
Bhramari Pranayama (Bee Breath) for Migraine: माइग्रेन एक तीव्र सिरदर्द (Headache) है जो अक्सर मतली, उल्टी और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता के साथ होता है। माइग्रेन 4 घंटे से 3 दिन तक रह सकता है, और कभी-कभी लंबा होता है। अमेरिकन माइग्रेन फाउंडेशन के मुताबिक, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में 3 गुना अधिक होता है। ज्यादातर लोगों को 10 से 40 साल की उम्र में माइग्रेन का सिरदर्द होने लगता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि, माइग्रेन का सिरदर्द कई स्वास्थ्य स्थितियों के कारण हो सकता है जैसे- तनाव, थकान, अवसाद, चिड़चिड़ापन के अलावा मौसम में बदलाव, फूड, भोजन स्किप करने जैसी स्थितियां माइग्रेन के दर्द को बढ़ावा देते हैं। इसका इलाज तो नहीं किया जा सकता है, मगर योग के माध्यम से इनके लक्षणों पर काबू पाया जा सकता है, जो माइग्रेन के सिरदर्द का कारण बनते हैं।
योग गुरू मानते हैं कि, भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayam) माइंड को तुरंत शांत करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। यह उन बेहतरीन ब्रीदिंग एक्सरसाइज में से एक है जो क्रोध, उत्तेजना, हताशा या अवसाद को दिमाग से बाहर निकाल देते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम क्या है?
भ्रामरी प्राणायाम ब्रीदिंग तकनीक (Bhramari pranayama breathing technique) का नाम काली भारतीय मधुमक्खी से लिया गया है। भ्रामरी प्राणायाम मन को तुरंत शांत करने में प्रभावी माना जाता है। भ्रामरी प्राणायाम ऐसी एक्सरसाइज है जो चिंता, तनाव, गुस्सा और अवसाद से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। इस आसान तकनीक को और कहीं भी प्रैक्टिस कर सकते हैं- घर, ऑफिस या अन्य जगहों किया जा सकता है। इससे मन शांत होता है।
इस प्राणायाम में सांस छोड़ने की प्रक्रिया से निकलने वाली ध्वनि मधुमक्खी की गूंज की तरह है, जिसके कारण ही इसे भ्रामरी प्राणायाम कहा जाता है।
भ्रामरी प्राणायाम के पीछे का वैज्ञानिक तथ्य
आर्ट ऑफ लिविंग के अनुसार, भ्रामरी प्राणायाम तंत्रिकाओं को शांत करने पर काम करता है और विशेष रूप से मस्तिष्क और माथे के आसपास शांत करने का काम करता है। भ्रामरी प्राणायाम में गिनगिनानेवाला ध्वनि कंपन (Humming sound vibrations) एक नेचुरल 'शांत' प्रभाव डालता है।
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भ्रामरी प्राणायाम करने का तरीका: How to do Bhramari pranayama
- सबसे पहले किसी शांत वातावरण का चुनाव करते हुए सुखासन मुद्रा में बैठ जाएं और खुद को रिलैक्स करें।
- अब अपनी दोनों आंखों को बंद करें और गहरी सांस लेते-छोड़ते हुए शांत वातावरण को महसूस करें।
- तर्जनी अंगुली (Index fingers) को कान पर (कान और गाल के बीच कार्टिलेज) रखते हैं।
- गहरी सांस लेते समय कार्टिलेज को दबाएं और सांस छोड़ें। इस दौरान आपको मधुमक्खी के गिनगिनाने वाली आवाज सुनाई देगी।
- गिनगिनाने वाली आवाज निकालते समय आपका मुख बंद होना चाहिए। कान के कार्टिलेज को जोर से न दबाएं।
- प्राणायाम के दौरान निकलने वाली ध्वनी को ऊंचा रखें।
- इस प्रक्रिया को आप 3 से 4 बार दोहराएं।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ: Benefits of Bhramari pranayama
- माइग्रेन के रोगियों के लिए भ्रामरी प्राणायाम फायदेमंद हो सकता है।
- भ्रामरी प्राणायाम चिंता, क्रोध, उत्तेजना और हताशा या अवसाद से मुक्त करता है।
- हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए यह प्राणायाम अत्यंत लाभदायक है। रक्तचाप सामान्य रहता है।
- अगर आपको गर्मी ज्यादा लग रही है या सिरदर्द हो रहा है तो भ्रामरी प्राणायाम करना फायदेमंद है।
- इस प्राणायाम को करने से आत्मविश्वास बढ़ता है।
- भ्रामरी प्राणायाम आपके मन को शांत रखता है।
सावधानी
- प्राणायाम करते समय पूरी तरह से रिलैक्स रहें, अपने चेहरे पर दबाव न डालें।
- प्राणायाम को 3-4 बार से ज्यादा न करें।
- प्राणायाम करने से पहले आप योग विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।
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