़ावा देने में मददगार है। यह अतिरिक्त फैट और कोलेस्ट्रॉल को स्वस्थ तरीके से कम करने और पूरे मेटाबोलिज्म को बढ़ावा दे सकता है। ये एक प्रकार की गर्माहट पैदा करता है जिससे लिवर में जमा फैट को कम करने में मदद मिलती है।
फैटी लिवर में कैसे करें कुटकी का सेवन-How to use kutki for fatty liver?
फैटी लिवर में आप कुटकी का पाउडर गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। दूसरा, आप कुटकी का काढ़ा बनाकर ले सकते हैं। इसके लिए आपको करना ये है कि आधा चम्मच कुटकी पाउडर को पानी में उबाल लें। इस दौरान आप स्वाद के लिए इसमें गुड़ और फिर हल्दी पाउडर भी डाल सकते हैं। इसे अच्छी तरह से उबालने के बाद इसे छान लें। इसमें थोड़ा सा नमक और नींबू का रस मिला लें। सबको मिलाने के बाद इस काढ़े को आराम से पिएं।
आयुर्वेद में, कुटकी का उपयोग लिवर की देखभाल के लिए किया जाता है, कभी-कभी विषहरण के लिए भूमिमालकी (भुई आंवला) और कालमेघ जैसी जड़ी-बूटियों के साथ इसे लिया जाता है। लेकिन इसका उपयोग व्यक्ति की प्रकृति यानी शरीर के प्रकार और स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर व्यक्तिगत रूप से किया जाना चाहिए। कुटकी को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से पहले हमेशा किसी एक्सपर्ट से सलाह लेना बेहतर होता है। आयुर्वेद कहता है कि असली उपचार तब होता है जब हम अपने बॉडी को संतुलित कर लेते हैं। यानी जब आपके शरीर का वात-पित्त और कफ बैलेंस हो।
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ध्यान देने वाली बात:
कुटकी लेने से पहले आपको कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। जैसे कि सबसे पहले तो कुटकी का रेगुलर सेवन न करें। इससे आपके शरीर में वात-पित्त-कफ असंतुलित हो सकता है जो कि आपकी सेहत को नुकसानदेह है। साथ ही स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को भी कुटकी के सेवन से बचना चाहिए।