निमोनिया से बचाव के तरीकों को समझना है जरूरी

निमोनिया एक घातक बीमारियों में से एक है। इससे बचने के लिए आपको वैक्सीन के साथ कुछ विशेष प्रकार की सावधानी के बारे में जानने की जरूरत है।
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निमोनिया से बचाव के तरीकों को समझना है जरूरी


निमोनिया का नाम घातक बीमारियों में लिया जाता है। इस बीमारी को हल्के में लेना मतलब है कि गंभीर परिणाम। सर्दी में इसका दुष्प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है। आंकड़ों की मानें तो निमोनिया के रोगियों में बच्चे सबसे ज्यादा होते हैं।

निमोनिया फेफड़े का एक संक्रमण है। इसमे फेफड़ों में असाधारण तौर पर गंभीर सूजन आ जाती है और फेफड़ों में पानी भी भर जाता है। आमतौर पर निमोनिया कई कारणों से होता है जिनमें प्रमुख हैं बैक्टीरिया, वायरस, फंगी या अन्य कुछ परजीवी। इनके अलावा कुछ रसायनों और फेफड़ों पर लगी चोट के कारण भी निमोनिया होता है।

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निमोनिया के लक्षण

आमतौर पर सर्दी, तेज बुखार, कंपकंपी, कफ, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द निमोनिया के लक्षण हैं, लेकिन बहुत छोटे बच्चों में इस तरह के विशेष लक्षण नहीं दिखाई देते। छोटे बच्चों में निमोनिया की शुरुआत हल्के सर्दी-जुकाम से होती है, जो धीरे-धीरे निमोनिया में बदल जाती है। इसके बाद बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।

बचाव के तरीके

ऐसे दो टीके हैं जो निमोनिया के खतरे को रोक सकते हैं। 65 वर्ष से अधिक के लोगों और वे लोग जिनमें निमोनिया होने का जोखिम होता है , उनके लिए एक वैक्सीन का सुझाव दिया जाता है।  इनमें निम्नलिखित समस्याओं वाले लोग शामिल हैं:

  •  फेफड़ा रोग
  •     हृदय रोग
  •     यकृत रोग
  •     गुर्दा रोग
  •     कुछ प्रकार के कैंसर या कैसर की चिकित्सा चलना
  •     कमजोर प्रतिरोधी प्रणाली


एक अन्य प्रकार की निमोनिया वैक्सीन 2 साल के कम आयु के बच्चों कों दी जाती है। हालांकि इनका अधिकतर उपयोग मैनिनजाईटिस और कान के संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए किया जाता है पर ये निमोनिया के जोखिम को भी कम करता है।

इन्फ्लूएंजा टीका, जो वर्ष में एक बार दिया जाता है, दोनों फ्लू और बैक्टीरियल संक्रमण या निमोनिया जो कि फ्लू के बाद आता है, को रोक सकता है। 6 महीने से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति ये टीका लगवा सकता है। 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और गंभीर इन्फ्लूएंजा विकसित होने के उच्च जोखिम में रहने वाले निम्नलिखित लोगों के लिए इस टीके की पुरजोर सिफारिश की जाती है:

 

  •     नर्सिंग होम और अन्य दीर्घकालिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के निवासी
  •     जो क्रोनिक फेफड़ों या हृदय और फेफड़ों के रोग से ग्रस्त हो
  •     जो क्रोनिक चिकित्सा समस्याओं के लिए पिछले एक साल के भीतर अस्पताल में भर्ती किया गया हो
  •     जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली एचआईवी/एड्स, कैंसर, या कुछ दवाओं (जैसे प्रेडनिसोन या कैंसर कीमोथेरेपी) की वजह से कमजोर हो
  •     जो महिलायें इन्फ्लूएंजा के मौसम के दौरान गर्भावस्था के तीसरे महीने को पार करेंगी (नवंबर से अप्रैल)
  •     बच्चे और किशोर जो दीर्घकालिक एस्पिरिन चिकित्सा ले रहे हैं (रेयेज़ सिंड्रोम के खतरे के कारण)।


50 और 65 के बीच के आयुवर्ग के वयस्कों, 6 महीने से 18 साल के बीच की आयु के बच्चों और रोगियों के निकट संपर्क में रहने वाले लोगों, जिनमें माता पिता, घर के लोग और बच्चों के दैनिक देखभाल केन्द्रों के कर्मचारी, स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता और दीर्घकालिक और जीवन सहायक सुविधाओं के कर्मचारी शामिल हैं, को भी इन्फ्लूएंजा वैक्सीन की सलाह दी जाती है।

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फ्लू शॉट के लिए फ्लुमिस्ट नामक नासिका (नेज़ल) इन्फ्लूएंजा वैक्सीन, एक अन्य विकल्प है। ये वायरस का एक जीवित, कमज़ोर प्रकार है जिसे सांस के साथ लिया जाता है और इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये 2 से 50 वर्ष की आयु के स्वस्थ लोगों के लिए स्वीकृत है।

ध्यान रखें-

  • बाहर जाएं तो अपना मुंह ढक कर रखें।
  • छींक या खांसी आए तो चेहरा ढक लें।
  • किसी व्यक्ति को खांसी-जुकाम के लक्षण हो तो उसका जूठा खाना-पीना लेने से बचें।
  • संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, रुमाल आदि का इस्तेमाल न करें।
  • कुछ भी खाने-पीने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
  • ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। शरीर को डिहाइड्रेट न होने दें।

 

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