सिर दर्द की समस्या कभी न कभी हर किसी को होती है। ऐसे में आप दर्द से छुटकारा पाने के लिए पेन किलर या सिर दर्द की दवा का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि बार-बार होने वाला सिर दर्द किसी गंभीर बीमारी का संकेत दे रहा है। इस दर्द के साथ कई ऐसी शारीरिक समस्याएं सामने आती हैं जो आपको ब्रेन ट्यूमर होने के लक्षण बताती हैं। इस बात को नजरअंदाज करना आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। दरअसल, पीयूष ग्रंथि कई तरह के रासायनिक तत्व उत्पन्न करती है। ग्रंथि में ट्यूमर होने पर कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। कुछ ऐसे लक्षण हैं जिनसे आप खुद जान सकते हैं कि आपको ब्रेन ट्यूमर है या नही?
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ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
- आंखों से धुंधला दिखाई देने लगे और अचानक चश्मे का नंबर बढ़ जाए। किसी चीज को पहचानने में समस्या आने लगे। ब्रेन ट्यूमर होने पर अक्सर एक आंख में परेशानी होती है।
- गले में अकड़न होना। बोलने और किसी बात को दोहराने में परेशानी हो रही हो, इसके अलावा अचानक स्वभाव में बदलाव आ जाना भी ब्रेन ट्यूमर के संकेत हैं।
- अगर आपके शरीर का बैलेंस बिगड़ गया हो, जैसे जब आप चलते समय अचानक लड़खड़ाने लगें, थोड़ा सा काम करने में ही आपको कमजोरी महसूस होने लगे तो ये भी ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हैं।
- ब्रेन ट्यूमर होने की स्थिति में आपकी याददाश्त कमजोर होने लगती है और आपका ध्यान भटकने लगता है। किसी एक जगह या काम में ध्यान केंद्रित नही हो पाता है।
- हमेशा सिर में दर्द रहना, खासकर सुबह जब आप सोकर उठते हैं तो अगर उस समय सिर में दर्द हो रहा हो और जी मचला रहा हो तो यह ब्रेन ट्यूमर के संकेत हैं।
- ब्रेन ट्यूमर होने की स्थिति में शरीर पर से दिमाग का कंट्रोल हटने लगता है, जिससे शरीर में अचानक किसी भी तरह की संवेदना महसूस न होना भी ट्यूमर हो सकता है।
- मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होना, जैसे हाथों-पैरों का फड़कना या फिर पूरे शरीर का फड़कना या फिर अचानक से बेहोशी आने लगे तो ये ब्रेन ट्यूमर के ही संकेत हैं।
- अगर आप इन सभी लक्षणों से ग्रसित हैं तो आप बिना देर किए डॉक्टर की सलाह लें, जिससे समय पर इसका इलाज हो सके।
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समय से पहले करें ब्रेन ट्यूमर का इलाज
मस्तिष्क में मुख्य रूप से दो प्रकार के ट्यूमर होते हैं। पहला है बिनाइन ट्यूमर, जो कि धीरे-धीरे बढ़ता है और दूसरा है मेलिगेंट ट्यूमर जोकि कैंसर युक्त होता है। पहले तरह के ट्यूमर कुछ दवाओं से नियंत्रित हो जाते हैं। लेकिन जो दवाओं से ठीक नही हो पाते हैं उन्हें ओपन सर्जरी और गामा नाइफ सर्जरी से ठीक करने की कोशिश की जाती है।
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