शरीर और मन दोनों को स्वस्थ और फिट रखने के लिए योग (Yoga) संजीवनी की तरह है। योग का नियमित न केवल शरीर को स्वस्थ बनाये रखता है बल्कि इसके अभ्यास से मानसिक शांति भी मिलती है। यही कारण है कि आज दुनियाभर में योग का प्रचार प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है। नियमित रूप से योगाभ्यास करने के कई फायदे हैं। अगर आप आधुनिक जीवनशैली और असंतुलित खानपान की वजह से अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं तो आपको योग का नियमित अभ्यास जरूर करना चाहिए। योग का अभ्यास अलग-अलग तरीके से किया जाता है लेकिन इन सबका सिर्फ एक ही मकसद होता है शरीर और मन को शांत और फिट रखना। प्राणायाम भी योग की एक विधा है जिसमें हम अपने सांसों की एक्सरसाइज करते हैं। प्राणायाम योग के 5 विधाओं में से एक है। प्राणायाम को श्वास नियंत्रण का विज्ञान माना जाता है। कोरोनाकाल में लोग अपने फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए तमाम चीजें कर रहे हैं। अगर आप भी अपने फेफड़ों को मजबूत कर शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त रखना चाहते हैं तो अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम (Abhyantar Kumbhaka Pranayama)
सांस को सही तरीके से अन्दर लेने, छोड़ने और रोकने के अभ्यास को ही प्राणायाम कहा जाता है। प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से हम अपने सांसों का संतुलन बना पाते हैं। इसके नियमित अभ्यास से फेफड़ों को बहुत फायदा मिलता है। अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम हठ योग का हिस्सा है जिसमें हम श्वास को अंदर और बाहर लेने का अभ्यास करते हैं। आपको बता दें कि प्राणायाम के प्रमुख तीन चरण होते हैं, पहला पूरक जिसमें हम सांसों को अंदर की तरफ खींचते हैं, दूसरा रेचक जिसमें सांसों को रोकने का अभ्यास किया जाता है और तीसरा कुम्भक जिसमें सांस सही तरीके से बाहर छोड़ने का अभ्यास होता है। अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम में हम सांस को छोड़ने पर बल देते हैं।
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अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम करने का तरीका (How to Do Abhyantar Kumbhaka Pranayama?)
किसी भी योगासन का सही तरीके से अभ्यास करने पर ही संपूर्ण लाभ मिलता है। अगर आपको प्राणायाम करने का सही तरीका पता है तो अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम का अभ्यास करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम का अभ्यास करने का सही तरीका इस प्रकार है।
- सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब फेफड़ों से पूरी सांस को बाहर निकालें।
- नाभि से अपने पेट के हिस्से को अंदर की तरफ दबाएं।
- अब आप गहरी सांस लेकर उसे अपने फेफड़ों में रोकें।
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- सांस रोकने के बाद जालंधर बंध यानि अपनी गर्दन को नीचे की तरफ ले जाते हुए ठुड्डी पर लगाएं।
- आप जितनी देर तक इस स्थिति में रह सकते हैं, रहें।
- अब सांस को छोड़ने के लिए जालंधर बंध की मुद्रा से वापस सामान्य मुद्रा में आएं।
- अब अपनी सांसों को आराम से बाहर की तरफ छोड़ें।
- इस अभ्यास को लगभग 5 बार करें।
अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम के फायदे (Abhyantar Kumbhaka Pranayama Health Benefits)
अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से आपके फेफड़े मजबूत होते हैं और इसके साथ ही आपका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। हठ योग में मानसिक और शारीरिक संतुलन के लिए इसके अभ्यास का बहुत महत्व है। आप अगर नियमित रूप से अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम का अभ्यास करते हैं तो आपको ये लाभ मिलेंगे।
- अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से फेफड़े मजबूत होते हैं।
- सांस लेने से जुड़ी दिक्कतें और शरीर में ऑक्सीजन की कमी में भी फायदा मिलता है।
- इसका नियमित अभ्यास आपके शारीरिक बल को बढ़ाने का काम करता है।
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- सीना चौड़ा होता है और मजबूती मिलती है।
- अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम से रोग प्रतिरोधक क्षमता ही बढ़ती है।
- सही तरीके से इसका अभ्यास करने पर शरीर में ब्लड प्रेशर संतुलित होता है।
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अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। अभ्यंतर कुम्भक प्राणायाम का अभ्यास सही तरीके से किया जाना चाहिए और हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा जैसी समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। अगर आप योगाभ्यास में नए हैं तो शुरुआत में आपको पहले कुम्भक का अभ्यास नहीं करना चाहिए। पूरक और रेचक का सही ढंग से अभ्यास करने के बाद ही कुम्भक का अभ्यास करना चाहिए। शुरुआत में इसका अभ्यास किसी एक्सपर्ट की देखरेख में करें।
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