How To Sleep With Hot Flashes During Perimenopause In Hindi: पेरिमेनोपॉज के दौरान कई तरह की शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं। जैसे पेरिमेनोपॉज होने पर सबसे पहले पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। मासिक धर्म का चक्र बदलने के कारण कई अन्य समस्याएं होने लगती हैं, जैसे एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। इस हार्मोन के स्तर में कमी आने की वजह से मूड स्विंग होना, हेयर फॉल होना, एक्ने और पिंपल की समस्या हो सकती है। वहीं, कुछ महिलाओं की नींद भी बाधित होती है। हालांकि, इस तरह की समस्याओं को रोका नहीं जा सकता है। लेकिन, डॉक्टर की मदद से इन लक्षणों में कुछ हद तक सुधार किया जा सकता है। बहरहाल, कुछ महिलाओं को पेरिमेनोपॉज के दौरान हॉट फ्लैशेज की समस्या भी काफी होती है। ऐसी महिलाओं को अक्सर रात को सोने में काफी दिक्कतें महसूस होती हैं। आपको बता दें कि अगर किसी की नींद पूरी न हो, वह चिड़िचिड़ा हो जाता है और अक्सर मूड स्विंग की वजह से परेशान रहता है। अगर लंबे समय तक पर्याप्त नींद न मिले, तो महिला को हेल्थ इश्यूज भी हो सकते हैं। सवाल है, ऐसी सिचुशन में क्या कर सकते हैं? यहां दिए गए टिप्स को फॉलो करें। इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
पेरिमेनोपॉज फेज में हॉट फ्लैशेज की समस्या से कैसे निपटें
ट्रिगर करने लगने वाली चीजों से बचें
पेरिमेनोपॉज फेज में आप उन चीजों से दूर रहें, जिससे हॉट् फ्लैशेज की समस्या की ट्रिगर हो सकती है। कहने का मतलब है कि इन दिनों आप हल्के-फुल्के कपड़े पहनें, टाइट-फिटिंग के बजाय ढीले-ढाले कपड़े पहनें। ऐसी ड्रेसेज में गर्मी कम लगती है और हॉट फ्लैशेज की प्रॉब्लम भी कम होने लगती है।
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पानी पीने की मात्रा बढ़ाएं
हॉट फ्लैशेज की वजह से अक्सर रात को सोने में दिक्कत हो जाती है। इस तरह प्रॉब्लम को कम करने के लिए जरूरी है कि आप सारा दिन पानी पीते रहें। अगर आप पूरे दिन में ठीक-ठाक मात्रा में पानी पीते हैं, तो यह आपकी बॉडी से टॉक्सिंस को बाहर निकालता है। इससे शरीर में गर्मी कम होती है और पेरिमेनोपॉज फेज के अन्य लक्षणों को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
हेल्दी डाइट फॉलो करें
पेरिमेनोपॉज फेज में हॉट फ्लैशेज की समस्या कम हो और रात को अच्छी नींद आए, इसके लिए जरूरी है कि आप हेल्दी डाइट फॉलो करें। जंक फूड और स्पाइसी फूड से पूरी तरह दूरी बना लें। यह बिल्कुल सही नहीं होगा। ध्यान रखें कि अगर आप इस दौरान स्पाइसी फूड खाती हैं, तो हॉट फ्लैशेज ट्रिगर हो सकते हैं। ऐसे में आवश्यक है कि आप ठंडी तासीर की चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें।
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थेरेपीज की मदद लें
पेरिमेनोपॉज फेज में आप मन और बॉडी को शांत रखने के लिए कुछ थेरेपीज भी मददगार मानी जाती हैं। इसमें मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग जैसी एक्सरसाइज हैं। अच्छी बात ये है कि इनकी मदद से स्ट्रेस का स्तर भी कम होता है। ध्यान रखें स्ट्रेस बढ़ने पर ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और हॉट फ्लैशेज और नाइट स्वेट को ट्रिगर कर सकता है। वहीं, अगर आप नियमित रूप थेरेपीज की हेल्प लेते हैं, तो स्ट्रेस भी मैनेज होने लगता है।
अपना वजन संतुलित रखें
विशेषज्ञों की मानें, तो जिन महिलाओं का वजन अधिक होता है, उन्हें हॉट फ्लैशेज की समस्या अधिक होती है। माना जाता है कि ऑबेसिटी और हॉट फ्लैशेज का आपसी कनेक्शन है। दरअसल, पेरिमेनोपॉज फेज में पहले से हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव आने लगता है। वहीं, अगर महिला का वजन अधिक है, तो ऐसे में उनके हार्मोंस पर अधिक निगेटिव असर देखने को मिल सकता है। इसलिए, कोशिश करें कि अपने वजन को संतुलित बनाए रखें।
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